पांव पसारने लगा डेंगू, निजी क्लिनिकों में भर्ती हो रहे मरीज

मधेपुरा : शहर में लगातार डेंगू का प्रकोप बढ़ता जा रहा है, जहां शहर के विभिन्न प्राइवेट अस्पतालों में डेंगू के रोजाना दर्जनों मरीज भर्ती हो रहे हैं. वही सदर अस्पताल में एक भी डेंगू का मरीज चिह्नित नहीं किया गया. अब इसको सदर अस्पताल की लापरवाही कहे कि वह डेंगू के लक्षणों का पता […]

By Prabhat Khabar Print Desk | September 20, 2019 7:57 AM

मधेपुरा : शहर में लगातार डेंगू का प्रकोप बढ़ता जा रहा है, जहां शहर के विभिन्न प्राइवेट अस्पतालों में डेंगू के रोजाना दर्जनों मरीज भर्ती हो रहे हैं. वही सदर अस्पताल में एक भी डेंगू का मरीज चिह्नित नहीं किया गया. अब इसको सदर अस्पताल की लापरवाही कहे कि वह डेंगू के लक्षणों का पता नहीं लगा पाती है या सदर अस्पताल में डॉक्टरों द्वारा बरती जा रही लापरवाही. इस वजह से मरीज सदर अस्पताल में जाने से भागते हैं.

इस बाबत शहर के विभिन्न प्राइवेट अस्पतालों में भर्ती मरीजों ने बताया की डेंगू जैसी खतरनाक जानलेवा बीमारियों में सदर अस्पताल पर भरोसा करना अपनी जान से खिलवाड़ करने जैसा है. सदर अस्पताल में जब छोटी मोटी बीमारियां का इलाज ढंग से नहीं हो पाता तो डेंगू जैसे बीमारियों को लेकर सदर अस्पताल पर कैसे भरोसा किया जा सकता है.
निजी नर्सिंग होम में अबतक आठ मरीज भर्ती : राशि हेल्थ केयर में तैनात चिकित्सक डॉ राकेश रोशन ने बताया कि पिछले सात दिन में हमारे पास आठ डेंगू के मरीज आ चुके हैं.
जिनका इलाज किया जा रहा है. जिनमें कुछ का इलाज करके उन्हें ठीक कर दिया गया है. एक ज्यादा गंभीर रहने के वजह से उन्हें बाहर रेफर कर दिया गया है, जबकि कुछ अभी भी भर्ती हैं. रोजाना डेंगू के पीड़ित अस्पताल में पहुंच रहे है.
क्या है डेंगू बुखार
मानसून की बारिश के दौरान मादा एडीज एजिप्टी मच्छर खूब पनपता है. यही कारण है इस दौरान सबसे ज्यादा मामले सामने आते हैं, लेकिन यह भी सच है कि यह बीमारी साल भर में किसी भी समय फैल सकती है.
डेंगू (रक्तस्रावी वायरल बुखार) का सबसे बड़ा लक्षण है. ठंड के साथ बुखार आना. इसके असर से शरीर में प्लेटलेट्स (छोटे छोटे रक्त कण जो खून का थक्का जमने में मददगार होते हैं और खून बहने नहीं देते) और सफेद रक्त कोशिकाओं की गणना से संबंधित ल्यूकोसाइट काउंट कम होते हैं.
डेंगू लिवर पर अटैक करता है और शरीर में दर्द होता है. डेंगू बुखार के चार प्रकार हैं. यह जानना भी महत्वपूर्ण है कि एक व्यक्ति एक प्रकार के डेंगू से दो बार संक्रमित नहीं होता है. यानी यदि किसी को दूसरी बार डेंगू बुखार आया है तो उस पर दूसरे स्टीरियोटाइप का इन्फेक्शन हुआ है. डेंगू बुखार बहुत तेज हो तो उल्टी होती है. आंतरिक रक्तस्राव हो सकता है. झटके भी लगते हैं. इसे डेंगू शॉक सिन्ड्रॉम कहा जाता है.
डेंगू के लक्षण
डेंगू का लक्षण तेज बुखार है. डेंगू के दौरान मांसपेशियों और हड्डियों में दर्द रहता है. मिचलाना या नॉजीआ भी एक लक्षण है. डेंगू में आपको घबराहट महसूस होती है. डेंगू में छोटे लाल चकत्ते या रैशेस हो जाते है. इन रैशेस में कभी कभी खुजली भी होती है. ज्यादातर डेंगू से पीड़ित लोग आंख के पीछे दर्द की शिकायत करते हैं. यह दर्द आंखों की मूवमेंट से बढ़ता है. डेंगू में थकावट महसूस होती है.
रोकथाम ही सबसे बड़ा इलाज
डेंगू का सबसे बड़ा इलाज यही है कि मच्छरों से खुद को बचाया जाय. आमतौर पर जो सलाह दी जाती है उनमें शामिल हैं. अपने आसपास के स्थानों पर सफाई रखें, पानी जमा न होने दें. मच्छर पनप चुके हो तो खुद को बचाएं. पूरे शरीर को ढंकने वाले कपड़े पहने.
डेंगू के लक्षण नजर आएं तो क्या करें
यदि किसी व्यक्ति में डेंगू जैसे लक्षण नजर आते हैं तो वह तत्काल डॉक्टर से मिले. उसकी सलाह पर ब्लड टेस्ट कराएं. अधिकांश मामलों में डेंगू का असर एक समय तक ही रहता है. हफ्ते या 10 दिन बाद हालात अपने आप सामान्य होने लगते हैं. फिर भी किसी भी वायरल फीवर की तरह इस दौरान शरीर को हाइड्रेटेड रखें यानी पानी भरपूर पीएं.
जिले के विभिन्न प्रखंडों में डेंगू का प्रकोप लगातार बढ़ता जा रहा है. खासकर उदाकिशनगंज से ज्यादा मरीज आये हैं.
डॉ राकेश रोशन, वरीय चिकित्सक, कर्पूरी ठाकुर मेडिकल कॉलेज, मधेपुरा
सदर अस्पताल में डेंगू को लेकर सभी प्रकार की व्यवस्था है. मरीज के आने पर इलाज किया जायेगा. डेंगू को लेकर घबराने की जरूरत नहीं है.
डॉ अशोक कुमार चौधरी, मलेरिया पदाधिकारी

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