शेरघाटी में चौंकानेवाला मामला : जिस युवती की मौत 2009 में बतायी गयी, वह कोर्ट में खुद दी गवाही

न्यायालय में शुक्रवार को ऐसा मामला सामने आया जिसने सबको हैरान कर दिया

By ROHIT KUMAR SINGH | October 17, 2025 7:47 PM

शेरघाटी. न्यायालय में शुक्रवार को ऐसा मामला सामने आया जिसने सबको हैरान कर दिया. मोहनपुर थाना क्षेत्र के बरदाग गांव की रहने वाली ममता कुमारी उर्फ कनीज फातमा, जिसे पुलिस ने वर्ष 2009 में मृत घोषित कर उसके परिजनों को जला हुआ शव सौंप दिया था. वह अचानक शेरघाटी व्यवहार न्यायालय में जीवित पहुंच गयी. युवती ने एडीजे-1 की अदालत में हाजिर होकर पूरी घटना की सच्चाई सामने रखी. ममता ने अदालत को बताया कि वर्ष 2008 में वह अपने प्रेमी मोहम्मद रऊफ अंसारी से विवाह करना चाहती थी. उसने घरवालों को यह बात बतायी, लेकिन परिवार ने इसका विरोध किया. इसके बाद 27 दिसंबर 2008 को दोनों घर से भाग गये और कोलकाता में फोन पर मौलवी साहब के माध्यम से निकाह कर लिया. निकाह के बाद दोनों कोलकाता में रहने लगे. इसी बीच ममता के भाई ने रऊफ अंसारी और उसके दोस्त रंगीला यादव पर अपहरण का मामला दर्ज करा दिया. कुछ दिन बाद रऊफ ने कोर्ट में आत्मसमर्पण कर दिया. उस दौरान ममता अपने पति की बहन के घर रहने लगी. रऊफ के जेल से छूटने के बाद भी वह चार-पांच वर्षों तक वहीं रही. इस बीच वह अपने भाई-बहनों से मोबाइल पर बातचीत भी करती रही. ममता ने बताया कि घटना के चार महीने बाद उसने स्वयं कोर्ट में हाजिर होकर दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 164 के तहत अपना बयान दर्ज कराया था. लेकिन आश्चर्य की बात यह है कि पुलिस ने उसी दौरान उसके परिजनों को उसकी मौत की सूचना दे दी और पुलिस ने एक युवती के जले हुए शव को ममता बताकर परिजनों को सौंप दिया. शुक्रवार को जब ममता कुमारी उर्फ कनीज़ फातमा जीवित अदालत में पहुंची और अपना बयान दिया, तो न्यायालय भी स्तब्ध रह गया. उसने स्पष्ट कहा कि वह पूरी तरह स्वस्थ है और अपने पति रऊफ अंसारी के साथ शांतिपूर्वक जीवन बिता रही है. करीब दस वर्ष की उसकी एक बेटी भी है. अधिवक्ता देवनंद प्रसाद यादव ने बताया कि यह मामला पुलिस की लापरवाही और जांच प्रणाली पर गंभीर सवाल खड़ा करता है. जिस युवती को मृत घोषित कर दिया गया, वही अब खुद अदालत में गवाही दे रही है. कोर्ट में ममता के जीवित आने से वर्षों पुराने इस रहस्यमय मामले ने नया मोड़ ले लिया है.

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