jehanabad News : अरवल सदर अस्पताल में दवा का एक काउंटर रहने से परेशानी
अरवल. सदर अस्पताल में दवा का एकमात्र काउंटर है, जहां पर मरीजों को दवाई के लिए घंटों इंतजार करना पड़ता है. सदर अस्पताल में प्रतिदिन छह से सात सौ मरीज प्रतिदिन इलाज के लिए आते हैं. डॉक्टर द्वारा दवा लिखी जाती है, लेकिन अस्पताल में निःशुल्क दवा के लिए मरीजों को घंटों इंतजार करना पड़ता है.
अरवल. सदर अस्पताल में दवा का एकमात्र काउंटर है, जहां पर मरीजों को दवाई के लिए घंटों इंतजार करना पड़ता है. सदर अस्पताल में प्रतिदिन छह से सात सौ मरीज प्रतिदिन इलाज के लिए आते हैं. डॉक्टर द्वारा दवा लिखी जाती है, लेकिन अस्पताल में निःशुल्क दवा के लिए मरीजों को घंटों इंतजार करना पड़ता है. कारण अस्पताल में एक ही काउंटर से सभी मरीजों को दवा दी जाती है. कई बार तो ऐसी नौबत भी आती है कि मरीज पुर्जा जमाकर घंटों इंतजार के बाद बिन दवा लिये ही चले जाते हैं. एक ही काउंटर रहने के कारण सदर अस्पताल के ओपीडी में दवा काउंटर के पास मरीजों की भीड़ लगी रहती है. सदर अस्पताल की ऐसी हालत है, तो पीएचसी की हालत को बखूबी समझा जा सकता है. ज्ञात हो कि आपको सदर अस्पताल इलाज कराने के बाद दवा लेने की जरूरत पड़ गयी तो आपको समय पर दवा नहीं मिलेगी. क्योंकि, दवा काउंटर पर घंटों लंबी कतार लगने के बाद जब तक आप की बारी आयेगी तब तक वितरण काउंटर बंद हो चुका होगा. यह सिलसिला पिछले कई महीनों से चल रहा है, लेकिन अस्पताल प्रशासन इस पर ध्यान नहीं दे रही हैं. मरीज के साथ आये परिजन से लेकर सामाजिक संगठन तक कई बार चिकित्सा पदाधिकारी से दवा काउंटर बढ़ाने की मांग भी कर चुके हैं. अधिकारी व कर्मियों की कमी का हवाला देकर टाल-मटोल कर रहे हैं. सदर अस्पताल के ओपीडी में दवाई काउंटर के पास दवाई नहीं मिलने से आक्रोशित लोग हंगामा भी करते हैं.
सरकारी अस्पताल में व्यवस्था की कमी
सदर अस्पताल के ओपीडी में दवा वितरण के लिए महज एक काउंटर होना मरीजों के लिए परेशानी का सबब है. वैसे मरीज व परिजन जिनके पास पैसे का अभाव है उनके लिए तो लाइन में लगना लाचारी बन गयी है. सरकारी अस्पतालों के प्रति लोगों में विश्वास की बहाली हुई है, लेकिन आवश्यक सेवाओं की कमी से लोग परेशान हो रहे हैं. मरीजों को दवा लेने के लिए महज एक काउंटर होने से परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.महिला, बुजुर्ग और दिव्यांग के लिए नहीं है काउंटर
सदर अस्पताल में दवा के लिए महिला दिव्यांग और बुजुर्ग के लिए अलग से काउंटर नहीं बनाया गया है, जिसके कारण महिला पुरुष दिव्यांग बुजुर्ग एक ही काउंटर से दवा लेते है. ऐसे में खासकर दिव्यांगों और बुजुर्गों को काफी दिक्कत का सामना करना पड़ता है. उन्हें भी घंटों लाइन में खड़ा रहना पड़ता है या अगर कुर्सी खाली है तब बैठकर अपनी बारी का इंतजार करना पड़ता है.बुनियादी सुविधा और कर्मियों का अभाव
दवा वितरण काउंटर पर कर्मियों कि कमी है. एक मात्र जीएनएम और जीएनएम कॉलेज की छात्राओं को दवा वितरण के लिए बैठाया गया है. दस गुना दस के कमरे में जहां दवा रखने के लिए रेक नहीं है, वहीं अस्त-व्यस्त स्थिति में दो डाटा ऑपरेटर चार लोग खड़े होकर दवा का वितरण करते हैं.क्या कहते हैं पदाधिकारी
अभी व्यवस्था सुचारु रूप से चल रही है. जो कमियां हैं उन्हें दूर करने का प्रयास किया जायेगा. डॉ राय कमलेश्वरनाथ सहाय, सीएसडिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है
