Darbhanga News: धान की खेत में जमे पानी को पंपसेट के जरिये बाहर निकाल रहे किसान

Darbhanga News:जलनिकासी की व्यवस्था बेहतर नहीं होने के चलते चक्रवाती बारिश के 10 दिन बाद भी इलाके के खेतों में जलजमाव है.

By PRABHAT KUMAR | November 10, 2025 9:29 PM

Darbhanga News: कमतौल. जलनिकासी की व्यवस्था बेहतर नहीं होने के चलते चक्रवाती बारिश के 10 दिन बाद भी इलाके के खेतों में जलजमाव है. नतीजतन पानी में गिर चुकी धान की फसल सड़ने लगी है. किसान किसी तरह से फसल को बचाने की जुगाड़ में लगे हैं. यह समस्या अधिकांश गांवों के चौर में देखने को मिल रहा है. जिन किसानों के पास डीजल पंप अथवा मोटर पंप जैसे निजी साधन हैं, वैसे लोग खेतों से पानी निकाल कर धान की फसल को बचाने में जुट गये हैं. लेकिन, जिनके पास इस तरह का अपना संसाधन नहीं है और पानी की निकासी के लिए आसपास कोई रास्ता भी नहीं है, वैसे किसान मन मार कर बैठे हैं. इनके माथे पर रबी फसल की बोआई की चिंता भी दिखने लगी है.

अतिक्रमण की भेंट चढ़ गये जलनिकासी के मार्ग

बताया जाता है कि गांवों के निकट जल निकासी के जो मार्ग थे, धीरे-धीरे अतिक्रमण की भेंट चढ़ गये. ऐसे में जल निकासी नहीं होने से कृषि कार्य में बाधा, किसानों को परेशान करने के साथ उन्हें आर्थिक क्षति भी पहुंचा रही है. यह हाल जाले प्रखंड क्षेत्र के कमतौल, अहियारी, रतनपुर, कुम्हरौली, उसरा, निमरौली आदि गांवों के चौर में देखा जा रहा है. एक सप्ताह पूर्व हुई बारिश के बाद भी इन गांवों के चौर में अब तक जलजमाव देखा जा रहा है. तैयार धान की फसल पानी में गिरी पड़ी है. कुछ लोग तैयार धान की फसल काटकर पानी से बाहर निकाल रहे हैं, ताकि थोड़ा बहुत भी हाथ लग जाये, तो दो वक्त का भोजन का जोगार हो.

कहते हैं किसान

रतनपुर गांव के किसान गोपीकृष्ण ठाकुर कहते हैं कि गांव के समीप की खेतों से जल निकासी की व्यवस्था नहीं है. इससे कि खेतों में लंबे समय तक पानी जमा रहता है. पुराने आहर-पइन पट चुके हैं. तैयार धान की फसल पानी में सड़ रही है. अब तो रबी फसल की बुआई भी समय से नहीं हो पायेगी. ऐसे में सबकुछ भगवान भरोसे है. चनुआ टोल के किसान शिवलाल शर्मा कहते हैं कि गांव के समीप सटे चौर से जल निकासी का ठोस विकल्प अब तक नही बन सका है. हर बार धान की फसल पानी में डूब कर सड़ जाती है. अबकी बार तो जलजमाव से लग रहा है कि गेंहूं, सरसों, मसूर जैसी रबी फसलों की बुआई भी पिछड़ जायेगी. यही हाल कई गांवों का है, जहां जलनिकासी का मार्ग अतिक्रमण की चपेट में आने से फसलें प्रभावित होती है.

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