Darbhanga News: पुराने आपातकालीन विभाग में अगले सप्ताह शिफ्ट हो जायेगा मनोरोग विभाग

Darbhanga News:डीएमसीएच का मनोरोग विभाग पुराने इमरजेंसी डिपार्टमेंट में शिफ्ट किया जायेगा. इसे लेकर वहां साफ- सफाई का कार्य चल रहा है.

By PRABHAT KUMAR | July 24, 2025 6:19 PM

Darbhanga News: दरभंगा. डीएमसीएच का मनोरोग विभाग पुराने इमरजेंसी डिपार्टमेंट में शिफ्ट किया जायेगा. इसे लेकर वहां साफ- सफाई का कार्य चल रहा है. बताया जाता है कि अगले सप्ताह से वहां मरीजों को भर्ती करने की प्रक्रिया शुरू हो जायेगी. वर्तमान में यह विभाग सीएस कार्यालय के सामने एआरटी बिल्डिंग में संचालित है. ओपीडी में चिकित्सकीय परामर्श के बाद मरीजों को इलाज के लिये एआरटी बिल्डिंग की लंबी दूरी नापनी पड़ रही थी. जर्जर सड़क तथा जलजमाव के कारण मरीजों एवं परिजनों का आवागमन मुश्किल हो रहा था. अब यह समस्या दूर होने वाली है. ओपीडी में डॉक्टर से चेक- अप के बाद जरूरी मरीजों को दूर जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी. उसी बिल्डिंग में संचालित वार्ड में उन्हें स्थानांतरित कर दिया जायेगा. इसे लेकर विभागीय प्रक्रिया पूरी की जा रही है. मरीजों के लिये कुल 25 बेड लगाये जायेंगे.

प्रोफेसर व असिस्टेंट प्रोफेसर का पद खाली

मनोरोग विभाग एक एसोसिएट प्रोफेसर के सहारे चल रहा है. एक कंसल्टेंट व चार एसआर विभाग में कार्यरत हैं. मरीजों के परामर्श के लिये विभाग में कुल पांच डॉक्टर हैं. प्रोफेसर व असिस्टेंट प्रोफेसर का पद खाली है. बताया गया कि रोजाना विभाग में करीब 40 मरीज परामर्श के लिये आते हैं. साल में करीब 100 मरीजों को अस्पताल में भर्ती किया जाता है. परिजन के साथ होने पर ही मरीज को भर्ती किया जाता है, अन्यथा बाहर रेफर कर दिया जाता है.

रेगुलर चेकअप व पारिवारिक सहयोग से ठीक हो सकते मनोरोगी

चिकित्सकों के अनुसार मनोरोग एक ऐसी मानसिक स्थिति है, जिसमें व्यक्ति के सोंचने, समझने, महसूस करने, व्यवहार करने या भावनाओं को नियंत्रित करने की क्षमता प्रभावित हो जाती है. इसका असर उनके दैनिक जीवन, रिश्तों और कार्यक्षमता पर पड़ता है. इस स्थिति में लोग डिप्रेशन (अवसाद), हमेशा दुखी महसूस करना, किसी चीज़ में रुचि नहीं रहना, थकान, नींद की समस्या, एंग्जायटी (चिंता विकार), बार- बार घबराहट या चिंता, बिना कारण डर महसूस करने आदि के शिकार होते हैं. कई मरीजों में जल्द गुस्सा आना, नींद नहीं आना या बहुत ज्यादा सोना, आत्महत्या के विचार, अजीब हरकतें या बोलचाल आदि लक्षण दिखाई पड़ते हैं. चिकित्सकों के अनुसार ऐसे में मरीजों को विभागीय चिकित्सक से परामर्श लेनी चाहिए. रेगुलर चेक- अप, दवा, काउंसेलिंग, थेरेपी व पारिवारिक सहयोग से मरीज ठीक हो जाते हैं.

कहते हैं एचओडी

अगले सप्ताह से मनोरोग विभाग को पुराने आपातकालीन विभाग में शिफ्ट कर दिया जायेगा. वर्तमान में ओपीडी में चिकित्सकीय परामर्श के बाद भर्ती के लायक मरीजों को एआरटी सेंटर भेजना पड़ता है. अब यह समस्या दूर हो जायेगी.

डॉ विजेंद्र झा, एचओडी

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