श्रीकृष्ण जन्मोत्सव नयी पीढ़ी को संस्कारित करने का अद्वितीय माध्यम : प्राचार्या
प्रतिवर्ष की भांति विद्या भवन, बालिका विद्यापीठ, शक्ति उत्थान आश्रम लखीसराय में ललित कला संस्थान के तत्वावधान में श्रीकृष्ण जन्मोत्सव सह वार्षिकोत्सव का आयोजन किया गया.
बालिका विद्यापीठ शक्ति उत्थान आश्रम में कार्यक्रम का किया गया आयोजन
बालिका विद्यापीठ के विद्यार्थियों की प्रतिभा और अनुशासन है अनुकरणीय : डीएम
लखीसराय. प्रतिवर्ष की भांति विद्या भवन, बालिका विद्यापीठ, शक्ति उत्थान आश्रम लखीसराय में ललित कला संस्थान के तत्वावधान में श्रीकृष्ण जन्मोत्सव सह वार्षिकोत्सव का आयोजन किया गया. शनिवार की देर शाम बड़े ही धूमधाम, भक्ति-भाव और उल्लासपूर्ण वातावरण में कार्यक्रम संपन्न हुआ. इस दौरान विद्यालय का संपूर्ण प्रांगण रंग-बिरंगी झांकियों, सजावट, पुष्प-वर्षा और भक्ति संगीत से गूंज उठा.
कार्यक्रम का शुभारंभ मंगलाचरण नृत्य एवं स्वागत गीत से हुआ. इसके बाद दीप प्रज्वलन एवं संवर्धन के साथ मुख्य अतिथि विधायक प्रह्लाद यादव, डीएम मिथिलेश मिश्र, विशिष्ट अतिथि एसडीएम प्रभाकर कुमार, गणमान्य अतिथियों में डीसीएलआर सीतू शर्मा, शिक्षा विभाग की डीपीओ नीलम राज, बिस्कोमान के उपाध्यक्ष महेश राय का स्वागत किया गया. मौके पर विद्यालय की प्राचार्या कविता सिंह ने अतिथियों का स्वागत तिलक, पुष्पगुच्छ और मंगल वचनों से किया.कार्यक्रम को संबोधित करते हुए डीएम ने कहा की बालिका विद्यापीठ की ये प्रस्तुतियां हमारी सांस्कृतिक धरोहर को जीवंत कर रही हैं. यहां के विद्यार्थियों की प्रतिभा और अनुशासन अनुकरणीय है. एसडीएम प्रभाकर कुमार ने कहा कि ऐसे आयोजन बच्चों में आत्मविश्वास और सृजनात्मक ऊर्जा का संचार करते हैं. कला ही बच्चों की अभिव्यक्ति का सबसे प्रभावी माध्यम है. महेश राय ने भी छात्राओं की भूरी-भूरी प्रशंसा करते हुए उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की. वहीं अपने स्वागत भाषण में प्राचार्या ने कहा कि श्रीकृष्ण जन्मोत्सव केवल धार्मिक उत्सव नहीं, बल्कि सांस्कृतिक मूल्यों और हमारी परंपराओं के पुनर्जागरण का महापर्व है. बालिका विद्यापीठ सदैव शिक्षा और संस्कृति के समन्वय से नयी पीढ़ी को प्रेरित करता रहा है.
इस दौरान सांस्कृतिक कार्यक्रमों की शृंखला में छात्राओं ने एक से बढ़कर एक झांकी, नाट्य और नृत्य प्रस्तुत कर दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया. जिसमें कारागार प्रसंग, कंस का दरबार, देवकी विदाई, कंस का कारागार आगमन और कंस वध जैसे नाटकों ने कृष्ण की जीवन गाथा को जीवंत कर दिया. पूतना वध और माखन चोरी की प्रस्तुति में बच्चों ने अत्यंत भावपूर्ण अभिनय कर दर्शकों की आंखें नम कर दीं. वहीं महाभारत प्रसंग एवं कंस दरबार ने कृष्ण के जीवन के विभिन्न पहलुओं को उजागर किया. वहीं मैया यशोदा, राधा कैसे न जले, श्याम तेरी बंसी पुकारे राधा नाम, जट जटिन नृत्य, सोहर बधावा, रस नृत्य, गजल (न जी भर के देखा) तथा क्लासिकल कथक डांस जैसी प्रस्तुतियों ने संपूर्ण वातावरण को कृष्णमय बना दिया.उलाहना लाडला कन्हैया नृत्य और रंगीलो मारो ढोलना (राजस्थानी) नृत्य ने कार्यक्रम में विविधता और लोक संस्कृति की झलक प्रस्तुत की. वहीं विश्वरूप दर्शन और यशोदा के कन्हैया ने दर्शकों को भावविभोर कर दिया. कार्यक्रम की अंतिम प्रस्तुति राष्ट्रगान के साथ हुई, जिसमें पूरा सभागार एक स्वर में गूंज उठा.
इसके उपरांत शिक्षा, खेलकूद, कला और विभिन्न गतिविधियों में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाली छात्राओं को अतिथियों ने सम्मानित किया. सभी दर्शकों में प्रसाद वितरण भी किया गया. विद्यालय की प्राचार्या कविता सिंह ने कार्यक्रम की सफलता का श्रेय सभी शिक्षक-शिक्षिकाओं, विद्यार्थियों और सहयोगियों को देते हुए कहा कि आप सबके अथक प्रयासों और सहयोग से ही यह आयोजन अविस्मरणीय बन पाया. श्रीकृष्ण जन्मोत्सव केवल भक्ति और आनंद का पर्व नहीं, बल्कि यह हमारी जड़ों से जुड़ने और नयी पीढ़ी को संस्कारित करने का अद्वितीय माध्यम है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है
