मधेपुरा. ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय के बैचलर ऑफ कंप्यूटर एप्लीकेशन (बीसीए) विभाग में शनिवार को कृत्रिम बुद्धिमत्ता और संस्थानिक नैतिकता विषय पर संवाद का आयोजन किया गया है. मौके पर मुख्य अतिथि सह मुख्य वक्ता बीएनएमयू पूर्व कुलपति प्रो ज्ञानंजय द्विवेदी ने कहा कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआइ) को उत्तरदायित्व के साथ आगे बढ़ाने की जरूरत है. इसके लिए इसमें नैतिकता का समावेश होना चाहिये. एआइ का विकास नवोन्मेषी होने के साथ ही सांस्कृतिक मूल्यों व नैतिकता के प्रति सम्मानपूर्ण होना चाहिये. उन्होंने कहा कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता मशीनों द्वारा मानवीय बुद्धिमत्ता की नकल करने की क्षमता है. जैसे-जैसे एआइ दैनिक जीवन का अभिन्न अंग बनता जा रहा है, इसके नैतिक निहितार्थों पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता भी अनुभव की जा रही है. पूर्वाग्रहों को बनाये रखने, निजता का उल्लंघन करने और रोजगार विस्थापन का कारण बनने की इस प्रौद्योगिकी की क्षमता महत्त्वपूर्ण चिंताएं पैदा करती है. उन्होंने कहा कि एआइ विकास की तेज गति प्रायः मौजूदा नियामक ढांचों से संबोधित नहीं हो पाती, जिससे जवाबदेही तथा जिम्मेदार उपयोग की समस्याएं और जटिल हो जाती हैं. उन्होंने बताया कि एआइ से आशय किसी कंप्यूटर या कंप्यूटर द्वारा नियंत्रित रोबोट की उस क्षमता से है, जिसके तहत वे ऐसे कार्य कर सकते हैं, जिनके लिये आमतौर पर मानवीय बुद्धिमत्ता व निर्णय क्षमता की आवश्यकता होती है. हालांकि कोई भी एआइ उन सभी कार्यों को कर सकने में सक्षम नहीं है, जिन्हें एक औसत मानव कर सकता है. फिर भी कुछ एआइ प्रणालियां कुछ विशिष्ट कार्यों को करने में उत्कृष्टता रखती हैं. कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रधानाचार्य प्रो कैलाश प्रसाद यादव ने की. उन्होंने कहा कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता के कारण संस्थानिक नैतिकता प्रभावित हो रही है. इसके कई मनोविज्ञान दुष्प्रभाव भी सामने आ रहे हैं. इसके पूर्व अतिथियों का अंगवस्त्रम् से सम्मान किया. कार्यक्रम का संचालन समन्वयक डॉ सुधांशु शेखर तथा धन्यवाद ज्ञापन विभागाध्यक्ष केके भारती ने किया. मौके पर असिस्टेंट प्रो अखिलेश कुमार, अशिम आनंद, कुंदन कुमार सिंह, कार्यालय सहायक रणवीर कुमार, बीबीए के सहायक सावन कुमार उर्फ रूपेश, राजदीप, अशोक मुखिया आदि उपस्थित थे.
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