भगवान को प्रणाम कैसे और कब करें, तय कर रहे अधिकारी, प्रतिबंधित समय में दंडवत करने पर श्रद्धालुओं पर कार्रवाई की चेतावनी

रूपेश कुमार @ मधेपुरा राज्य के सबसे बड़े शिव मंदिर सिहेंश्वर नाथ की जमीन बचाने में अक्षम न्यास समिति और अधिकारियों ने तुगलकी आदेश जारी करते हुए रविवार व सोमवार को सुबह पांच बजे से दिन के दो बजे तक दंड प्रणाम करने पर रोक लगा दिया है. इस संबंधी आदेश तक मंदिर में न्यास […]

By Prabhat Khabar Print Desk | December 15, 2017 10:59 PM

रूपेश कुमार @ मधेपुरा

राज्य के सबसे बड़े शिव मंदिर सिहेंश्वर नाथ की जमीन बचाने में अक्षम न्यास समिति और अधिकारियों ने तुगलकी आदेश जारी करते हुए रविवार व सोमवार को सुबह पांच बजे से दिन के दो बजे तक दंड प्रणाम करने पर रोक लगा दिया है. इस संबंधी आदेश तक मंदिर में न्यास समिति की ओर से चिपका दिया गया है. इस तुगलकी आदेश के बाद स्थानीय लोगों में यह चर्चा का विषय बना हुआ है कि आखिरकार ईश्वर को प्रणाम कब और कैसे करें, इसे निर्धारित कैसे किया जा सकता है.
चिपकायी गयी भ्रामक सूचना
मंदिर की दीवारों पर चिपकायी गयी सूचना में दिया गया है कि जनहित में सभी श्रद्धालुओं से अनुरोध किया जाता है कि रविवार व सोमवार की सुबह पांच बजे से दोपहर दो बजे तक श्रद्धालुओं द्वारा दंडवत प्रणाम नहीं किया जायेगा. यदि किसी श्रद्धालु द्वारा इस आदेश का पालन नहीं किया जाता है तो उनके विरुद्ध विधिसम्मत कार्रवाई की जायेगी.
आखिर किस धारा में होगी कार्रवाई
इस तरह के गैर जिम्मेदाराना व तुगलकी निर्णय से श्रद्धालुओं में बेचैनी का माहौल है. बुद्धिजीवी इस निर्णय को हास्यास्पद भी बता रहे हैं. उनका सवाल है कि आखिर प्रतिबंधित समय में दंडवत देने पर किस धारा के तहत कार्रवाई की जायेगी. इस तरह का आदेश न्यास समिति की अक्षमता का परिचायक है. न्यास अपनी क्षमता व व्यवस्था को सुदृढ़ करने के बजाय श्रद्धालुओं की भावना को ठेस पहुंचा रहे हैं.
न्यास अपना कार्य करने में है अक्षम
सिंहेश्वर न्यास समिति की जमीन का एक बड़ा हिस्सा वर्षों से अतिक्रमणकारियों की चपेट में है. मुक्त कराने के नाम पर केवल अमीन पर अमीन की प्रतिनियुक्ति की बात भर होती है, लेकिन अतिक्रमणकारियों से जमीन मुक्त नहीं कराया जाता है. इसके अलावा कई तरह के भ्रष्टाचार व्याप्त हैं, जिन पर न्यास कोई कार्रवाई नहीं करता और मौन साधे हुए है.
30 अक्तूबर को ही भेजा गया था पत्र
सिंहेश्वर मंदिर न्यास समिति के तत्कालीन सचिव ने विगत 30 अक्तूबर को ही आदेश जारी किया गया था. पत्र में उन्होंने आदेश दिया था कि रविवार व सोमवार को मंदिर में अत्यधिक भीड़ होती है, इसमें दुर्घटना की आशंका भी होती है. अत: जनहित में आदेश दिया जाता है कि रविवार व सोमवार की सुबह पांच बजे से दोपहर दो बजे तक श्रद्धालुओं द्वारा दंडवत प्रणाम नहीं किया जायेगा. यदि किसी श्रद्धालु द्वारा इस आदेश का पालन नहीं किया जाता है तो उनके विरुद्ध विधिसम्मत कार्रवाई की जायेगी.
30 अक्तूबर को जारी यह आदेश अब जा कर अमल में लाते हुए यह आदेश अंकित सूचना मंदिर परिसर में चिपकायी गयी है. गौरतलब यह है कि पत्र में कहीं भी जिलाधिकारी का न जिक्र है और न पत्र की प्रतिलिपि ही भेजी गयी है, इसके बावजूद चिपकायी गयी सूचना में जिलाधिकारी का नाम अंकित कर दिया गया.
यह आदेश किसने और क्यों दिया, इसकी मुझे कोई जानकारी नहीं है. पूजा करने की पद्धति क्या हो, यह किसी भी व्यक्ति का मौलिक अधिकार है. हाल ही में मैंने एनजीटी द्वारा मंदिर में घंटी बजाने और धूपबत्ती जलाने के खिलाफ लिये गये फैसले के विरूद्ध सुप्रीम कोर्ट को भी लिखा है. सिंहेश्वर मंदिर में इस तरह का कोई भी निर्णय लिया जाना मूर्खतापूर्ण है. मैंने सिंहेश्वर मंदिर न्यास समिति के सचिव से इस बारे में बात की है. उनसे कहा गया है कि अगर ऐसा कोई निर्देश है तो उसे फौरन रद्द करें. वहीं, मंदिर की दीवार पर चिपकाये पोस्टर में जिलाधिकारी लिखने के मामले में न्यास के पदाधिकारी पर कार्रवाई का भी निर्देश दिया है.
मो सोहैल, जिलाधिकारी
डीएम ने 24 घंटे के भीतर मांगा प्रतिवेदन
प्रभात खबर द्वारा इस मामले को सामने लाये जाने के बाद डीएम ने सिंहश्वर मंदिर न्यास समिति के सचिव सह डीडीसी को पत्र लिख कर कहा है कि शुक्रवार को व्हाट्स अप पर सूचना मिली कि जिलाधिकारी के आदेशानुसार दंडवत पर रविवार व सोमवार को प्रतिबंध लगाया गया है. डीएम द्वारा इस संबंध में कोई आदेश नहीं दिया गया है. फिर भी इस प्रकार की सूचना डीएम के संबंध में प्रकाशित की गयी है. तत्काल इसे हटाया जाये. सिंहेश्वर मंदिर में सभी धार्मिक कार्यों के लिए न्यास प्राधिकृत है. साथ ही व्यवस्थापक सिंहेश्वर मंदिर न्यास समिति सिंहेश्वर पर अनुशासनात्मक कार्रवाई कर 24 घंटे के अंदर प्रतिवेदन उपलब्ध कराया जाये.

Next Article

Exit mobile version