ठंड में लापरवाही शरीर को पहुंच सकती है नुकसान
पर्याप्त मात्रा पानी नहीं पीने से हो सकते हैं कोल्ड डायरिया का शिकार
पर्याप्त मात्रा पानी नहीं पीने से हो सकते हैं कोल्ड डायरिया का शिकार
फोटो- गया- 04- अस्पताल में लगी मरीजों की भीड़फोटो- गया- 05- डॉ मंजुल विजय, शिशु रोग विशेषज्ञवरीय संवााददाता, गया जीजिले में ठंड का प्रकोप बढ़ने लगा है. इसमें बच्चों, बुजुर्गों व गर्भवती महिलाओं के लिए ठंड व ठंडी हवा से बचाव जरूरी है. बुजुर्ग व नवजात पर सबसे अधिक ध्यान देना होता है. इन दिनों अस्पताल में नवजात बच्चों में निमोनिया व हाइपोथर्मिया की शिकायत पर इलाज के लिए अधिक संख्या में पहुंच रहे हैं. नवजात का ख्याल हर वक्त मां को विशेष रूप से रखना होता है. थोड़ी सी लापरवाही में बड़ा मामला बन सकता है. इसके साथ ही गर्भवती महिलाओं को भी इन दिनों सतर्क रहना जरूरी होता है. सुबह के समय और देर शाम बाहर निकलने से परहेज किया जाना चाहिए. ठंड में बीपी के मरीजों का रक्तचाप बढ़ जाता है. साथ ही अहले सुबह निकलना उनके लिए खतरनाक हो सकता है. इसलिए बाहर जाते समय पर्याप्त गर्म कपड़े पहने. डॉक्टरों ने बताया कि ठंड के मौसम में शरीर को पर्याप्त मात्रा में संतुलित और स्वस्थ आहार भी जरूरी है. यह शरीर को गर्म रखने में मदद करते हैं. सर्दी में हल्दी दूध, हर्बल टी और सूप पिएं. ड्राइ फ्रूट्स, मूंगफली, तिल के लड्डू जैसी चीजें खाएं. पानी कम पीने के बाद शरीर में कोल्ड डायरिया का असर भी हो सकता है. ठंड में तुलसी, अदरक और नींबू का सेवन रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाता है.
हाइपोथर्मिया से बचाव के लिए कंगारू मदर केयर विधि कारगर
ठंड बढ़ने के साथ स्वास्थ्य की सुरक्षा जरूरी है. ऐसे में नवजात तथा छोटे बच्चों को ठंड का असर जल्दी होता है. इस समय में बच्चों में निमोनिया व हाइपोथर्मिया की शिकायत अधिक देखने को मिल रही है. ठंड के मौसम में बच्चों का सही प्रकार से ध्यान नहीं रखने पर नवजात में हाइपोथर्मिया और छोटे बच्चों को निमोनिया का असर जल्दी होता है. अस्पतालों में निमोनिया ग्रसित बच्चों की संख्या भी बढ़ी है. हाइपोथर्मिया होने पर शरीर में कंपकपी, सांस तेजी से चलना, ठंडी त्वचा, थकान, बेहोशी, बच्चे के शारीरिक गतिविधि में कमी आदि देखने को मिलती है. ऐसे लक्षणों को लेकर विशेष रूप से माताओं को सतर्क रहना चाहिए. मां नवजात शिशुओं को नियमित अंतराल पर स्तनपान कराती रहें. हाइपोथर्मिया से बचाव के लिए कंगारू मदर केयर विधि कारगर साबित होता है. इसके बाद भी बच्चे की तबीयत बिगड़े, तो डॉक्टर को तुरंत दिखाना चाहिए.
डॉ मंजुल विजय, शिशु रोग विशेषज्ञB
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