इंटरस्तरीय विद्यालयों में साइंस के नहीं हैं शिक्षक

भौतिकी विषय में नहीं है एक भी शिक्षक जिले मे हैं कुल 40 इंटरस्तरीय विद्यालय व 19 प्लस टू इंटर कॉलेज भभुआ (नगर) : सरकार द्वारा जहां हाइस्कूलों को अपग्रेड कर इंटर विद्यालय की मान्यता दी जा रही है. वहीं, इंटर कॉलेजों व विद्यालयों में शिक्षकों की नियुक्ति के मामले में विभाग उदासीन है. सबसे […]

By Prabhat Khabar Print Desk | February 24, 2015 8:02 AM
भौतिकी विषय में नहीं है एक भी शिक्षक
जिले मे हैं कुल 40 इंटरस्तरीय विद्यालय व 19 प्लस टू इंटर कॉलेज
भभुआ (नगर) : सरकार द्वारा जहां हाइस्कूलों को अपग्रेड कर इंटर विद्यालय की मान्यता दी जा रही है. वहीं, इंटर कॉलेजों व विद्यालयों में शिक्षकों की नियुक्ति के मामले में विभाग उदासीन है. सबसे खराब स्थिति भौतिकी विषय की है. भौतिकी विषय के एक भी शिक्षक नहीं हैं.
रसायन विज्ञान, जंतु विज्ञान और गणित विषयों के भी काफी पद खाली हैं. शिक्षक नियोजन की प्रक्रिया की इस धीमी रफ्तार से विद्यालय व कॉलेजों में पढ़नेवाले विद्यार्थियों का भविष्य अंधकारमय होते जा रहा है. जिले में कुल 40 इंटर विद्यालय हैं. जो राज्य सरकार द्वारा संचालित की जा रही है तथा इंटर कॉलेजों की संख्या 19 है. इनमें दो कॉलेज सरकारी और 17 कॉलेज इंटर काउंसिल से संबद्ध है. कुल 59 इंटर स्तर के विद्यालय व कॉलेज जिले में हैं.
बदहाल है जैन हाइस्कूल
13 कमरों में नौ कमरे जजर्र
चार कमरों में ही होती है बच्चों की पढ़ाई
स्कूल में है 900 बच्चों का एडमिशन
प्रतिनिधि, अकोढ़ीगोला(रोहतास)
डालमियानगर उद्योग समूह के सहयोग से 1947 में निर्मित अशोक कुमार जैन उच्च विद्यालय, दरिहट जीर्ण शीघ्र अवस्था में खड़ा है. साढ़े तीन एकड़ जमीन में फैले इस विद्यालय में 13 कमरे सहित बड़ा मैदान है. इस विद्यालय के 1986 में तत्कालीन प्राचार्य जगनारायण तिवारी को राष्ट्रपति ने पुरस्कृत भी किया था. समयानुसार विद्यालय में बच्चों की संख्या तो बढ़ी, लेकिन संसाधन नदारद हो गये. विद्यालय के कमरों की हालत बदतर हो गयी. दीवारें टूटने लगी. छतों से पलास्टर छूट कर गिरने लगे. प्लास्टर के गिरने से कई छात्र घायल भी हो गये. इस विद्यालय में नामांकित बच्चों की संख्या 900 है. केवल चार ही कमरों में बच्चों की पढ़ाई होती है.

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