Darbhanga News: विकास के साथ मिथिला के नव राजनीतिक शिल्पकार के तौर पर और पुख्ता हुई संजय कुमार झा की पहचान
Darbhanga News:इस बार का विधानसभा चुनाव कई मायने में खास रहा. यूं तो कमोबेश पूरे प्रदेश ने एनडीए के समर्थन में एकतरफा विश्वास जताया, लेकिन पहली बार मिथिला क्षेत्र में एनडीए को ऐतिहासिक जीत हासिल हुई.
Darbhanga News: सतीश कुमार, दरभंगा. इस बार का विधानसभा चुनाव कई मायने में खास रहा. यूं तो कमोबेश पूरे प्रदेश ने एनडीए के समर्थन में एकतरफा विश्वास जताया, लेकिन पहली बार मिथिला क्षेत्र में एनडीए को ऐतिहासिक जीत हासिल हुई. इस जीत के पीछे वैसे तो कई फैक्टर हैं, लेकिन जिस नाम की सबसे अधिक चर्चा हो रही है, वह हैं जदयू के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष सह राज्य सभा सांसद संजय कुमार झा. इस चुनाव ने मिथिला के विकास पुरुष के रूप में संजय झा को पूरी तरह स्थापित कर दिया. विधानसभा चुनाव में एनडीए की फंसी मानी जाने वाली एक-एक सीट का माइक्रो मैनेजमेंट किया. यही कारण रहा कि मिथिला का केंद्र कहे जाने वाले दरभंगा प्रमंडल में एनडीए ने इतिहास रच दिया. उनके विकास कार्यों ने सरकार के पक्ष में सकारात्मक माहौल बनाया. हवाई अड्डा, एम्स, मेट्रो, केंद्रीय विद्यालय, ऐलिवेटेड रोड, डीएमसीएच एवं मिथिला स्नातकोत्तर संस्कृत अध्ययन एवं शोध संस्थान के पुनरुद्धार आदि कार्य से उन्होंने विकास को परवाज दिया. स्थायी समस्या बनी बाढ़ से इलाके को मुक्ति दिलायी. मिथिला हाट जैसी परिकल्पना से संस्कृति को सहजने का सफल प्रयास किया. इन सब कार्यों ने जदयू सहित एनडीए को विधानसभा चुनाव में बड़ी उछाल दी.
नयी पौध को आगे कर दरभंगा ग्रामीण क्षेत्र पर किया फतह
संजय झा ने इस चुनाव में नयी पौध को आगे बढ़ाने का दूरदर्शी कार्य भी किया. दरभंगा ग्रामीण तथा कुशेश्वरस्थान में युवा को मौका दिया. दरभंगा ग्रामीण विधानसभा को तीन दशक बाद राजद के कब्जे से निकाल लिया. बेनीपुर में बनी संशय की स्थिति को दूर कर क्लीन विक्ट्री दिलायी. व्यक्तिगत स्तर से इसके लिए उनकी परिणामदायी कोशिश की चर्चा आम है. इन सब कारणों से दरभंगा में एनडीए का क्लीन स्वीप रहा, तो मधुबनी में मात्र एक विस्फी की सीट खाते से दूर रही. 2020 के विधानसभा चुनाव में जिस समस्तीपुर में 50-50 का मामला था, वहां भी 70 फीसदी सीट एनडीए की झोली में आ गयी. 10 में से सात सीट पर राजग को जीत मिली.
विकास के नजरिए से पिछला पांच साल रहा स्वर्णिम
विकास के नजरिए से पिछला पांच साल विशेषकर दरभंगा प्रमंडल के लिए स्वर्णिम रहा. दरभंगा एयरपोर्ट ने गति पकड़ी. दरभंगा एम्स आकार लेने लगा. प्रदेश के दूसरे तारामंडल का लोगों ने दीदार किया. डीएमसीएच का पुनरुद्धार हुआ. समस्तीपुर में मेडिकल कॉलेज, मधुबनी में पॉलिटेक्निक कॉलेज आदि कई शैक्षिक संस्थान खुले. सड़क, पुल-पुलिया का जाल बिछा. मिथिला हाट ने देश-दुनिया में ख्याति दिलाई. मखाना के जीआइ टैगिंग से लेकर डीएमसीएच परिसर में करोड़ों की लागत से बना विश्राम गृह भी इस फेहरिस्त में शामिल है. इन सब के पीछे संजय झा की दूरदर्शी सोच लोगों ने देखी. मिथिला के विकास चिंतक के रूप में उभरकर सामने आये. मिथिला के विकास की भूख उनकी हर गतिविधि में दिखी. प्रत्यक्ष रूप से जनप्रतिनिधि की भूमिका में नहीं होने के बावजूद, जिस तरह उनमें मिथिला को समस्याओं के भंवर जाल से बाहर निकालने की अकुलहाट नजर आयी, उसने इन्हें सर्वमान्य नेता बना दिया. मंच पर भले ही दलीय व वैचारिक प्रतिबद्धता के कारण विरोधी इनके पक्ष में खुलकर नहीं बोलते हों, परंतु व्यक्तिगत तौर पर ””””सभी”””” इनकी इस दृष्टि के प्रशंसक हैं.
ललित बाबू के बाद बने मिथिला के सर्वमान्य नेता
दरभंगा के पूर्ववर्त्ती क्षेत्र जहां बाढ़ की तबाही सूर्योदय व सूर्यास्त की तरह तय थी, वहां आज धान की फसल लहलहाती है. प्रदेश सरकार में जल संसाधन मंत्री रहते हुए उन्होंने मधुबनी तथा दरभंगा के इस इलाके को बाढ़ से निजात दिला दी. मात्र एक फसल पर निर्भर रहने वाले यहां के किसानों की खेत अब सालोंभर फसल से भरी रहती है. संजय झा ने न केवल बाढ़ से मुक्ति दिलायी, बल्कि सुखाड़ की समस्या को खत्म करने के लिए दशकों से ठंडे बस्ते में पड़ी कोसी नहर परियोजना को मूर्त्त रूप देकर किसानों को बड़ी सौगात दी. बेगूसराय के सिमरिया (गंगा) घाट का कायाकल्प कर हरिद्वार की तर्ज पर विकसित किया. इसकी तारीफ लोग करते नहीं थकते. कांग्रेस नेता ललित बाबू के बाद आयी शून्यता को मिथिला के सर्वमान्य नेता के रूप में संजय झा ने भर दिया.
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