Jehanabad : लक्ष्मी नारायण मंदिर में जरासंध वध प्रसंग का भावपूर्ण वर्णन
ऐतिहासिक लक्ष्मी नारायण मंदिर परिसर स्थित गीता भवन में चल रहे श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के अंतर्गत शुक्रवार की संध्या भक्ति, उत्साह और आध्यात्मिक उल्लास से सराबोर रही. कथा पंडाल श्रद्धालुओं की भीड़ से खचाखच भरा हुआ था, जब पूज्य स्वामी हरे रामाचार्य जी महाराज ने अपने ओजस्वी एवं भावपूर्ण प्रवचन में भगवान श्रीकृष्ण द्वारा महाशक्तिशाली मगध नरेश जरासंध के वध की रोमांचकारी एवं प्रेरक कथा का विस्तारपूर्वक वर्णन किया.
हुलासगंज. ऐतिहासिक लक्ष्मी नारायण मंदिर परिसर स्थित गीता भवन में चल रहे श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के अंतर्गत शुक्रवार की संध्या भक्ति, उत्साह और आध्यात्मिक उल्लास से सराबोर रही. कथा पंडाल श्रद्धालुओं की भीड़ से खचाखच भरा हुआ था, जब पूज्य स्वामी हरे रामाचार्य जी महाराज ने अपने ओजस्वी एवं भावपूर्ण प्रवचन में भगवान श्रीकृष्ण द्वारा महाशक्तिशाली मगध नरेश जरासंध के वध की रोमांचकारी एवं प्रेरक कथा का विस्तारपूर्वक वर्णन किया. महाराज ने श्रद्धालुओं को भाव-विभोर करते हुए बताया कि जरासंध अत्यंत बलवान, परंतु अहंकारी एवं अत्याचारी राजा था. उसने कई बार मथुरा पर आक्रमण किया और अनेक निर्दोष राजाओं को कैद कर रखा था. उसके अन्याय और क्रूरता से समस्त आर्यावर्त त्रस्त हो उठा था. धर्म की रक्षा और अन्याय के अंत हेतु भगवान श्रीकृष्ण ने एक दिव्य योजना बनाई और पांडवों के महाबली भीम को उसके वध का दायित्व सौंपा. स्वामी जी ने बड़े ही रोचक और जीवंत अंदाज़ में वर्णन किया कि कैसे श्रीकृष्ण, भीम और अर्जुन ब्राह्मण वेश धारण कर मगध पहुंचे और जरासंध को युद्ध के लिए ललकारा. इसके बाद 27 दिनों तक चला भयंकर मल्लयुद्ध, जिसमें दोनों योद्धाओं के बीच अप्रतिम शक्ति और साहस का प्रदर्शन हुआ. अंततः भगवान श्रीकृष्ण के संकेत पर भीम ने युद्ध की दिशा बदलते हुए जरासंध की जांघों को चीर डाला और उसका अंत कर दिया. कथा के साथ ही महाराज ने भगवान श्रीकृष्ण की अन्य दिव्य लीलाओं का भी उल्लेख किया. विशेष रूप से झूला महोत्सव का महत्व बताते हुए उन्होंने कहा कि यह केवल उत्सव नहीं, बल्कि भक्ति, प्रेम और समर्पण का प्रतीक है. कथा स्थल पर सजे राधा-कृष्ण के मनोहारी झूले ने सभी का मन मोह लिया. फूलों, रंग-बिरंगी झालरों और दीपों से सजे झूले पर ठाकुर जी के दर्शन होते ही पूरा वातावरण राधे-कृष्ण के जयकारों से गूंज उठा. भक्तगण बड़े ही श्रद्धाभाव से झूला झुलाकर अपनी आस्था अर्पित कर रहे थे. इस अवसर पर भजन-कीर्तन का भी भव्य आयोजन हुआ, जिसमें स्थानीय कलाकार प्रमोद कुमार, अरविंद कुमार, कौस्तुभ जी, सुदर्शन जी, चंदन जी, पुष्कर कुमार, रवि कुमार, अभय कुमार एवं शुभम कुमार ने मधुर भजनों के माध्यम से श्रीकृष्ण महिमा का गुणगान किया. मृदंग-झांझ की झंकार, दीपों की सौम्य लौ और भक्तों की उमंग ने वातावरण को और भी दिव्य बना दिया. पूरे मंदिर परिसर में ऐसी आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार हुआ कि हर एक श्रद्धालु स्वयं को भगवान की असीम कृपा और प्रेम में सराबोर महसूस कर रहा था.
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