Jehanabad : सदर अस्पताल में ट्राॅमा सेंटर नहीं रहने से घायलों के इलाज में होती है परेशानी
सदर अस्पताल में इलाज के लिए आने वाले मरीजों को सभी तरह की स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने का दावा स्वास्थ्य विभाग करती है, हालांकि यह दावा हकीकत से कोसों दूर है.
जहानाबाद नगर
सदर अस्पताल में इलाज के लिए आने वाले मरीजों को सभी तरह की स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने का दावा स्वास्थ्य विभाग करती है, हालांकि यह दावा हकीकत से कोसों दूर है. सदर अस्पताल में इलाज कराने आने वाले मरीजों को सिर्फ प्राथमिक स्वास्थ्य सुविधाएं मिल पाती हैं, गंभीर रूप से बीमार मरीज या फिर दुर्घटनाओं में घायल मरीज को सभी स्वास्थ्य सुविधा नहीं मिल पाती है. ऐसे में उन्हें विशेष इलाज के नाम पर रेफर कर दिया जाता है. जिले में आये दिन सड़क दुर्घटना होती रहती है, जिसमें कई लोग घायल होते हैं. घायलों को इलाज के लिए सदर अस्पताल लाया जाता है, जहां सिर्फ प्राथमिक उपचार ही होता है. विशेष इलाज के नाम पर अधिकतर घायलों को पटना रेफर कर दिया जाता है. इस दौरान कई की मौत रास्ते में ही हो जाती है. ऐसे में घायलों के समुचित इलाज के लिए ट्रामा सेंटर की दरकार है. इसकी मांग भी बीते कई वर्षों से हो रही है लेकिन अब तक इस पर कोई पहल नहीं हुआ है. जिला मुख्यालय से होकर एनएच 83 तथा एनएच 110 गुजरती है. एनएच 83 पर वाहनों का अधिक दबाव होने के कारण तथा सड़क चौड़ीकरण का कार्य लंबे समय से चलने के कारण आये दिन दुर्घटनाएं होती रहती हैं. इन दुर्घटनाओं में कई लोग जख्मी होते हैं, जिन्हें ट्रामा सेंटर के अभाव में समुचित इलाज नहीं मिल पाता और वे असमय काल के गाल में समा जाते हैं. एनएच 110 तथा एनएच 83 पर आये दिन दुर्घटनाएं होती रहती हैं. एनएच 83 पर एक दर्जन से अधिक ब्लैक स्पॉट बने हैं, जहां आये दिन दुर्घटना होती है और लोग घायल होते हैं. घायलों को सदर अस्पताल तो लाया जाता है लेकिन वहां प्राथमिक उपचार के बाद विशेष इलाज के नाम पर उसे पटना रेफर कर दिया जाता है. इस दौरान कई घायल काल के गाल में समा जाते हैं. जिले से होकर गुजरने वाली राष्ट्रीय राजमार्गों पर आये दिन दुर्घटनाएं होती रहती हैं. पटना और गया के बीच जहानाबाद ही वैसा सेंटर है, जहां राष्ट्रीय राजमार्ग पर घायलों को बेहतर इलाज उपलब्ध कराया जा सकता है. ऐसे में जहानाबाद में ट्रामा सेंटर की दरकार वर्षों से है. इसके लिए कई बार मांगें हुई हैं. सरकार के स्तर तक अपनी मांगों को पहुंचाया भी गया है. स्वास्थ्य विभाग के स्तर से प्रस्ताव भी भेजा जा चुका है लेकिन प्रस्ताव ठंडे बस्ते में पड़ा है, नतीजतन सड़क दुर्घटनाओं में घायल लोगों को प्राथमिक उपचार के बाद पटना रेफर करने का सिलसिला अब भी जारी है.
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