Gaya News : स्थानीय मुद्दों पर शोध से अपनी तकदीर बदल सकते हैं युवा : कुलपति

Gaya News : मगध विश्वविद्यालय के मानविकी संकाय, वैश्विक संस्कृत मंच, संस्कृति मंत्रालय व आइक्यूएसी के संयुक्त तत्वावधान में शोधपद्धति के विविध आयामों के मानचित्रण विषयक तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय कार्यशाला का शुभारंभ हुआ.

By PRANJAL PANDEY | May 8, 2025 11:06 PM

बोधगया. मगध विश्वविद्यालय के मानविकी संकाय, वैश्विक संस्कृत मंच, संस्कृति मंत्रालय व आइक्यूएसी के संयुक्त तत्वावधान में शोधपद्धति के विविध आयामों के मानचित्रण विषयक तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय कार्यशाला का शुभारंभ हुआ. पहले सत्र में कार्यक्रम का उद्घाटन पटना उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश डॉ समरेंद्र प्रताप सिंह, काशी हिंदू विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग की प्रो श्रद्धा सिंह, मगध विश्वविद्यालय के कुलपति सह कार्यशाला के मुख्य संरक्षक प्रो एसपी शाही, प्रतिकुलपति सह संरक्षक प्रो बीआरके सिन्हा व मानविकी संकाय की संकायाध्यक्ष प्रो रहमत जहां ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलित कर किया. संस्कृत विभाग की छात्राओं ने कुलगीत की लयबद्ध प्रस्तुति दी. कुलपति ने मंचासीन अतिथियों का स्वागत अंगवस्त्र व प्रतीक चिह्न भेंट कर किया.

मगध विश्वविद्यालय ने 108 लंबित परीक्षाओं को नियमित कर रचा है इतिहास

कुलपति प्रो एसपी शाही ने विश्वविद्यालय की उपलब्धियों की चर्चा करते हुए कहा कि विगत सवा दो वर्षों में विश्वविद्यालय की शैक्षणिक व्यवस्था में काफी सुधार हुआ है. विश्वविद्यालय ने 108 लंबित परीक्षाओं को नियमित कर इतिहास रचा है. अगले जुलाई सत्र से सभी नियमित हो जायेंगे. आप सभी ऊर्जावान शिक्षकों के बदौलत राज्य के सभी विश्वविद्यालयों में हमारा विश्वविद्यालय अग्रणी पंक्ति में शामिल है. शोध व नवाचार को बढ़ावा देने के लिए लगभग 225 से अधिक सेमिनार, वर्कशॉप, अकादमिक गतिविधियां कराया जा चुका है. शिक्षकों के लगन व समर्पण से ही विश्वविद्यालय को नैक से बेहतर ग्रेडिंग दिलाने में सक्षम होंगे. शोध को बढ़ावा देने के लिए शिक्षकों को प्रोत्साहन राशि देने का काम करेंगे. उन्होंने जोर देते हुए कहा कि लोग सरकारी नौकरी के पीछे भागते फिरते रहते हैं. जबकि, स्थानीय मुद्दों पर शोध कार्य करके अपने खुद तकदीर बदल सकते हैं.

कई अतिथियों ने रखी अपनी-अपनी बातें

प्रति कुलपति प्रो बीआरके सिन्हा ने कहा कि शोध ऐसा होना चाहिए, जिससे राष्ट्र और सामाजिक का विकास हो सके. शोध का वास्तविक लाभ समाज को मिलना चाहिए. विशिष्ट अतिथि काशी हिंदू विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग की प्रो श्रद्धा सिंह ने शोध में उत्कृष्ट बनाये रखने पर बल दिया. उद्घाटन सत्र का संचालन चार भाषाओं में यथा संस्कृत उर्दू, हिंदी व अंग्रेजी में हुआ. मंच का संचालन डॉ ममता मेहरा एवं तरन्नुम जहां ने संयुक्त रूप से किया.

बदलते दौर में शोध के लेखन शैली में सुधार पर की चर्चा

पहले तकनीकी सत्र की अध्यक्षता इतिहास विभाग के प्रो पीयूष कमल सिंह ने किया. ऑनलाइन मोड में मुख्य वक्ता के रूप में प्रो गिरीश नाथ झा जुड़े थे. ऑफलाइन मोड में दक्षिण बिहार केंद्रीय विश्वविद्यालय के मीडिया एवं जनसंचार विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ अतीश पाराशर ने बदलते दौर में शोध के लेखन शैली में सुधार पर चर्चा करते हुए कहा कि सोशल मीडिया और तकनीकी के बढ़ते प्रयोग से लोग इसके आदि हो चुके हैं. अब लोग कंटेंट कंज्यूमर से कंटेंट क्रिएटर बन गये हैं. ट्विटर,फेसबुक, व्हाट्सएप, इंस्टाग्राम जैसे अन्य सोशल मीडिया ने लोगों के मन मस्तिष्क को ऐसा प्रभावित किया है कि जिससे वे काफी समृद्ध मानते हैं. उन्होंने प्रमुख चार बिंदुओं की चर्चा करते हुए कहा कि पुराने शोध को परित्याग कर नये शोध कार्य करें.

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