हिंदी साहित्य के महान साहित्यकार थे मुंशी प्रेमचंद
हिंदी साहित्य के महान साहित्यकार मुंशी प्रेमचंद की जयंती के उपलक्ष्य में उनके व्यक्तित्व, कृतित्व पर केकेएम कॉलेज में छात्रों के बीच परिचर्चा की गयी.
जमुई. हिंदी साहित्य के महान साहित्यकार मुंशी प्रेमचंद की जयंती के उपलक्ष्य में उनके व्यक्तित्व, कृतित्व पर केकेएम कॉलेज में छात्रों के बीच परिचर्चा की गयी. मौके पर अध्यक्षीय संबोधन में डॉ गौरीशंकर पासवान ने कहा कि प्रेमचंद का साहित्य भारतीय जीवन की गीता है. यह सत्यम-शिवम-सुंदरम का त्रिवेणी संगम है. प्रेमचंद के साहित्य में उच्च चिंतन, स्वाधीनता का भाव, प्रेम भाव, सृजन की प्रेरणा और सच्चाई का प्रकाश है. उनका जीवन एक दीपक की तरह था, जो जलकर सबको प्रकाश देता रहता है. उन्होंने अपने 36 वर्षों की साहित्यिक जीवन में लगभग 300 कहानियों की रचना की है तो एक दर्जन उपन्यास की रचना भी की है. प्रो पासवान ने कहा कि प्रेमचंद का होरी भारतीय किसानों का जीवंत प्रतीक है. उनके उपन्यास गोदान की होरी भारतीय कृषक जीवन का एक ऐसा अमर पात्र है, जो हर क्षण गरीबी और सामाजिक शोषण का प्रतीक बन चुका है. वह अपने जीवन, पशु और सम्मान की रक्षा करते करते आजीवन संघर्ष करता है. गरीबी (ऋण) में जन्म लेता है, गरीबी में पलता है और गरीबी में ही दम तोड़ देता है. किंतु उसकी गोदान की हार्दिक इच्छा पूरी नहीं होती है. एसोसिएट प्रो डॉ डीके गोयल ने कहा कि प्रेमचंद के साहित्य में करुणा की धारा बहती है. वे विद्रोह और क्रांति के नहीं, बल्कि परिवर्तन के पक्षधर थे. क्रांति क्षणिक उद्देश्य दे सकती है, लेकिन प्रेमचंद की करुणा स्थाई चेतना जगाती है. इसलिए प्रेमचंद का साहित्य नारा नहीं, जीवन का सिद्धांत है और यही उन्हें युग दृष्टा और जननायक बनाता है. प्रेमचंद का मानना है कि संवेदना से उपजी चेतना ही परिवर्तन करती है. विश्व साहित्य के इतिहास में प्रेमचंद अपने महान रचनाओं के कारण अमर हो गए हैं. शतरंज के खिलाड़ी, नमक का दरोगा, पूस की रात, पंच परमेश्वर आदि उनकी प्रमुख कहानी हैं,जबकि निर्मल, प्रतिज्ञा, सेवा सदन, कर्म भूमि, और गोदान कई महत्वपूर्ण उपन्यास हैं. आज हमारे बीच प्रेमचंद नहीं है, लेकिन मरकर भी दुनिया में अमर हो गये हैं. मौके पर उपस्थित प्रो सरदार राम, डॉ सत्यार्थ प्रकाश, डॉ अजीत कुमार भारती, डॉ अनसार अहमद तथा कार्यालय सहायक रवीश कुमार सिंह सुशील कुमार कृष्णागिरी आदि ने मुंशी प्रेमचंद को देश का महान साहित्यकार, लेखक और उपन्यासकार बताया. इस अवसर पर छात्र-छात्राएं उपस्थित थे.
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