Kaimur News : बैट्री चालित ट्राइसाइकिल में खराबी आने पर बनवाने के लिए भटक रहे दिव्यांगजन
उपकरण आसानी से नहीं मिलने से नहीं हो पा रही मरम्मत
मोहनिया सदर. 75 प्रतिशत से अधिक दिव्यांगता प्राप्त वैसे दिव्यांग, जो चलने में पूरी तरह असमर्थ हैं, उनके लिए सरकार से बैट्री चालित ट्राइसाइकिल दी जाती है. ताकि वे आसानी से एक स्थान से दूसरे स्थान तक आ-जा सकें. लेकिन, जब इसी ट्राइसाइकिल में लगे उपकरणों में कोई खराबी आ जाती है, तो यह दिव्यांगों के लिए जी का जंजाल बन जा रही है. ऐसे कई दिव्यांग हैं, जो उक्त साइकिल में खराबी आने पर उसे ठीक कराने के लिए प्रखंड से लेकर जिला मुख्यालय में संचालित साइकिल की निजी दुकानों का चक्कर काट रहे हैं. लेकिन, कहीं भी बैटरी चालित ट्राइसाइकिल में आयीं खराबी को दूर नहीं किया जा रहा है. इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि उक्त साइकिल में लगने वाले कोई भी उपकरण आसानी से कहीं मिल ही नहीं रहा है और न ही जिले में इसका कोई सर्विस सेंटर बनाया गया है. दिव्यांगों की इस समस्या को लेकर सामाजिक सुरक्षा विभाग के पदाधिकारी भी काफी गंभीर हैं, लेकिन इसके निदान के लिए कोई सुविधा उपलब्ध नहीं होने के कारण वह भी विवश हो गये हैं # कंपनी मांग रहीं 7200 रुपये पानापुर पंचायत के अर्रा गांव के रहने वाले दिव्यांग समाजसेवी अनिल कुमार सिंह को प्राप्त बैट्री चालित ट्राइसाइकिल की मोटर खराब हो गयी है. जिसे इ-रिक्शा पर लोड कर वह बारिश में ही भभुआ पहुंचे थे. लेकिन, कहीं भी उनकी खराब साइकिल को ठीक नहीं किया जा सका. कारण कि उसका खराब हुआ पार्ट कहीं मिल ही नहीं सका. इसके बाद थक हार कर जब वे जिला मुख्यालय पहुंचे, तो वहां विभागीय पदाधिकारी द्वारा बताया गया कि उक्त साइकिल की मरम्मत की कोई व्यवस्था जिले में नहीं है. यह कहते हुए उन्हें एलिम्को भागलपुर का नंबर दिया गया, जहां उक्त नंबर पर जब दिव्यांग द्वारा संपर्क किया गया, तो कंपनी के लोगों ने उनको पटना का एक नंबर उपलब्ध कराया. उस नंबर पर संपर्क करने की बात कही गयी. दिव्यांग ने जब उस नंबर पर संपर्क किया, तो वहां के लोगों ने बताया कि उक्त साइकिल में आयी खराबी को दूर करने के लिए, जो उपकरण बदले जायेंगे, उसकी कीमत दिव्यांग को खुद वहन करना होगा. साथ ही उन लोगों द्वारा यह भी बताया गया कि यदि आप पटना आकर स्वयं उपकरण ले जाते हैं, तो 6000 रुपये भुगतान करना होगा और यदि कूरियर के माध्यम से समान मंगवाते हैं, तो 7200 भुगतान करना होगा, तभी दिव्यांग साइकिल को ठीक किया जा सकता है. # वारंटी का समय समाप्त, बात खत्म दिव्यांग अनिल कुमार सिंह ने बताया कि संबंधित पदाधिकारी ने बताया कि उक्त ट्राइसाइकिल की वारंटी एक साल की होती है. इस दौरान भी यदि कोई खराबी आती है, तो बदले जाने वाले पार्ट का खर्च स्वयं दिव्यांग को देना होगा. लेकिन, जब वारंटी का समय समाप्त हो जाता है तो कंपनी भी दिव्यांगों की कोई बात सुनने के लिए तैयार नहीं होती है. वहीं, उन्होंने यह भी बताया कि जब दूसरी बैट्री चालित साइकिल की मांग की गयी, तो संबंधित पदाधिकारी ने कहा कि 10 साल बाद ही आपको दूसरी साइकिल दी जा सकती है. इससे वह काफी मायूस हो गये और वापस खाली हाथ घर लौटना पड़ा. वहीं, दिव्यांग का कहना है कि हम लोग ऐसे ही दिव्यांग हैं. इतना महंगा उपकरण हमलोग कहां से खरीद पायेंगे. इसके लिए सरकार को कुछ अनुदान देना चाहिए था. बैट्री चालित साइकिल में खराबी आने के बाद यह हम लोगों के लिए और भी सिर दर्द हो गया है. # बोलीं अधिकारी इस संबंध में पूछे जाने पर सहायक निदेशक जिला सामाजिक सुरक्षा कोषांग कैमूर अतुल कुमारी ने बताया कि मेरा तो स्थानांतरण हो चुका है, लेकिन जिले में कहीं बैट्री चालित ट्राइसाइकिल का सर्विस सेंटर नहीं है. इसमें यदि कोई कमी आती है, तो उसमें लगाये जाने वाले नये उपकरण का भुगतान स्वयं दिव्यांग को करना होगा. पिछले वर्ष चांद में कैंप भी लगवाया गया था. इसकी वारंटी सिर्फ एक वर्ष की होती है जिसकी अवधि समाप्त होने के बाद कंपनी के लोग सुनते नही है.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है
