किसी ने नहीं किया था कैकई जैसा त्याग और समर्पण : साध्वी राधिका
प्रखंड स्थित चौहानडीह गांव में आयोजित राम जानकी प्राण-प्रतिष्ठा महायज्ञ के दौरान अयोध्या से आयी साध्वी राधिका किशोरी ने कहा कि रामायण काल में मां कैकई से बड़ा त्याग किसी ने नहीं किया था.
खैरा . प्रखंड स्थित चौहानडीह गांव में आयोजित राम जानकी प्राण-प्रतिष्ठा महायज्ञ के दौरान अयोध्या से आयी साध्वी राधिका किशोरी ने कहा कि रामायण काल में मां कैकई से बड़ा त्याग किसी ने नहीं किया था. उन्होंने कहा कि कैकई का त्याग और समर्पण सबसे बड़ा था. गौरतलब है कि उक्त गांव में नौ दिनों तक राम कथा का आयोजन किया जा रहा है. इसमें अयोध्या से आयी साध्वी राधिका किशोरी राम कथा का वर्णन कर रही हैं. मंगलवार देर शाम अपनी कथा के दौरान साध्वी ने कहा कि जिस वक्त मां कैकई भगवान श्री राम के लिए वनवास की मांग कर रही थी, उन्हें पता था कि वह दुनिया की नजरों से गिर जायेगी. पर उन्होंने दुनिया की नजरों में गिरना मंजूर कर लिया. कैकई का कहना था कि वह भगवान राम की नजर में बनी रहेगी, दुनिया की नजरों में गिरकर भी उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता. साध्वी ने कहा कि हर कोई यह जानता है कि भगवान राम का अवतार राक्षसों के वध के लिए हुआ था. ऐसे में वनवास जाना उनकी मर्जी थी और भगवान राम की इच्छा से ही कैकई ने उनके लिए वनवास की मांगा था. लेकिन भरत के लिए राजपाट की मांग करना भगवान राम की इच्छा नहीं थी. मां कैकई ने केवल भरत की परीक्षा लेने के लिए उन्हें राज सौंप दिया था. वह देखना चाहती थी कि अपने भाई की अनुपस्थिति में क्या भरत वाकई अयोध्या के राजगद्दी संभालेंगे. साध्वी ने कहा कि भले ही मां कौशल्या ने भगवान श्री रामचंद्र को जन्म दिया था, लेकिन उन्हें मर्यादा पुरुषोत्तम कैकई ने ही बनाया था. इस दौरान उन्होंने भगवान राम के वन गमन तथा राजा दशरथ के वियोग की कथा भी सुनाई. साध्वी ने कहा कि हम भले ही किसी से प्रेम करें या ना करें, पर हमें यह चाहिए कि हम अपने माता-पिता की इच्छा से जरूर प्रेम करें. राम कथा को सुनने के लिए प्रतिदिन बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ जमा हो रही है तथा पूरे गांव में भक्तिमय माहौल बना हुआ है.
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