स्वतंत्रता संग्राम व सामाजिक चेतना का केंद्र रहा श्री जगदंबा पुस्तकालय : राज्यपाल
स्वतंत्रता संग्राम व सामाजिक चेतना का केंद्र रहा श्री जगदंबा पुस्तकालय : राज्यपाल
बड़हिया. नगर परिषद क्षेत्र का गौरव, ज्ञान और स्वतंत्रता आंदोलन का साक्षी श्री जगदंबा हिंदी पुस्तकालय सोमवार को अपने शताब्दी समापन समारोह का गवाह बना. सौ साल पुराने इस ऐतिहासिक पुस्तकालय के समापन समारोह को भव्यता और ऐतिहासिक माहौल में आयोजित किया गया. समारोह में बिहार के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए. मंच पर उनके साथ बिहार के उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा, विधान परिषद सदस्य प्रो संजय कुमार सिंह, डीएम मिथिलेश मिश्र, एसपी अजय कुमार सहित कई जनप्रतिनिधि और बड़ी संख्या में बुद्धिजीवी, सामाजिक कार्यकर्ता एवं स्थानीय नागरिक उपस्थित रहे.
इस दौरान राज्यपाल ने अपने संबोधन में कहा कि यह पुस्तकालय केवल किताबों का संग्रहालय नहीं, बल्कि स्वतंत्रता संग्राम और सामाजिक चेतना का केंद्र भी रहा है. “उस दौर में जब देश गुलामी की जंजीरों में बंधा था, यह पुस्तकालय स्वतंत्रता सेनानियों की गतिविधियों का भी आधार बना. इसलिए यह धरती पुण्यभूमि कही जायेगी”. उन्होंने स्थापना काल के उन लोगों को नमन किया जिन्होंने गांव में ही इतने बड़े पुस्तकालय की कल्पना और स्थापना की.ज्ञान और संस्कृति का केंद्र है भारत
राज्यपाल ने कहा कि भारत की संस्कृति ज्ञान और आध्यात्मिकता पर आधारित है. उन्होंने कहा कि “हमारे यहां कहा गया है कि ज्ञान ही हमें बंधनों से मुक्त करता है. पुस्तकें सिर्फ सूचना नहीं देतीं, बल्कि वे हमें नये संसार में ले जाती हैं. जिस तरह संसार को ‘विष वृक्ष’ कहा गया है, उसी तरह इसमें दो अमृत फल बताये गये हैं. पुस्तकों का ज्ञान और सज्जनों की संगति”.उन्होंने आगे कहा कि “भारतीय समाज का विशेष गुण ज्ञान की परंपरा है. हमारे यहां मां सरस्वती को सभी भाषाओं का वाहक माना गया है. जितनी अधिक भाषाएं सीखेंगे, उतना समाज में सामंजस्य और सद्भाव पैदा होगा”.
भारत की शक्ति-ज्ञान और अध्यात्म
राज्यपाल ने वैश्विक परिप्रेक्ष्य का उल्लेख करते हुए कहा कि आज पूरी दुनिया मान रही है कि भारत को हराना या दबाना संभव नहीं है. उन्होंने अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा, चीन के उद्योगपति जैक मा और ब्रिटेन के विद्वानों के विचारों का उल्लेख करते हुए कहा कि “21वीं सदी भारत की है. भारत अपनी पहचान सैन्य शक्ति से नहीं, बल्कि ज्ञान और अध्यात्म से कराता है. भारत केवल अपना कल्याण नहीं चाहता, बल्कि संपूर्ण मानवता का कल्याण चाहता है. यही भारतीय संस्कृति की विशिष्टता है”. उन्होंने कहा “भारत केवल भूभाग नहीं, बल्कि एक विचार है. यह विचार हमें सिखाता है कि शक्ति का प्रयोग दबाव बनाने के लिए नहीं, बल्कि विश्व कल्याण के लिए होना चाहिए. यही कारण है कि भारत आज वैश्विक मंच पर सबसे अलग पहचान बना रहा है”.
पुस्तक और सज्जनों की संगति है जीवन का अमृत
राज्यपाल ने साहित्य और पुस्तकों के महत्व पर कहा “कोई भी परिस्थिति क्यों न हो, जब आप किताब पढ़ते हैं तो आप उसी दुनिया में चले जाते हैं जिसकी चर्चा किताब करती है. यही उसकी सबसे बड़ी शक्ति है. सज्जनों की संगति और साहित्यिक कृतियां जीवन के लिए अमृत समान हैं”.
शताब्दी दर्पण पत्रिका का लोकार्पण
समारोह के दौरान पुस्तकालय की गौरवशाली परंपरा और सौ वर्षीय यात्रा को समर्पित ‘शताब्दी दर्पण’ पत्रिका का लोकार्पण राज्यपाल के कर-कमलों से किया गया. पत्रिका में पुस्तकालय की स्थापना से लेकर आज तक की ऐतिहासिक यात्रा, स्वतंत्रता संग्राम में इसकी भूमिका और स्थानीय समाज के सांस्कृतिक योगदान का विस्तृत उल्लेख है.
राज्यपाल ने दिया पुनः आने का आश्वासन
कार्यक्रम के अंत में राज्यपाल ने आयोजन समिति को धन्यवाद देते हुए कहा कि “पटना की खुदा बख्श लाइब्रेरी और पटना विश्वविद्यालय के बाद यदि बिहार में इतनी पुरानी और विशाल लाइब्रेरी किसी गांव में स्थापित हुई, तो यह गर्व की बात है. मैं यहां पुनः आकर और समय बिताना चाहूंगा”. उन्होंने युवाओं को खेलकूद और पठन-पाठन दोनों में समान रुचि लेने की सलाह दी. कार्यक्रम के समापन पर उपस्थित जनसमूह ने “भारत माता की जय” और “जय हिंद” के नारों से पूरे वातावरण को गुंजायमान कर दिया.
पुस्तकालय से निकलने वाली शिक्षा व संस्कार ने अनगिनत युवाओं को दी नयी दिशा
श्री जगदंबा पुस्तकालय के शताब्दी समारोह के समापन के मौके पर उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए डिप्टी सीएम विजय कुमार सिन्हा ने कहा कि यह पुस्तकालय एक शताब्दी से अधिक समय से केवल पुस्तकों का भंडार नहीं, बल्कि ज्ञान, विचार और संस्कृति का एक प्रमुख केंद्र रहा है. यहां से निकलने वाली शिक्षा और संस्कार की धारा ने अनगिनत युवाओं को नयी दिशा दी है. उन्होंने कहा कि आज जब नयी पीढ़ी तकनीक और डिजिटल माध्यमों के जरिए आगे बढ़ रही है, तब ऐसे ऐतिहासिक पुस्तकालय हमें हमारी भाषा, साहित्य और परंपरा से जोड़ते हुए आत्मबल और चिंतन की शक्ति प्रदान करते हैं. आने वाले समय में यह पुस्तकालय युवाओं को प्रेरित करता रहेगा और लखीसराय ही नहीं, बल्कि पूरे बिहार के शैक्षिक एवं सांस्कृतिक विकास का आधार बनेगा.
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