Darbhanga News: साहित्य में शोध के लिए अनुसंधान योग्यता का होना अनिवार्य
Darbhanga News:लनामिवि के पीजी उर्दू विभाग में सोमवार को ''''शोध के महत्व एवं उसके विभिन्न आयाम'''' विषय पर व्याख्यान का आयोजन किया गया.
Darbhanga News: दरभंगा. लनामिवि के पीजी उर्दू विभाग में सोमवार को ””””””””शोध के महत्व एवं उसके विभिन्न आयाम”””””””” विषय पर व्याख्यान का आयोजन किया गया. मुख्य वक्ता सह बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के उर्दू विभागाध्यक्ष प्रो. आफताब अहमद आफाकी ने कहा कि साहित्य में शोध के लिए अनुसंधान योग्यता का होना अनिवार्य है. अनुसंधान रुझान की वजह से ही शोध की गुणवत्ता बढ़ती है. शोधार्थियों को पुराने और नए शोध कार्य- प्रणालियों तथा दृष्टिकोण से परिचित होना आवश्यक है. कहा कि शोध विषय चयन से लेकर संदर्भ- ग्रंथ सूची तक पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है. पाठ संपादन की महत्ता एवं कार्य-प्रणाली के बारे में भी बताया. विभागाध्यक्ष डॉ गुलाम सरवर ने प्रो. आफाकी की साहित्यिक रचनाओं पर प्रकाश डालते हुए उन्हें उर्दू साहित्य का अमूल्य धरोहर बताया. व्याख्यान में प्रो. आफताब अशरफ, डॉ शमशाद अख्तर, डॉ मोतिउर रहमान, डॉ नासरीन सुरैया, फरहत जबीं, शोधार्थी खुर्शीद आलम, मो. मारूफ आलम, मुकद्दर अंसारी सहित छात्र एवं छात्राएं मौजूद रहे.
बिहार में उर्दू भाषा के विकास के लिए अनुकूल वातावरण
वहीं सीएम कॉलेज में आयोजित कार्यक्रम में प्रो. आफताब अहमद आफाकी ने कहा कि वर्तमान में बिहार, देश का ऐसा राज्य है, जहां न केवल उर्दू भाषा के विकास के लिए अनुकूल वातावरण है, बल्कि साहित्य को भी बढ़ावा दिया जा रहा है. यहां कविता, गद्य और साहित्य के क्षेत्र में बड़ी संख्या में गुणवत्तापूर्ण रचनाएं तैयार हो रही है. कहा कि उत्तर भारत के अन्य राज्यों में उर्दू भाषा के शिक्षण पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है. इस राज्य की शिक्षा व्यवस्था सुदृढ़ है. यहां के लेखक और कवि गुणवत्तापूर्ण रचनाएं प्रस्तुत कर रहे हैं. इस क्षेत्र में एक विशाल मानक संग्रह संकलित हो रहा है, जो भविष्य में शोध और आलोचना का विषय बनेगा.दरभंगा उर्दू भाषा और साहित्य का एक महत्वपूर्ण केंद्र- प्रो. मुश्ताक
प्रधानाचार्य प्रो. मुश्ताक अहमद ने अध्यक्षता करते हुए कहा कि वर्तमान युग में उर्दू के कुछ विख्यात शोधकर्ताओं और आलोचकों में प्रो. आफाकी एक हैं. इनकी दर्जनों पुस्तकें संदर्भ के रूप में उपयोग की जाती है. प्रधानाचार्य ने कहा कि प्राचीन काल से ही दरभंगा उर्दू भाषा और साहित्य का एक महत्वपूर्ण केंद्र रहा है. दबस्तान अजीमाबाद की कड़ी के रूप में इसकी अपनी एक अलग पहचान है. आज भी यह राज्य में शैक्षिक और साहित्यिक गतिविधियों का एक महत्वपूर्ण केंद्र है. भाषा के विकास के साथ-साथ यहां कई ऐसे साहित्यकार भी हैं, जो गद्य और काव्य रचनाओं को गंभीरता से प्रस्तुत कर रहे हैं. प्रो. आफताब अशरफ ने कहा कि प्रो. आफताब अहमद आफाकी नई पीढ़ी के लिए प्रेरणास्रोत हैं. ये आलोचना और शोध दोनों ही दृष्टि से उच्च गुणवत्ता की रचनाएं प्रस्तुत कर रहे हैं. नई पीढ़ी के चिंतन को प्राथमिकता देते हैं. समारोह में शिक्षक, कर्मचारी तथा विद्यार्थी मौजूद थे.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है
