मधुबनी : जब डॉ जगन्नाथ मिश्र ने सीएम रहते चलाया था हल, दिया था बड़ा संदेश

रमण कुमार मिश्र मधुबनी : पूर्व सीएम डॉ जगन्नाथ मिश्र नहीं रहे, पर इनका समाज को एक सूत्र में बांधने की दिशा में की गयी पहल आज भी लोगो के जेहन में है. मुख्यमंत्री रहते हुए डॉ मिश्र ने 1976 में मधुबनी के शंभुआर गांव में हल चलाया था. हिंद मजदूर कांग्रेस के अघनू यादव […]

By Prabhat Khabar Print Desk | August 20, 2019 7:52 AM
रमण कुमार मिश्र
मधुबनी : पूर्व सीएम डॉ जगन्नाथ मिश्र नहीं रहे, पर इनका समाज को एक सूत्र में बांधने की दिशा में की गयी पहल आज भी लोगो के जेहन में है. मुख्यमंत्री रहते हुए डॉ मिश्र ने 1976 में मधुबनी के शंभुआर गांव में हल चलाया था. हिंद मजदूर कांग्रेस के अघनू यादव बताते हैं कि करीब तीन दशक पहले तक ब्राह्मणों के द्वारा हल चलाना एक गुनाह ही समझा जाता था.
अधिकतर लोग कमजोर जाति वर्ग के लोगों से ही खेत जुतवाते थे. पर, इस अवधारणा को डॉ मिश्र ने तोड़ा. न सिर्फ इस अवधारणा को तोड़ा, बल्कि यह संदेश समाज में दिया कि लोगों को अपने खेत में खुद ही मेहनत करनी चाहिए. एक जुलाई, 1976 को रहिका के शंभुआर गांव में भूमिहीन को प्रत्यक्ष कब्जा दिलाने एवं सवर्णों में हल चलाने की ओर प्रेरित करने के उद्देश्य से तत्कालीन प्रखंड विकास पदाधिकारी बच्चा ठाकुर के साथ उन्होंने हल चलाया.
तब इसकी खूब चर्चा हुई थी. किसी मुख्यमंत्री के द्वारा किसी खेत में जाकर हल जोतने की यह शायद उस समय की पहली घटना थी. अघनू यादव के मुताबिक, डॉ साहब हर जाति व हर धर्म के लोगों को बराबर का मान सम्मान देते थे.इसी प्रकार उनके साथ राजनीति में लंबे समय तक साथ रहने वाले पूर्व जिप अध्यक्ष सतीश चंद्र मिश्रा बताते हैं कि डाक्टर साहब धैर्यवान व हिम्मत वाले थे.
समस्तीपुर के जिस बम कांड में रेलमंत्री ललित नारायण मिश्रा का निधन हो गया था, उस सभा में डाक्टर साहब भी थे और बम कांड में ये भी घायल हो गये थे. सतीश मिश्रा बताते हैं कि वे भी मंच के समीप ही थे. अचानक बम का धमाका हुआ और हर ओर खून ही खून दिखने लगा. इसमें जगन्नाथ मिश्र भी घायल हो गये.
जांघ से काफी खून निकल रहा था, जिसे सतीश बाबू ने अपने रूमाल से बांधा था. लेकिन, डॉ मिश्र ने अपने जख्म की बजाये सतीश बाबू से जनता के बारे में पूछा था. इस समय सतीश बाबू झूठ बोले कि किसी को कुछ नहीं हुआ है. इसी घटना में ललित बाबू का निधन हो गया और डॉ जगन्नाथ मिश्रा बाल बाल बच गये थे.

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