Janmashtami Live: कृष्ण जन्माष्टमी पर पटना के इस्कॉन मंदिर में करें दर्शन, जानें खास बातें और आरती का समय

Janmashtami 2022: भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को जन्माष्टमी का त्योहार पूरे देश में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. पटना स्थित इस्कॉन मंदिर बहुत ही भव्य तैयारी की जा रही है. इस कृष्ण मंदिर के जैसा दूसरा कोई मंदिर पूरे बिहार में नहीं है. इसलिए इसका महत्व बढ़ जाता है.

By Prabhat Khabar Print Desk | August 19, 2022 3:46 PM

Krishna Janmashtami: धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भाद्रपद की अष्टमी तिथि के दिन भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ था. उन्होंने मथुरा की जेल में माता देवकी की कोख से जन्म लिया और अब इस जगह को जन्मभूमि (Banke Bihari Temple) के नाम से जाता है. बिहार की राजधानी पटना में भी भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित एक खास मंदिर है. यह मंदिर इस्कॉन मंदिर हैं. राजधानी स्थित इस्कॉन मंदिर में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी को लेकर विशेष तैयारी की जा रही है. इसे भक्तों के लिए खोल दिया गया है. इस बार जन्माष्टमी के अवसर पर यहां भगवान श्रीकृष्ण की अलौकिक दर्शन कराई जाएगी.

भगवान की झांकियों को दिया गया अंतिम रूप

जन्माष्टमी को लेकर देशभर में भगवान की झांकियों को अंतिम रूप दिया जा रहा है तो वहीं जन्मोत्सव मनाने के लिए श्रीकृष्ण मंदिरों में भी सजावट लगभग पूरी हो चुकी है. श्रीकृष्ण की जन्मभूमि मथुरा की तो बात निराली है. वहीं, पटना स्थित इस्कॉन मंदिर बहुत ही भव्य तैयारी की जा रही है. इस कृष्ण मंदिर के जैसा दूसरा कोई मंदिर पूरे बिहार में नहीं है. इसलिए इसका महत्व बढ़ जाता है. ये मंदिर दो एकड़ क्षेत्र में बना हुआ 108 फीट ऊंचा बिहार का इस्कॉन मंदिर राजधानी पटना के बुद्धमार्ग पर स्थित है.

मंदिर के पट खुलने का समय

आज जन्माष्टमी का दिन है और इसी दिन भगवान कृष्ण का जन्म हुआ था. इस दिन लोग इस्कॉन मंदिर में कृष्ण लला के दर्शन की इच्छा से पहुंचते हैं. बता दें कि 19 अगस्त यानि आज मंदिर में शाम में श्रृंगार आरती होगी और फिर भोग लगाया जाएगा. ध्यान रखें कि पट 12 बजे बंद कर दिए जाएंगे

श्रीकृष्ण को ये उपहार है प्रिय

भगवान श्रीकृष्ण को वैजयंती माला और मोरपंख बेहद प्रिय है. क्योंकि ये उनकी प्रियसी राधा रानी ने उन्हें भेंट किए थे. ये राधा और कान्हा के प्रेम का प्रतीक हैं. श्रीकृष्ण ने अपनी शिक्षा उज्जैन के सांदीपनि आश्रम में ग्रहण की थी. यहां उनके गुरु के पुत्र को शंखासुर नामक दैत्य उठाकर ले गया था. दैत्य नगरी में शंखासुर ने एक शंख में छिपा था. श्रीकृष्ण ने उसका वध कर शंख अपने पास रख लिया. श्रीकृष्ण ने गुरु को पुत्र लौटाया, साथ ही शंख भी उनके समक्ष प्रस्तुत किया. गुरु ने पुन: शंख( पांचजन्य) देते हुआ कहा कि अब ये तुम्हारा है.

कैसे खोलें जन्माष्टमी व्रत ?

जन्माष्टमी पर कई लोग निराहार व्रत रखते हैं, इसलिए व्रत का पारण कान्हा को भोग में अर्पित की पंजीरी और माखन से करें. शास्त्रों के अनुसार बाल गोपाल के प्रसाद से व्रत का पारण करने पर कान्हा की पूजा पूर्ण मानी जाती है. ये स्वास्थ के लिहाज से भी ठीक है.

Next Article

Exit mobile version