बकरी पालन बना युवाओं के लिए स्वरोजगार का बेहतर विकल्प : डॉ सुधीर
कृषि विज्ञान केंद्र में पांच दिवसीय पांच दिवसीय बकरी पालन प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया.
जमुई. बकरी पालन जैसी पारंपरिक पद्धति अब ग्रामीण युवाओं के लिए स्वरोजगार का बेहतर माध्यम बनती जा रही है. असिंचित, पहाड़ी एवं जंगलों से घिरे जमुई जैसे क्षेत्रों में यह व्यवसाय युवाओं के लिए लाभकारी हो सकता है. उक्त बातें कृषि विज्ञान केंद्र के प्रमुख डॉ सुधीर कुमार सिंह ने केंद्र में आयोजित पांच दिवसीय बकरी पालन प्रशिक्षण कार्यक्रम के समापन समारोह में कही. उन्होंने कहा कि केंद्र ने बकरी की पांच नस्लों पर शोध कर यह निष्कर्ष निकाला है कि ब्लैक बंगाल की शुद्ध नस्ल आज भी सबसे अधिक लाभदायक है. ऐसी बकरियां जो एक बार में चार मेंमने देती हैं, उनकी मादा शावकों को संरक्षित कर पालन करने से कम समय में बकरियों की संख्या बढ़ती है और आय में भी इजाफा होता है. डॉ सिंह ने बताया कि बकरी का दूध भी अत्यंत पौष्टिक होता है. दूध उत्पादन के लिहाज से ‘जमुना परी’ नस्ल एक अच्छा विकल्प साबित हो सकती है. कार्यक्रम में पशु चिकित्सक डॉ. प्रवीण कुमार ने बकरी पालन से जुड़ी वैज्ञानिक जानकारी जैसे-रहने की व्यवस्था, पोषण, टीकाकरण, सामान्य बीमारियों की पहचान एवं प्राथमिक उपचार पर विस्तार से जानकारी दी. प्रशिक्षण में भाग लेने वाले युवक-युवतियों ने बताया कि वे अब तक केवल दो-तीन बकरियों का पालन करते थे, लेकिन इस प्रशिक्षण के बाद बड़े स्तर पर व्यवसाय करने की समझ मिली है. कार्यक्रम में मनीष कुमार, राजा कुमार, सुमित कुमार, ललिता देवी, आरती देवी सहित कुल 30 प्रतिभागियों ने भाग लिया. समापन के अवसर पर सभी को प्रमाण पत्र भी वितरित किए गए.
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