नव वर्ष 2026 में माता मुंडेश्वरी धाम व इको पार्क बनेगा श्रद्धालुओं व पर्यटकों की पहली पसंद
पवरा पहाड़ी स्थित इको पार्क नव वर्ष पर रहेगा खास आकर्षण
पवरा पहाड़ी स्थित इको पार्क नव वर्ष पर रहेगा खास आकर्षण दर्शन, प्रकृति व रोमांच का अनोखा संगम भगवानपुर. विश्व के कोने-कोने में विख्यात कैमूर जिले के भगवानपुर प्रखंड अंतर्गत पवरा पहाड़ी पर स्थित माता मुंडेश्वरी धाम आस्था का प्रमुख केंद्र होने के साथ-साथ पर्यटन स्थल के रूप में भी अपनी अलग पहचान बना चुका है. यहां नववर्ष 2026 की पहली तारीख को पर्यटक पहुंचकर माता आदि शक्ति का दर्शन पूजन करने के साथ-साथ न्यू ईयर भी सेलिब्रेट कर सकते हैं. देश के विभिन्न प्रांतों व विदेशों से आने वाले आस्थावान श्रद्धालु यहां माता महाशक्ति का दर्शन पूजन करते हैं, वहीं बतौर पर्यटक भी सैकड़ों की संख्या में लोगों का यहां आना-जाना लगा रहता है. इसकी मुख्य वजह हरी-भरी पवरा पहाड़ी, प्राचीन शिलालेख व पहाड़ी के नीचे हाल के वर्षों में बना मां मुंडेश्वरी वन्य जीव प्राणी इको पार्क है. श्रद्धालु जहां मंदिर में स्थापित माता मुंडेश्वरी, महामंडलेश्वर महादेव, भगवान श्री गणेश सहित अन्य देवी-देवताओं की भक्ति भाव से पूजा-अर्चना करते हैं, वहीं लौटने के क्रम में इको पार्क का भ्रमण किये बिना खुद को रोक नहीं पाते. मुंडेश्वरी पहाड़ी के नीचे 14 एकड़ में फैला हैं इको पार्क मुंडेश्वरी पहाड़ी के नीचे स्थित वन्य जीव प्राणी इको पार्क करीब 14 एकड़ क्षेत्र में फैला हुआ है, जिसे बनाने में करीब 10 करोड़ रुपये खर्च आये हैं. इको पार्क के विभिन्न हिस्सों में हिरण, भालू, डायनासोर, काला हिरण, बाघ, तेंदुआ, शेर, चीता, लंगूर, बंदर, मोर सहित अन्य पशु-पक्षियों के कृत्रिम चित्र बनाये गये हैं, जो पर्यटकों को खूब लुभाते हैं. पार्क में करीब 10 आर्टिफिशियल वृक्ष बनाये गये हैं, जो अलग-अलग प्रतिक्रिया करते नजर आते हैं. योग करते हुए रोते हुए, हंसते हुए व वृद्धावस्था को दर्शाते इन वृक्षों को देखकर ऐसा प्रतीत होता है मानो वे पर्यावरण संरक्षण का संदेश दे रहे हों. इनसे बच्चे विशेष रूप से प्रभावित होते हैं और पर्यावरण के प्रति जागरूक होते हैं. पार्क के एक हिस्से में आर्टिफिशियल इंसान द्वारा सूर्य नमस्कार किये जाने के साथ-साथ उसकी सभी अवस्थाओं को दर्शाया गया है, ताकि लोग योग व प्राणायाम के प्रति जागरूक होकर अपने स्वास्थ्य पर ध्यान दे सकें. वहीं, गांधी जी के तीनों बंदरों को भी दर्शाया गया है, जो बुरा मत बोलो, बुरा मत सुनो व बुरा मत देखो के प्रतीक हैं. इको पार्क के ऊपरी हिस्से में ओपन एयर थिएटर बनाया गया है, जहां से पार्क व धाम क्षेत्र के विभिन्न हिस्सों को देखकर पर्यटक रोमांचित हो जाते हैं. पार्क के ऊपर बांस से निर्मित फ्लाई ओवर ब्रिज भी बनाया गया है, जो इको पार्क को दो हिस्सों में बांटता है और आकर्षण का केंद्र बना हुआ है. पार्क के उत्तरी हिस्से को चिल्ड्रन पार्क नाम दिया गया है, जहां आकर्षक पुष्प, शो प्लांट्स व औषधीय पौधे लगाये गये हैं. वहीं वन विभाग का पुराना वॉच टावर भी मौजूद है, हालांकि सुरक्षा कारणों से उसपर चढ़ना प्रतिबंधित कर दिया गया है. दक्षिणी कैंपस में रंग-बिरंगे सेल्फी प्वाइंट बनाये गये हैं, जहां पर्यटक परिवार के साथ फोटो खिंचवाते नजर आते हैं. तीन वर्ष से छोटे बच्चों के लिए प्रवेश निःशुल्क इको पार्क में कुल तीन भव्य वृक्षनुमा गेट बनाये गये हैं. इनमें से पहले व दूसरे गेट पर टिकट काउंटर निर्धारित हैं. एडल्ट पर्यटकों के लिए प्रति व्यक्ति 20 रुपये व बच्चों के लिए 10 रुपये टिकट शुल्क निर्धारित किया गया है. बच्चों के लिए इलेक्ट्रिक टॉय कार की सुविधा भी है, जिसके लिए प्रति बच्चा 50 रुपये अतिरिक्त शुल्क लिया जाता है. तीन वर्ष से छोटे बच्चों के लिए प्रवेश निःशुल्क है. वहीं समूह में यूनिफार्म पहनकर आने वाले स्कूली बच्चों को भ्रमण शुल्क में 50 प्रतिशत की छूट दी गयी है. कुल मिलाकर नव वर्ष के अवसर पर माता मुंडेश्वरी के दर्शन के साथ-साथ इको पार्क श्रद्धालुओं व पर्यटकों के लिए पिकनिक स्पॉट के रूप में पहली पसंद बना हुआ है, जहां परिवार व सगे संबंधियों के साथ यादगार पल सहेजे जा सकते हैं. कहते हैं फॉरेस्टर इस संबंध में मुंडेश्वरी क्षेत्र के फॉरेस्टर विनीत कुमार ने बताया कि 31 दिसंबर व नये साल की पहली तारीख एक जनवरी 2026 को बड़ी संख्या में पर्यटकों के पहुंचने की संभावना है. इसे देखते हुए डीएफओ संजीव रंजन के आदेशानुसार नियमित कर्मियों के साथ-साथ अतिरिक्त स्टाफ की तैनाती की जायेगी व अतिरिक्त टिकट काउंटर भी बनाये जायेंगे.
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