फैसला जो कुछ भी हो मंजूर होना चाहिए, जंग हो या…
गया. शहर के हसरत मोहानी ऑडिटोरियम में आयोजित प्रभात खबर के जश्न-ए-ईद कार्यक्रम में मशहूर शायर राहत इंदौरी व वसीम बरेलवी ने शेरो-शायरी से समां बांध दिया़ राहत इंदाैरी ने गांव की मिट्टी की खुशबू काे अपने शेर में पिराेते हुए कहा कि ‘किसने दस्तक दी दिल पर, काैन हैं आप ताे अंदर हैं बाहर […]
गया. शहर के हसरत मोहानी ऑडिटोरियम में आयोजित प्रभात खबर के जश्न-ए-ईद कार्यक्रम में मशहूर शायर राहत इंदौरी व वसीम बरेलवी ने शेरो-शायरी से समां बांध दिया़ राहत इंदाैरी ने गांव की मिट्टी की खुशबू काे अपने शेर में पिराेते हुए कहा कि ‘किसने दस्तक दी दिल पर, काैन हैं आप ताे अंदर हैं बाहर काैन है. साब शहराें में ताे बारूद का माैसम है, गांव चलाे ये अमरूदाें का माैसम है…’
‘जाे ये दीदार का सुराख, साजिश का हिस्सा है,
मगर हम इसकाे अपने घर का राेशनदान कहते हैं,
ये ख्वाहिश दाे निवालाें की हमें बरतन की हालत क्या,
फकीर अपनी हथेली काे भी दस्तरखान कहते हैं…’
‘सूरज, सितारे,चांद मेरे साथ में रहे, जब तक तुम्हारे हाथ मेरे हाथ में रहे
कुछ शाखाें से टूट जायें वाे पत्ते नहीं हैं हम, आंधी से काेई कह दे कि आैकात में रहे…
राहत इंदौरी के कलाम
फैसला जाे कुछ भी हो मंजूर हाेना चाहिए, जंग हाे या इश्क भरपूर हाेना चाहिए.
कट चुकी है उम्र सारी जिंदगी पत्थर ताेड़ते, अब ताे इन हाथाें में काेहिनूर हाेना चाहिए.
हम अपनी जान के दुश्मन काे अपनी जान कहते हैं, माेहब्बत की इसी मिट्टी काे हिंदुस्तान कहते हैं…
