लछुआड़ जैन धर्म के साथ पूरे देश के लिए आस्था का केंद्र – विधायक
जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर श्रमण भगवान महावीर स्वामी की अवतरण भूमि क्षत्रियकुंड लछुआड़ में बुधवार देर शाम लछुआड़ सांस्कृतिक महोत्सव का आयोजन किया गया.
सिकंदरा. जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर श्रमण भगवान महावीर स्वामी की अवतरण भूमि क्षत्रियकुंड लछुआड़ में बुधवार देर शाम लछुआड़ सांस्कृतिक महोत्सव का आयोजन किया गया. जिला प्रशासन की ओर से आयोजित इस सांस्कृतिक समारोह का शुभारंभ विधायक प्रफुल्ल मांझी, डीएम अभिलाषा शर्मा, एसपी मदन कुमार आनंद ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया. समारोह का मुख्य आकर्षण बिहार के प्रसिद्ध सुफियान बैंड की ओर से प्रस्तुत सूफी संगीत रहा, जिसने उपस्थित लोगों को झूमने पर मजबूर कर दिया. सूफी संगीत की मधुर संगीत के बीच भगवान महावीर के जीवन और शिक्षाओं की झलक दर्शकों को देखने को मिली. समारोह को संबोधित करते हुए विधायक प्रफुल्ल मांझी ने क्षत्रियकुंड लछुआड़ की गौरवशाली धार्मिक एवं सांस्कृतिक विरासत को रेखांकित किया. उन्होंने कहा कि जियो और जीने दो सिद्धांत के प्रणेता भगवान महावीर की यह अवतरण भूमि केवल जैन धर्म ही नहीं, बल्कि सम्पूर्ण भारत के लिए आस्था और प्रेरणा का केंद्र है. देश-विदेश से लोग इस भूमि पर आते हैं और भगवान महावीर के चरण रज के रूप में इस मिट्टी को अपने माथे पर लगाते हैं. उन्होंने इस पुण्यभूमि पर लछुआड़ महोत्सव के आयोजन के लिए जिला प्रशासन को बधाई दी. इस अवसर पर डीएम अभिलाषा शर्मा ने महोत्सव के उद्देश्य पर प्रकाश डालते हुए कहा कि लछुआड़ महोत्सव का उद्देश्य भगवान महावीर की शिक्षाओं को जन-जन तक पहुंचाना तथा क्षेत्र की सांस्कृतिक धरोहर को संजोना है. उन्होंने कहा कि इस आयोजन के माध्यम से युवाओं को अपनी संस्कृति से जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है. इस अवसर पर सूफी संगीत के माध्यम से सामाजिक समरसता और सांस्कृतिक एकता का संदेश भी दिया गया. मौके पर एसडीएम अभय तिवारी, डीईओ राजेश कुमार, डीपीआरओ, वरीय उप समाहर्ता, बीडीओ अमित कुमार, भाजपा जिलाध्यक्ष कन्हैया सिंह, लोजपा जिलाध्यक्ष जीवन सिंह, सांसद प्रतिनिधि कारू सिंह, अनुज सिंह, ब्रजेश कुमार, रामपदारथ शर्मा, विजय मिश्रा, शुभेंदु शेखर समेत कई लोग उपस्थित थे.
पूरी हुई लछुआड़ महोत्सव की रस्म अदायगी
सिकंदरा. जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी की जन्मभूमि क्षत्रियकुंड लछुआड़ में आयोजित होने वाला पारंपरिक लछुआड़ महोत्सव इस वर्ष निर्धारित समय पर आयोजित नहीं हो सका, इससे स्थानीय लोगों में व्यापक असंतोष देखा गया. वर्ष 2015 में क्षत्रियकुंड जन्मस्थान से भगवान महावीर की प्रतिमा चोरी होने से सुर्खियों में आने के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पहल पर वर्ष 2016 में प्रारंभ हुए इस महोत्सव की पहचान राज्य स्तरीय सांस्कृतिक आयोजन के रूप में बनी थी, जिसकी चमक बीते कुछ वर्षों में कम होती जा रही है. कला संस्कृति विभाग की ओर से महावीर जयंती के अवसर पर प्रतिवर्ष आयोजित होने वाला यह दो दिवसीय महोत्सव शुरुआती वर्षों में अत्यंत भव्यता के साथ मनाया गया था. एक ओर जहां राज्य सरकार के प्रतिनिधि के तौर पर मंत्रीगण उद्घाटन समारोह में शामिल होते थे और दो दिनों तक ख्यातिप्राप्त कलाकारों की प्रस्तुतियां इस आयोजन को गरिमा प्रदान करती थीं. लेकिन हाल के वर्षों में जिला प्रशासन और कला संस्कृति विभाग की निरंतर उदासीनता के चलते इस आयोजन की रौनक फीकी पड़ने लगी है. इसके बावजूद 2023 तक महावीर जयंती के अवसर पर यह महोत्सव पारंपरिक स्वरूप में जारी रहा. वहीं गत वर्ष लोकसभा चुनाव के चलते लागू आदर्श आचार संहिता के कारण इसका आयोजन स्थगित करना पड़ा था. परंतु इस वर्ष भी लछुआड़ महोत्सव का आयोजन नहीं हो सका. 2016 से चली आ रही परंपरा भी प्रशासनिक उदासीनता के कारण टूट गयी. इससे आम नागरिकों में भारी नाराजगी देखी गयी. आखिरकार जिला प्रशासन ने आनन-फानन में महावीर जयंती के एक सप्ताह बाद बुधवार को लछुआड़ महोत्सव की औपचारिकता पूरी की. कभी दो दिनों तक भव्य रूप से मनाया जाने वाला लछुआड़ महोत्सव प्रशासनिक तामझाम के बीच कुछ ही घंटे में समाप्त हो गया. स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता सह अधिवक्ता अनिल राय ने कहा कि लछुआड़ महोत्सव केवल एक सांस्कृतिक आयोजन नहीं, बल्कि यह भगवान महावीर के आदर्शों को जनमानस तक पहुंचाने का माध्यम है. उन्होंने प्रशासन से मांग करते हुए कहा कि आने वाले वर्षों में इस आयोजन को फिर से पूर्ववर्ती गरिमा के साथ संपन्न किया जाए, ताकि क्षेत्र की धार्मिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक पहचान को सहेजा जा सके.
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