Darbhanga News: मवेशियों ने पहने नये नाथ व गरदाम, सोन्हाउन पीकर हुए मस्त
Darbhanga News: मिथिला में पशु-पक्षियों को न केवल पूजा जाता है, बल्कि उनके साथ त्योहार में भी लोग उत्साह के साथ शरीक होते हैं.
Darbhanga News: दरभंगा. मिथिला में पशु-पक्षियों को न केवल पूजा जाता है, बल्कि उनके साथ त्योहार में भी लोग उत्साह के साथ शरीक होते हैं. इसकी झलक बुधवार को पशु पर्व पखेव में मिली. जीवन के सफर में सहयोगी मवेशियों का त्योहार मनाया गया. इसे लेकर सुबह से ही पशुपालकों के परिवार में उत्सवी वातावरण नजर आ रहा था. हालांकि समय के साथ कुछ परंपराओं की डोर कमजोर पड़ती जा रही है. मसलन अब बैल से बिरले ही हल जोता जाता है, लिहाजा हलवाहों को दिये जानेवाले वस्त्र आदि की परंपरा खत्म सी होती जा रही है, लेकिन शेष परंपराओं का निर्वहन इस मौके पर किया गया. मवेशियों को सुबह में पानी से नहाया गया. रंगीन रस्सी से तैयार नाथ, गरदाम पहनाये गये. गले में नयी घंटी बांधी गयी. खुर व सिंह में तेल लगाया गया. पूरे शरीर पर विभिन्न रंग से छाप देकर आकर्षक आकृति उकेरी गयी. गाय की विशेष पूजा की गयी. गोवर्धन तैयार कर पूजन किया गया. इसके बाद नाद में हरे व मुलायम घास डाले गये. विभिन्न जड़ी-बूटी से तैयार स्वास्थ्यवर्द्धक व स्वादिष्ट सोन्हाउन पिलाया गया. सोन्हाउन पीकर मवेशी मस्त हो गये. इस त्योहार को लेकर ग्रामीण इलाकों में विशेष चहल-पहल नजर आयी. बेनीपुर प्रतिनिधि के अनुसार, प्रखंड क्षेत्र में बुधवार को पखेव व गोवर्धन पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया गया. हालांकि कॄषि यांत्रिकीकरण के दौर में मवेशियों के पारंपरिक व स्वास्थ्य से संबंधित पखेव व गोवर्धन पूजा का उत्साह धीरे-धीरे ठंडा पड़ने लगा है. अब सिर्फ किसानों द्वारा मात्र पर्व की रस्म अदायगी तक ही सीमित रह गयी है. पखेव पर किसान मवेशी खासकर बैलों को साल भर स्वस्थ रखने के लिए विभिन्न जड़ी-बुटियों से स्वनिर्मित दवा सोन्हाउन पिलाकर नए गरदाम व पगहा से सुसज्जित करते हैं. कृषि यांत्रिकीकरण के कारण अब अधिकांश किसानों ने बैल रखना छोड़ दिया है. इस कारण अब सोनहान कूटने की परंपरा समाप्त सी हो चुकी है. जिन किसानों के यहां बैल है, वे अहले सुबह से ही सोनहान बनाने के लिए विभिन्न प्रकार की जड़ी-बुटियां एकत्र करने में जुटे रहे. यह सिलसिला दोपहर 12 बजे तक चलता रहा. उसके बाद जड़ी-बुटियों को उखल में कूटकर उसका रस निचोड़ सोन्हाउन तैयार किया गया. मवेशियों को स्नान करा बैल को सोनहान पिलाया गया. रंग-बिरंगी गरदाम, नाथ, पगहा पहनाकर मवेशियों को रंगों से सजा दिया गया. खुर व सिंह में तेल मालिश किया गया. उनपर रंग-बिरंगी आकृति उकेरी गयी. किसान रामबाबू यादव, हकरू सदा, जगन्नाथ यादव, महावीर मुखिया, महेश महतो, राम आशीष महतो, पंकज कुशवाहा आदि ने बताया कि 18 प्रकार की जड़ी-बूटियों से सोन्हाउन तैयार कर बैल को पिलाते हैं.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है
