मोबाइल के बदले बर्तन लेने से हो सकता है बड़ा फ्रॉड
प्रखंड सहित जिले में सेल मोबाइल व स्मार्ट मोबाइल के बदले स्टील या एल्युमिनियम के बर्तन देने का झांसा देकर लोगों को ठगने का मामला सामने आ रहा है.
चौसा प्रखंड में सक्रिय गिरोह पर लोगों ने जताई आशंका चौसा. प्रखंड सहित जिले में सेल मोबाइल व स्मार्ट मोबाइल के बदले स्टील या एल्युमिनियम के बर्तन देने का झांसा देकर लोगों को ठगने का मामला सामने आ रहा है. ग्रामीण क्षेत्रों में इस तरह की एक्सचेंज योजनाओं के नाम पर मोबाइल फ्रॉड हो रहा है, जिसकी भनक तक लोगों को नहीं लगती. स्थानीय लोगों का कहना है कि मामूली बर्तन देकर उनका मोबाइल ले लिया जाता है और बाद में पता चलता है कि मोबाइल खराब या पूरी तरह डेड हो गया है. तकनीकी विशेषज्ञों के अनुसार, ऐसे धोखेबाज मोबाइल के अंदर के मदरबोर्ड, चिप व ईएमईआई कोड बदलकर असली पार्ट्स को ब्लैक मार्केट में बेचते हैं और उसका गलत उपयोग कर फ्रॉड व ठगी होने की संभावना बनी रहती है. हालांकि, चंद रुपये व बर्तन की लालच में थोड़ा सा खराब मोबाइल को कबाड़ी के दाम में बेचकर बर्तन देना लोगों को मुश्किल में डाल सकता है. ग्रामीण अरुण सिंह, रितेश रंजन, अमित कुमार सिंह, सोनू कुमार, संतोष कुमार, चंदन भगत, नारद कुमार, दीपक कुमार यादव, पंकज राज, अभिषेक दत्त, अतुल कुमार अंतुल, मनीष कुमार, मदन मंडल, मधुकांत निराला, पंसस मुकेश कुमार ने बताया कि अक्सर गांव में घूमते हुए मोबाइल के बदले एल्युमिनियम का बर्तन लेने की होड़ लगी रहती है, लेकिन गांव के लोगों को उतनी जानकारी नहीं होने के कारण मोबाइल को देकर बर्तन ले लेते हैं, लेकिन इसका उपयोग कुछ फ्रॉड लोगों द्वारा मदरबोर्ड निकालकर इसका गलत उपयोग किया जाता है. जिसकी जानकारी नहीं होने से कभी भी फ्रॉड हो सकती है. क्या कहते हैं मोबाइल विक्रेता मोबाइल दुकानदार श्रीकांत कुमार, संतोष भगत, प्रमुख पासवान, अंग्रेज पासवान,ने बताया कि ईएमआई निकालकर बॉडी बदल कर उसका गलत उपयोग किया जाता है. जागरूकता होनी चाहिए. समाज को चाहिए कि खराब मोबाइल को नष्ट कर दे. किसी भी दुकानदार को नहीं दें. क्या है फ्रॉड का तरीका असली मदरबोर्ड निकाल कर सस्ते या खराब पार्ट्स लगा दिए जाते हैं. असली पार्ट्स की कीमत हजारों में होती है. आपके अपराध में इस्तेमाल होने का खतरा गिरोह उन लोगों को निशाना बनाता है, जिन्हें मोबाइल तकनीक की ज्यादा जानकारी नहीं होती. कई मामलों में लोग शर्म के कारण शिकायत भी नहीं करते. प्रशासन से इस तरह की गतिविधियों पर रोक लगाने और ऐसे लोगों की पहचान कर कड़ी कार्रवाई की मांग की है.
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