नेपाली दुल्हन को साबित करनी होगी नागरिकता
नेपाली दुल्हन को साबित करनी होगी नागरिकता
ठाकुरगंज. भारत-नेपाल के बीच बेटी-रोटी का रिश्ता रहा है. जिले के सीमावर्ती इलाकों के प्रखंडों में अधिकांश युवक-युवतियों की शादी दोनों देशों में होती रही है. जिले के ठाकुरगंज, दिघलबैंक और टेढ़ागाछ प्रखंड क्षेत्र में नेपाल के सीमावर्ती गांवों से बड़ीं संख्या में लड़कियां शादी के बाद आई है, जो वर्षों से अपने पति और बच्चों के साथ भारत के सीमावर्ती जिले में रह रही हैं. इनमें से कई के पास भारत का राशन कार्ड, आधार कार्ड, मतदाता पहचान पत्र है. अब मतदाता सूची गहन पुनरीक्षण अभियान में उन्हें भारतीय नागरिकता का प्रमाण देना अनिवार्य कर दिया गया है. इसको लेकर ऊहापोह की स्थिति उत्पन्न हो गई है. जिले के सीमावर्ती गांवों में करीब 10 प्रतिशत लड़कियों की शादी नेपाल सीमा से सटे झापा, मोरंग, भद्रपुर, चन्द्र्गढ़ी, बनियानी, डूबडूबी, पगलीभिट्टा, केचना, पाठामारी आदि में हुई है. इन इलाकों से सैकड़ों परिवारों में शादी कर लाई गई नेपाली बेटियों को भारत की वैवाहिक अंगीकृत नागरिकता मिल गई है. इस आधार पर मतदाता सूची में उनका नाम दर्ज किया गया है. जिसके तहत वह मतदान भी करती हैं.
नियम के अनुसार
भारतीय नागरिकता अधिनियम 1955 के अनुसार यदि कोई विदेशी महिला किसी भारतीय नागरिक से वैध रूप से विवाह करती है. लगातार सात वर्ष भारत में निवास करती है, तो वह भारतीय नागरिकता के लिए पात्र है. उसे गृह मंत्रालय को आवेदन देना होगा. इसके लिए विवाह निबंधन प्रमाण पत्र समेत भारत में लगातार सात साल के निवास का प्रमाण देना अनिवार्य है. भारतीय नागरिकता लेने के लिए यदि कोई नेपाली बेटी भारतीय नागरिक से विवाह की है तो विवाह का प्रमाण पत्र (मैरिज सर्टिफिकेट) व भारत में सात वर्ष से लगातार निवास का प्रमाण (आवासीय दस्तावेज) के साथ गृह मंत्रालय की वेबसाइट पर ऑनलाइन आवेदन (फॉर्म सात) के साथ कर सकती है. स्थानीय एसडीओ व डीएम स्तर पर सत्यापन कर गृह मंत्रालय द्वारा अंतिम मंजूरी एवं प्रमाण पत्र निर्गत होता है. लेकिन सीमावर्ती इलाकों मे वर्षों से बिना इन प्रक्रियाओं का पालन करते हुए लोग रहते आये हैं. अधिकतम परिवारों को इस प्रक्रिया की जानकारी भी नहीं है. परिवारों की सहमति से यहां शादियां होती है. ऐसे में तो इनके पास विवाह निबंधन का प्रमाण पत्र भी नहीं है.2003 की मतदाता सूची से मिली राहत
तमाम विवाद के बीच भारत निर्वाचन आयोग ने जब से यह घोषणा की कि वर्ष 2003 में जिनका नाम मतदाता सूची में दर्ज है. उन्हें नागरिकता प्रमाण देने की जरूरत नहीं है. इसके बाद लोगों ने राहत की सांस ली थी. इस सूची में जिस मतदाता या उनके माता व पिता का नाम नहीं है. उन्हें भारतीय होने का प्रमाण देना होगा. ये प्रमाण शैक्षणिक प्रमाण पत्र, जमीन संबंधी कागजात आदि 11 विकल्प हो सकते हैं. जो युवती 2003 के बाद बिहार में शादी कर आई हैं. उनके पास यदि ये दस्तावेज नहीं हैं तो उन्हें नागरिकता प्रमाण पत्र देना आवश्यक होगा. इस मामले में एआइएमआइएम के नेता गुलाम हसनेन कहते है कि केवल उनके अपने पंचायत दल्लेगांव में सैकड़ो ऐसे परिवार है, जहां नेपाल की बेटिया बहु बनकर आई है. यही हाल तातपोआ, बरचोंदी, चुरली, भातगांव जेसे सभी पंचायतों में है. नयी व्यवस्था में तो अधिकांश लोगों का नाम मतदाता सूची से कट जायेगा. ऐसे में उन्हें अधिकार समाप्त होने का डर सता रहा है. अब नेपाल की बेटियों से यहां के लोग अपने बेटों की शादी करने से भी कतराने लगे हैं, क्योंकि नेपाली बहू का भारत की मतदाता सूची में नाम जुड़वाना आसान नहीं है.——–
केस स्टडी – 01
नेपाल के झापा से ब्याह कर आई गलगलिया की जगमाया देवी कहती हैं कि 2015 मे 10 वर्ष पूर्व शादी हुई थी दो बच्चों की मां भी हूं. मतदाता सूची में नाम है. पिछले कई चुनाव में वोट डाल चुकी हूं.अब भारतीय नागरिकता की प्रमाण पत्र की मांग की जा रही है. शादी के दस वर्ष बाद विवाह निबंधन का प्रमाण पत्र कहां से लाऊं.केस स्टडी- 02
गलगलिया के ही विजेंद्र कुमार यादव की पत्नी माया यादव है मूल रूप से बंगाल के सिलीगुड़ी की निवासी है. इनकी शादी के 7 वर्ष हो गए. अब तक कई चुनाव में मतदान कर चुकी हुं . अब बीएएलओ निवास प्रमाण पत्र मांग रहे है.केस स्टडी- 03
नेपाल ले पगलीभिट्टा निवासी कश्मीरा खातून की शादी एक साल पहले ही दल्लेगांव पंचायत में हुई थी. मुझे यहां की नागरिकता लेने की अनिवार्यता की जानकारी ही नहीं थी. इसके लिए नागरिकता के लिए कोई प्रक्रिया शुरू नहीं की अब दिक्कत आ रही है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है
