गांवों के खेत-खलिहान में होने लगे उम्मीदवारों के जीत-हार के फैसले

धान की रखवाली के साथ तय हो रहे नेता और बन रही सरकार

By ROHIT KUMAR SINGH | November 1, 2025 6:10 PM

धान की रखवाली के साथ तय हो रहे नेता और बन रही सरकार रोहित कुमार सिंह, गया जी जिले में दूसरे चरण में होने वाले विधानसभा चुनाव का असर तेजी से लोगों पर चढ़ने लगा है. शहर व कस्बों के चौक-चौराहे के साथ-साथ अब गांवों में धान के खेतों व खलिहान में भी किसानों के बीच चुनाव की चर्चाएं तेजी से हो रही है़ मोंथा चक्रवात के कारण मौसम में आये बदलाव का असर किसानों की मेहनत पर साफ दिख रहा है, जिसे बचाने की चिंता किसानों में चेहरे पर दिख रही है, लेकिन चुनाव पास में होने के कारण इस चिंता के साथ सरकार बनाने व बेहतर उम्मीदवार चुनने की जिम्मेदारी भी किसानों को निभानी है़ इसके लिए किसान अपने विधानसभा क्षेत्र ही नहीं जिले और प्रदेश में हो रही राजनीतिक हलचल पर नजर बनाये हुए है़ किसान खेतों व खलिहानों में बैठ कर ही जितने वाले नेता भी तय कर रहे और सरकार बनाने पर भी चर्चा कर रहे हैं. कुछ किसान बेरोजगारी को सबसे बड़ मुद्दा बता रहे, तो कुछ चल रही विकास योजनाओं की सफलता को गिना रहे हैं. खेती गृहस्थी के बाद मिले समय में किसान एकजुट होकर एक उम्मीदवारों के जिताने व हराने के साथ ही पार्टियों के मिलने वाले सीटों को भी तय कर रहे है. बात बात में सीटों व जीत को लेकर दावे व हारा-बाजी लग जा रही है़ वोट देने के नाम पर हर कोई अपना पत्ता नहीं खोल रहा है, कुछ जातीय समीकरण गिना रहे, तो पार्टियों के समर्थक व विकास को अधिक तवज्जो दे रहे हैं. शनिवार को गया शहर विधानसभा क्षेत्र के एक गांव में बारिश होने के कारण किसान फसल को लेकर चिंतित थे़ लेकिन गांव में मंदिर पर 10-15 लोगों के इकट्ठा होने के कारण राजनीति माहौल काफी गरम था़ इस दौरान चुनावी मैदान में नजर आने वाले नेताजी को लेकर लोगों के बीच तर्क-वितर्क चल रहा था़ अबकी बार बदलाव होगा, कौन-कौन मुख्यमंत्री बनेगा, किस सीट पर किसके माथे जीत का सेरहा बंधेगा, कौन किसका खेल बिगाड़ रहा है, किसका किसके साथ सांठगांठ है सहित अन्य सभी राजनीतिक कयास लगाये जा रहे थे़ कुल मिला कर यहां चर्चा में शामिल किसान विकास और जातीय समीकरण को चुनाव में अधिक प्रबल मान रहे थे़

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