नौ जमीनों पर खरीद-बिक्री की लगी रोक को डीएम ने हटाया

रोक सूची में डाले गये जमीनों के खाता खेसरा की जांच के लिए गठित समिति को तेजी से जांच कराने का दिया निर्देश

By Roshan Kumar | July 21, 2025 6:18 PM

रोक सूची में डाले गयी जमीनों के खाता खेसरा की जांच के लिए गठित समिति को तेजी लाने का निर्देश

वरीय संवादाता, गया.

जिले में विभिन्न कारणों से जमीन की खरीद-बिक्री पर लगी रोक के मामलों को जिलाधिकारी शशांक शुभंकर ने गंभीरता से लिया है़ उनका मानना है कि आमतौर पर लोग किसी आपात या विशेष परिस्थिति में ही अपनी जमीन बेचने का निर्णय लेते हैं. लेकिन कई बार तकनीकी या प्रशासनिक कारणों से जमीन की खरीद-बिक्री पर अनावश्यक रूप से रोक लगी रहती है, जिससे संबंधित जमीन मालिकों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. इस समस्या को दूर करने के लिए डीएम ने संबंधित अधिकारियों को सख्त निर्देश दिये हैं. रोक सूची में दर्ज खाता-खेसरा की जांच के लिए गठित समिति को जांच प्रक्रिया में तेजी लाने को कहा गया है. जिलाधिकारी ने अपर समाहर्ता (राजस्व) पारितोष कुमार और जिला अवर निबंधन पदाधिकारी को निर्देशित किया है कि अन्य कारणों से लगी रोक के सभी मामलों की फाइल प्रस्तुत की जाये, ताकि अनावश्यक रूप से आम लोगों को कार्यालयों के चक्कर न काटने पड़ें. डीएम ने बताया कि जैसे-जैसे जांच रिपोर्ट प्राप्त हो रही है, वैसे-वैसे संबंधित जमीनों पर लगी रोक हटाई जा रही है. इसी क्रम में सोमवार को चंदौती, बोधगया और मानपुर अंचल की नौ जमीनों पर लगी रोक हटा दी गई है, जिससे संबंधित जमीन मालिक अब अपनी संपत्ति की खरीद-बिक्री स्वतंत्र रूप से कर सकेंगे. जिन लोगों की जमीन से रोक हटायी गयी है उनमें चंदौती अंचल के हरियो मौजा में छत्रधारी पासवान, चंदौती अंचल के कंडी मौजा में महेश चंद्र, बोधगया अंचल के अमवा मौजा में योगेंद्र यादव, बोधगया अंचल के नावां मौजा में शिवबालक रविदास, बोधगया अंचल के अमवा मौजा में ममता कुमारी, बोधगया अंचल के बकरौर मौजा में गिरिजा देवी, मानपुर अंचल के सूढ़ेरी मौजा में द्रौपदी देवी, मानपुर अंचल के लखनपुर मौजा में रामवरत प्रसाद, मानपुर अंचल के बूढ़ी मौजा में शिव कुमार की जमीन से रोक हटायी गयी है.

क्या होता है जमीन पर लगी रोक का तात्पर्य

जिलाधिकारी ने स्पष्ट किया कि जब किसी जमीन को लेकर सूचना प्राप्त होती है कि वह भू-अर्जन की प्रक्रिया में है, सरकारी जमीन है, न्यायालय में मामला लंबित है, या न्यायालय ने उस पर खरीद-बिक्री पर रोक लगा रखी है तब ऐसी जमीनों को रोक सूची में डाला जाता है. कभी-कभी आंचल कार्यालय द्वारा पूर्व में बनाई गई सरकारी जमीन की सूची में भी कुछ निजी (रैयती) जमीनें शामिल हो जाती हैं. ऐसे मामलों में जिला स्तर पर गठित समिति जिसमें एडीएम (राजस्व), जिला अवर निबंधक, डीसीएलआर और संबंधित अंचल के सीओ शामिल होते हैं द्वारा जांच करायी जाती है. यदि जांच में यह प्रमाणित होता है कि जमीन वास्तव में रैयती है और किसी प्रकार के विवाद, भू-अर्जन, सीलिंग या न्यायालयीन वाद से मुक्त है, तो रोक सूची से नाम हटाने की अनुशंसा की जाती है और निबंधन की प्रक्रिया शुरू कर दी जाती है.

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