Gaya News : सर्पदंश के बाद इलाज में देरी पड़ रही भारी, झाड़-फूंक में फंस रहे लोग

Gaya News : हर दिन अस्पतालों में पहुंच रहे 10-12 मरीज, बरसात में बढ़ जाता है खतरा

By PANCHDEV KUMAR | June 24, 2025 10:22 PM

जितेंद्र मिश्रा, गया जी

सरकारी अस्पतालों में सर्पदंश के पीड़ितों के लिए सभी जरूरी दवाएं निःशुल्क उपलब्ध हैं. इसके बावजूद, आज भी बड़ी संख्या में लोग झाड़-फूंक और ओझा-गुनी के चक्कर में पड़कर जान गंवा रहे हैं. चिकित्सकों के अनुसार, समय पर अस्पताल पहुंचने पर मरीजों की जान आसानी से बचायी जा सकती है, लेकिन देरी होने पर स्थिति गंभीर हो जाती है.

अस्पताल में होती है पूरी व्यवस्थाडॉक्टरों का कहना है कि जिले के सरकारी अस्पतालों में सर्पदंश के इलाज की पूरी व्यवस्था मौजूद है. गंभीर स्थिति में मरीजों को आइसीयू की सुविधा भी दी जाती है. मई से जून के बीच 400 से अधिक मरीज समय पर अस्पताल पहुंचकर अपनी जान बचा पाये हैं, वहीं 125 से अधिक लोग इलाज में देरी के कारण संकट में पड़ चुके हैं.

समय पर इलाज है जीवन रक्षा की कुंजीडॉक्टरों का कहना है कि सर्पदंश के बाद तत्काल इलाज जरूरी है. कई बार लोग सांप को पकड़ने या पहचानने की कोशिश में वक्त गंवा देते हैं, जो पूरी तरह व्यर्थ है. साथ ही झाड़-फूंक जैसी गैरवैज्ञानिक पद्धतियों से न केवल समय की बर्बादी होती है, बल्कि मरीजों की जान भी खतरे में पड़ जाती है.

बरसात के मौसम में बढ़ जाता है खतराबरसात के मौसम में सर्पदंश के मामलों में तेजी आ जाती है. इस दौरान सांप और बिच्छू अपने बिलों से बाहर निकल आते हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे मौसम में लोगों को अतिरिक्त सतर्कता बरतनी चाहिए.

सर्पदंश के बाद रखें ये सावधानियांपीड़ित को शांत रखें और उसे सहारा देते रहेंशरीर को कम से कम हिलाएं, ताकि विष का फैलाव न होडंसे हुए स्थान को साफ पानी से धोकर सूती कपड़े से ढकेंअंग को कसकर न बांधें, रस्सी या तार का उपयोग न करेंमरीज को झाड़-फूंक या ओझा के पास न ले जाएंतुरंत नजदीकी सरकारी अस्पताल पहुंचाएंअस्पतालों में एंटी-स्नेक वेनम मुफ्त उपलब्ध हैजिले में सर्पदंश से जुड़े आंकड़े (मई-जून 2025):383 मरीज मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल में पहुंचे85 मरीज देरी से अस्पताल पहुंचे125 मरीज जिला अस्पताल और पीएचसी में इलाज के लिए आएक्या कहते हैं स्वास्थ्य डीपीएम

जिला स्तर पर लगातार जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है. इसके बावजूद कई लोग अब भी परंपरागत मान्यताओं के कारण अस्पताल देर से पहुंचते हैं.

नीलेश कुमार, स्वास्थ्य डीपीएम- फोटो- गया- 03क्या कहते हैं अधीक्षकसभी अस्पतालों में एंटी स्नेक वेनम पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है और जरूरत पड़ने पर आइसीयू शिफ्टिंग में देरी नहीं की जाती. सभी डॉक्टरों को 24 घंटे ड्यूटी पर रहने का निर्देश दिया गया है.

डॉ केके सिन्हा, अधीक्षक, एएनएमएमसीएच – फोटो- गया- 04

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