Gopalganj News: कोर्ट का फैसला सुनकर रो पड़ी हत्यारिन मां, मासूम बच्चे की हत्या मामले में मिली उम्रकैद की सजा

Gopalganj News: छह वर्षीय बेटे की हत्या करने वाली बड़ी मां को दोषी पाते हुए कोर्ट उम्रकैद की सजा दी है. कोर्ट का फैसला सुनते ही दोषी बड़ी मां रो पड़ी.

By Radheshyam Kushwaha | March 28, 2025 5:25 PM

सत्येंद्र पांडेय/ Gopalganj News: मां-बेटे के पवित्र रिश्ते को कलंकित कर छह वर्षीय बेटे की हत्या करने वाली बड़ी मां को दोषी पाते हुए अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश मानवेंद्र मिश्र की कोर्ट ने उर्मिला देवी को बीएनएस (भारतीय न्याय संहिता) की धारा 103/3 (5) के तहत उम्रकैद एवं एक लाख रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई है. अर्थदंड की राशि का भुगतान नहीं किए जाने पर उसे छह माह की कठोर कारावास की अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी. इस कांड में हत्या की नौ माह पुरानी घटना में नौ दिनों में स्पीडी ट्रायल चला कर कोर्ट ने अपना फैसला सुनाकर इतिहास रच दिया. गोपालगंज जिले में नए कानून में यह पहला फैसला आया है. कोर्ट में सजा सुनाए जाने के बाद जहां हत्यारोपित महिला उर्मिला देवी पश्चाताप की आग में जलने लगी, उसे इस बात का मलाल था कि थोड़ी जमीन के लोभ में अपने गोतनी के घर का चिराग ही बुझा दिया. इकलौते बेटे अजय की हत्या की. कोर्ट में वह रो पड़ी, चेहरा मुरझा गया. कोर्ट में लोग हर ओर कहते मिले, जैसी करनी वैसी भरनी. जबकि कोर्ट में मौजूद अजय की मां सुमित्रा देवी, बहन पूनम व बीना के चेहरे पर सुकून था कि इंसाफ मिला.

महिला ने रिश्ते को किया कलंकित

अपर लोक अभियोजक जयमराम साह ने कोर्ट में साक्ष्य के साथ कहा कि मासूम बच्चा अजय अभियुक्त को बड़ी मां कहकर बुलाता था. संपत्ति के लालच में उर्मिला देवी ने अपने सगे देवर के इकलौते पुत्र की अपने हाथों से गला घोंटकर हत्या कर दी. भारतीय सनातन परंपरा में यह कहावत है कि – कुपुत्रो जायेत क्वचिदपि कुमाता न भवति अर्थात् पुत्र कुपुत्र हो सकता है, लेकिन किसी भी परिस्थिति में माता कुमाता नहीं हो सकती. अधिकांश परिवार में बच्चे अपनी बड़ी मां के ज्यादा करीब होते हैं. इस अभियुक्त ने इस रिश्ते की मर्यादा को कलंकित किया है. ऐसा व्यक्ति समाज के लिए खतरा है. इसे कठोर से कठोर सजा देने की अपील की गई थी.

बचाव पक्ष ने कहा कोई चश्मदीद गवाह नहीं था?

बचाव पक्ष के अधिवक्ता रमेश चौरसिया व उदय श्रीवास्तव की दलीलों और साक्ष्यों को देखते हुए कोर्ट ने ट्रायल को पूरा किया. एपीपी ने कोर्ट में सात वर्ष की बच्ची बीना कुमारी, जो कांड की चश्मदीद थी, उसके बयान को कोर्ट ने महत्वपूर्ण माना है. बचाव पक्ष ने कहा कि हत्या करते किसी ने नहीं देखा, केवल शक के आधार पर अभियोजन ने उर्मिला देवी को फंसा दिया, घटना का कोई प्रत्यक्षदर्शी साक्षी नहीं है. घटना के समय उर्मिला देवी खेत में कार्य कर रही थी. कुत्ते द्वारा दुपट्टा सूंघकर घर तक पहुंच जाना साक्ष्य की श्रेणी में नहीं आता.

कोर्ट में इनकी गवाही ने दिलाई सजा

बच्चे की हत्या के मामले में प्रत्यक्षदर्शी मृतक की बहन बीना कुमारी, उसकी बड़ी बहन पूनम कुमारी, मां सुमित्रा देवी, पोस्टमार्टम करने वाले डॉ. रमाकांत सिंह, कांड के आइओ राजा राम की गवाही को कोर्ट ने महत्वपूर्ण साक्ष्य मानते हुए सजा सुनाई.

एक नजर में फैक्ट

  • अपराध की तिथि – 13-08-2024
  • कांड दर्ज होने की तिथि – 14-08-2024
  • आरोप पत्र की तिथि – 24-10-2024
  • चार्ज फ्रेमिंग की तिथि – 12-03-2025
  • साक्ष्य प्रारंभ होने की तिथि – 18-03-2025
  • दोषी करार दिया – 27-03-2025
  • फैसला आया – 28-03-2025

कुरकुरे लाने के बहाने घर से भेज कर की हत्या

सिधवलिया थाना के पंडितपुर गांव में 13 अगस्त 2024 को अशोक चौरसिया की पत्नी सुमित्रा देवी दिन में स्कूल में काम करने चली गई. घर पर इकलौता बेटा छह वर्षीय अजय कुमार, बेटी पूनम कुमारी उम्र करीब 15 वर्ष व अन्य बेटियां थीं. 2:20 बजे लौटी तो बेटा कहीं पर दिखाई नहीं दिया. तब लड़की से बेटे के बारे में पूछी तो बताया कि बड़ी मम्मी ने 10 रुपये बाबू के लिए कुरकुरे लाने को दिए एवं बताई कि सब बाबू को मोबाइल दिखा रहे हैं, जब मैं कुरकुरे लेकर आई तो बाबू नहीं था.

घर में गला दबाकर हत्या कर खेत में फेंका था शव

दीदी दरवाजा एवं खिड़की बंद कर ली थी. बीना कुमारी ने घटना को देखा था. दीदी बाबू को ओढ़नी से ढंक कर खेत की तरफ ले जा रही थी. तब अपने परिवार एवं गांव के लोगों के साथ लड़के को खोजने लगे. करीब 5 बजे शाम में घर से थोड़ी दूर मक्के के खेत में अजय कुमार मरा हुआ पड़ा मिला, जिसकी गर्दन पर दोनों तरफ गले पर उंगली एवं नाखून के निशान थे.

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