Jehanabad : नगर परिषद के गठन के 14 साल बाद भी नहीं बना कचरा डंपिंग जोन

जिला बनने के बाद शहर की आबादी बढ़ी. आबादी के साथ साथ लोगों की जरूरतें बढ़ी. लेकिन जिला बनने के 25 वर्ष बाद और नगर परिषद को बने 14 वर्ष हो चुका, लेकिन अरवल शहर अभी भी मूलभूत समस्या से ग्रसित है. लोग मानते हैं कि जिस क्षेत्र को नगर परिषद का दर्जा प्राप्त हो जायेगा वहां सुविधाओं का अंबार होगा,

By MINTU KUMAR | October 17, 2025 11:35 PM

अरवल

. जिला बनने के बाद शहर की आबादी बढ़ी. आबादी के साथ साथ लोगों की जरूरतें बढ़ी. लेकिन जिला बनने के 25 वर्ष बाद और नगर परिषद को बने 14 वर्ष हो चुका, लेकिन अरवल शहर अभी भी मूलभूत समस्या से ग्रसित है. लोग मानते हैं कि जिस क्षेत्र को नगर परिषद का दर्जा प्राप्त हो जायेगा वहां सुविधाओं का अंबार होगा, लेकिन अरवल नगर परिषद क्षेत्र में स्थिति विपरीत है. यहां के लोगों की सबसे बड़ी समस्या है. गंदगी के बीच जीवन बसर करना शहर के मुख्य सड़क तो साफ सुथरा दिखता है. लेकिन गलियां और मोहल्ला की पहचान गंदगी के रूप में ही होता है. जहां भी खाली जगह होता है वहां कूड़ा कचड़ा का अंबार लगा रहता है. इसका कारण है कि नगर परिषद के गठन के 14 साल बाद भी कहीं कचड़ा निस्तारण के लिए डंपिंग जोन का निर्माण नहीं कराया गया है. हालांकि जब भी नगर परिषद की बैठक होता है तो इस पर विचार-विमर्श होता है. प्रस्ताव भी लिए जाते हैं. लेकिन इसे मूर्त रूप से नहीं दिया जाता है. प्रस्ताव तो यह भी लिया गया था कि नगर परिषद क्षेत्र के कचरा को एकत्रित कर जैविक खाद का निर्माण किया जायेगा लेकिन यह निर्णय भी लोगों को क्षणिक सुख ही प्रदान करने वाला साबित हुआ. असल में नहीं लाया गया. नतीजा जिस मोहल्ला में भी प्रवेश करें खाली जगह पर कचड़ा लगा आसानी से देखने को मिल जायेगा. यह कचड़ा अभी तक तो लोगों को कोई खास परेशानी नहीं दिया. लेकिन बरसात के जब बरसात होती हैं जमकर तब सड़कर संडाध देना शुरू करता हैं, तो लोगों को परेशानी तो होती ही हैं. घातक बीमारी को भी आमंत्रित करता हैं. अभी कोरोना काल चल रहा हैं. हालांकि और हर कोई चाहता हैं कि साफ सफाई रहें. वैसे भी नगर परिषद साफ-सफाई के मोर्चों पर हमेशा से ही फैल रहा है. नगर परिषद के विशेष बैठक में निर्णय लिया गया था, कि लोग घर का कचड़ा सड़क या गली में नहीं फेंके इसके लिए प्रत्येक घर को डस्टबिन उपलब्ध कराया जायेगा.

कुछ घरों के पास डस्टविन लगाया भी गया. वही भीड़ भाड़ वाले जगह पर कई जगह डस्टबिन मिल जायेगा लेकिन कई जगह पर डस्टबिन बेकार पड़ा भी मिल जायेगा. तो कई जगह टूटा हुआ मिलेगा. वैसे भी कई लोगों का आरोप है, कि जिस घर को डस्टबिन उपलब्ध करा दिया गया है. उस घर से कचरा उठाव के लिए प्रतिदिन सफाई कर्मी नहीं पहुंच पाते हैं. हालांकि नगर परिषद के साफ सफाई के लिए प्रतिमाह अच्छा खासा सरकारी राशि का खर्च होता है. 24 वार्ड पार्षदों वाला नगर परिषद क्षेत्र के लिए प्रतिमाह साफ-सफाई एजेंसी को डेढ़ लाख रुपया इसी कार्य के लिए भुगतान किया जाता है. सफाई एजेंसी शहर के सड़क पर किसी तरह झाड़ू तो लगा देता है. लेकिन गली नाली की सफाई के लिए कोई पहल नहीं करता है. यानी उस जगह को ही साफ रखने के लिए एजेंसी सक्रिय दिखता है. जो सबकी नजरों में है, शेष जगह उसकी प्राथमिकता में नहीं है. जबकि इस क्षेत्र के वाशिन्दे भी नगर परिषद को साफ सफाई के लिए लगने वाला टैक्स को भरते हैं. कचड़ा निस्तारण के लिए डंपिंग जोन नहीं होने के कारण परेशानी हो रहा है. कचरा फेकने के लिए अभी तक डम्पिंग जोन नहीं बन पाया हैं. शहर के कचरा कई जगहों पर फेंका जाता हैं. मोथा से पूरब एनएच 33 किनारे कचरा फेका जाता हैं. वही शहर का कचरा बस स्टैंड के नजदीक नहर पुल के पास कचरा फेका जाता हैं. वहीं बैदराबाद का कचरा उमैराबाद के पास डंप किया जाता है.

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