बिहार में पहली बार मगध विश्वविद्यालय ने दो दिवसीय नैक कार्यशाला का किया आयोजन
नैक प्रत्यायन प्रक्रिया में आने वाली चुनौतियों से निबटने में सहायक सिद्ध होगी कार्यशाला
नैक प्रत्यायन प्रक्रिया में आने वाली चुनौतियों से निबटने में सहायक सिद्ध होगी कार्यशाला
वरीय संवाददाता, बोधगया.
मगध विश्वविद्यालय, बोधगया की ओर से उच्च शिक्षा में गुणवत्ता संवर्द्धन की दिशा में एक ऐतिहासिक पहल करते हुए प्रस्तावित बाइनरी प्रत्यायन ढांचे के तहत उच्च शिक्षण संस्थानों का नैक प्रत्यायन विषयक दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का शुभारंभ सोमवार को बोधि रिसॉर्ट बोधगया में किया गया. यह कार्यशाला मंगलवार यानी तीन जून तक चलेगी. इसमें विश्वविद्यालय के सभी घटक और संबद्ध महाविद्यालयों के प्राचार्य, आइक्यूएसी के सदस्य, सभी विभागों के शिक्षक व विभागाध्यक्षों ने हिस्सा लिया. कार्यक्रम का शुभारंभ पारंपरिक दीप प्रज्वलन के साथ हुआ. इसके पश्चात मगध विश्वविद्यालय का कुलगीत तथा स्वागत गीत प्रस्तुत किया गया. इस अवसर पर मंच पर प्रमुख अतिथियों की गरिमामयी उपस्थिति रही, जिनमें मुख्य अतिथि के रूप में शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ एस सिद्धार्थ ऑनलाइन माध्यम से जुड़े. वहीं, मुख्य वक्ता के रूप में किरोड़ीमल कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय प्रो अंशु व कार्यक्रम अध्यक्ष के रूप में मगध विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो एसपी शाही सम्मिलित रहे. कार्यशाला में स्वागत भाषण कुलपति प्रो एसपी शाही ने प्रस्तुत किया.मगध विश्वविद्यालय में शैक्षणिक गुणवत्ता में लगातार हो रहा सुधार
कुलपति ने कहा कि मगध विश्वविद्यालय में शैक्षणिक गुणवत्ता में लगातार सुधार करते हुए 250 से अधिक सेमिनार और 100 से अधिक परीक्षाएं सफलतापूर्वक आयोजित की गयी हैं. उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय ने वर्ष 2015 से लंबित एक्यूआर को नये शिक्षकों के सहयोग से सफलता पूर्वक अपलोड किया है. उन्होंने कहा कि एसएसआर की तैयारी लगभग पूर्ण हो चुकी है और यह कार्यशाला हमें नैक प्रत्यायन प्रक्रिया में आने वाली चुनौतियों से निबटने में सहायक सिद्ध होगी. मुख्य अतिथि डॉ एस सिद्धार्थ ने कहा कि बिहार ज्ञान और दर्शन की भूमि रही है, जहां नालंदा और विक्रमशिला जैसे प्राचीन विश्वविद्यालयों की परंपरा रही है. मगध विश्वविद्यालय को उसी परंपरा को आगे बढ़ाते हुए राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उच्च शिक्षा में नेतृत्व करना चाहिए. उन्होंने इस बात पर बल दिया कि गुणवत्तापूर्ण शोध, समयबद्ध सत्र संचालन और मजबूत अकादमिक आधारशिला ही किसी विश्वविद्यालय की पहचान होती है. उन्होंने कहा कि सरकार उच्च शिक्षा के बुनियादी ढांचे को सशक्त करने के लिए हर संभव सहयोग प्रदान करने को तत्पर है. नैक जैसी संस्थाएं शिक्षण संस्थानों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और वैश्विक प्रतिस्पर्धा के योग्य बनाने की उपकरण हैं. उन्होंने यह भी संकेत दिया कि आने वाले समय में बिहार सरकार राज्य के विश्वविद्यालयों को अंतरराष्ट्रीय सहयोग एवं विदेशी विश्वविद्यालयों के साथ अकादमिक करार (एमओयू) के लिए प्रोत्साहित करेगी.कई विशेषज्ञों ने रखीं अपनी-अपनी बातें
कार्यशाला में प्रो अंशु (दिल्ली विश्वविद्यालय), प्रो नूपुर बोस (एएन कॉलेज, पटना), प्रो अजय कुमार, प्रो पुष्पेंद्र कुमार (केएमसी, नई दिल्ली), प्रो विपिन कुमार (कुलसचिव, मगध विश्वविद्यालय) और आइक्यूएसी समन्वयक प्रो मुकेश कुमार ने सहभागिता की. इन सभी विशेषज्ञों ने शोध एवं नवाचार के मानदंडों, एसएसआर दस्तावेजीकरण की तकनीक, हरित पहलों, बौद्धिक संपदा अधिकारों, छात्र अधिगम परिणामों, सामुदायिक सहभागिता और राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के मूल्यों पर आधारित व्याख्यान प्रस्तुत किया. प्रो नूपुर बोस ने शोध अनुदान, रिसर्च पब्लिकेशन और बौद्धिक संपदा जैसे विषयों पर व्यावहारिक जानकारी दी. प्रो पुष्पेंद्र कुमार ने विश्वविद्यालयों की समाज से भागीदारी और आउटरीच कार्यक्रमों के महत्व पर बल दिया. प्रो संतोष कुमार ने शिक्षण तकनीकों, अधिगम के विविध रूपों और छात्र-अधारित परिणामों की चर्चा की. इस कार्यशाला का प्रमुख उद्देश्य विश्वविद्यालय एवं उससे संबद्ध महाविद्यालयों को नैक मूल्यांकन प्रक्रिया के नये प्रारूप-बाइनरी एक्रिडिटेशन फ्रेमवर्क के प्रति जागरूक करना और एसएसआर तैयार करने की दिशा में सभी संस्थाओं को प्रशिक्षित करना है. कार्यशाला राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की भावना के अनुरूप शिक्षण संस्थानों को गुणवत्तापूर्ण, समावेशी और नवोन्मेषी शिक्षा प्रणाली की ओर उन्मुख कर रही है. इस पहल से मगध विश्वविद्यालय बिहार ही नहीं, बल्कि संपूर्ण भारत में एक गुणवत्तापूर्ण उच्च शिक्षा मॉडल के रूप में स्थापित होने की दिशा में अग्रसर है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है
