जिला प्रशासन शंकरपुर सीओ के विरुद्ध जल्द नहीं लेगे एक्शन, तो चरणबद्ध आंदोलन : अस्मिता आनंद

जिले का शंकरपुर अंचल कार्यालय भ्रष्टाचार का अड्डा बन गया है. शंकरपुर अंचल के सीओ राहुल कुमार के कृत्यों को लेकर अंचल क्षेत्र में जनता के बीच आक्रोश व्याप्त है.

By Kumar Ashish | August 25, 2025 12:07 AM

मधेपुरा. जिले का शंकरपुर अंचल कार्यालय भ्रष्टाचार का अड्डा बन गया है. शंकरपुर अंचल के सीओ राहुल कुमार के कृत्यों को लेकर अंचल क्षेत्र में जनता के बीच आक्रोश व्याप्त है. इसे लेकर बीते 11 अगस्त को शंकरपुर प्रखंड मुख्यालय में जनता व जन प्रतिनिधियों के संगठन संयुक्त संघर्ष समिति के बैनर तले प्रखंड क्षेत्र के जनप्रतिनिधि व आम लोगों के द्वारा धरना प्रदर्शन किया गया था. साथ ही सीओ के कृत्य को लेकर प्रखंड क्षेत्र के सैकड़ों आदमी के हस्ताक्षर युक्त आवेदन डीएम के नाम भेजकर सीओ राहुल कुमार के कुकृत से अवगत कराते हुए मामले की गहनता से जांच कर सीओ के विरुद्ध करवाई करने का अनुरोध किया गया था, लेकिन धरना प्रदर्शन व डीएम को आवेदन देने के दस दिन बीत जाने के बाद भी अब तक किसी तरह की कोई कार्रवाई शंकरपुर सीओ के खिलाफ नहीं की गयी है. इसे लेकर संयुक्त संघर्ष समिति के अध्यक्ष प्रखंड प्रमुख स्मिता आनंद, प्रमुख प्रतिनिधि विवेक कुमार, जदयू के जिला महासचिव योगेन्द्र यादव ने संयुक्त रूप से रविवार को प्रेस विज्ञप्ति जारी किया. प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि शंकरपुर सीओ के कुकृत को लेकर हम सभी जन प्रतिनिधि जल्द ही डीएम व प्रमंडलीय आयुक्त से भी मुलाकात करेंगे. जनता और सरकार को बताना चाहते हैं किस तरह से सीओ राहुल कुमार अंचल क्षेत्र में भूमि विवाद को कम करने के बदले बढ़ाने का काम कर रहे हैं. गरीब जनता का दाखिल ख़ारिज के नाम पर आर्थिक शोषण होता है. वरीय अधिकारी के आदेश और सरकार के कानून का मजाक बनाते हैं. हमारे पास सीओ के आतंक से पीड़ित दर्जनों लोगों का लिखित आवेदन तक आया है. राहुल के द्वारा बरती गयी लापरवाही या अवैध उगाही का सबसे बड़ा उदाहरण रुबेदा खातून का मामला है. इसमें बिहार भूमि विवाद निराकरण अधिनियम 2009 के तहत डीसीएलआर कोर्ट के स्पष्ट आदेश होने के बाद भी नौ माह बीतने पर भी उसे लागू नहीं किया. क्योंकि महिला सीओ राहुल को कथित रूप से एक लाख रुपये नहीं दी. सीओ राहुल के द्वारा सुरेंद्र मंडल पिता किसन मंडल, कलहुआ वार्ड नौ से बासगीत पर्चा के रसीद को ऑनलाइन चढ़ाने के एवज में दस हजार रुपये लिया. छह माह से अधिक बीतने बाद भी उनका काम नहीं हुआ. इसी तरह रिंकी कुमारी पति विकास कुमार से रसीद को ऑनलाइन लाइन चढाने के एवज में 25 हजार रुपये लिया गया. इस प्रकार दर्जनों ऐसी शिकायत है कि राहुल सीओ के रूप में दलालों के माध्यम से प्रति केवाला, दाखिल-ख़ारिज के लिए 25 हजार से एक लाख रुपये तक लेते हैं. यदि पैसा नहीं मिलता है तो जान बुझ कर ऐसे आवेदन को रिजेक्ट कर देते हैं या ऑब्जेक्शन कर पेंडिंग में रखते हैं. सरकार व प्रशासन इन बातों पर गंभीरता पूर्वक ध्यान देते हुए भ्रष्ट सीओ को अविलंब बर्खास्त कर कानूनी कार्रवाई करें, ताकि सरकार और प्रशासन के प्रति लोगों का असंतोष खत्म हो और विश्वास पैदा हो. अन्यथा हम सभी जनप्रतिनिधि व जनता को बाध्य होकर आंदोलन को तेज करना पड़ेगा, जिसकी सारी जवाबदेही प्रशासन की होगी.

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