Darbhanga News: तसला में काटकर रखते धान, फिर बोझा बांध खेत से निकालते बाहर

अहियारी चनुआटोल के धोबहा चौर से जलनिकासी नहीं हो पा रही है. इससे दो दर्जन से अधिक किसानों की मुश्किलें बढ़ गयी है.

By PRABHAT KUMAR | November 23, 2025 10:17 PM

Darbhanga News: शिवेन्द्र कुमार शर्मा, कमतौल. अहियारी चनुआटोल के धोबहा चौर से जलनिकासी नहीं हो पा रही है. इससे दो दर्जन से अधिक किसानों की मुश्किलें बढ़ गयी है. खेतों में अभी भी पानी भरा हुआ है, जिससे धान की कटनी संभव नहीं हो पा रही है. वहीं आगामी फसल की ससमय बोआई नहीं हो पाने की पूरी आशंका है. चौर में खेती करने वाले कुछ किसान जैसे-तैसे धान की फसल काटकर घर लाने की जद्दोजहद कर रहे हैं. टोपिया में धान काटकर खेत से बाहर निकलते चनुआटोल के किसान उमेश राय ने बताया कि चार महीने की मेहनत एक झटके में बर्बाद हो गयी. तैयार फसल पानी में गिरकर सड़ने लगी है. जितना बचेगा, उसीसे घर का गुजारा होगा. कई किसान खटिया व बेंच पर धान काटकर रखते हैं. फिर बोझा बांधकर खलिहान तक ले जाते हैं. खलिहान में बोझा खोलकर सुखाते हैं. उसके बाद दौनी कराते हैं. इतनी मेहनत के बाद थोड़ा-बहुत धान घर तक पहुंच पाता है. उमेश ने बताया कि धान कटनी में देरी और खेतों में जलजमाव के कारण इस चौर में अब रबी की बोआई मुश्किल ही है. जमीन सूखे बिना जुताई संभव नहीं है. 15 नवम्बर से रबी फसल की बोआई शुरू हो जानी चाहिए, लेकिन वर्तमान स्थिति को देखते हुए इस बार बोआई में एक महीने से अधिक की देरी होने की आशंका है. खेतों में जमा पानी सूखने और जमीन तैयार होने में समय लगेगा. खेतों में अधिक नमी रही तो रबी फसल के उत्पादन पर इसका सीधा असर पड़ेगा. चनुआटोल के ही रवींद्र पंडित ने बताया कि जलजमाव वाले खेतों में धान काटने के लिए मजदूर नहीं मिल रहे हैं. मजदूर मिलते भी हैं तो इतनी मजदूरी मांग रहे हैं, जो देना संभव नहीं लगता. यह समस्या वर्षों से है. इस बार जलजमाव का स्तर और गंभीर हो गया है. जल्द से जल्द चौर से जलनिकासी की व्यवस्था नहीं हुई, तो धान के साथ रबी की फसल भी मारी जायेगी. नंदकिशोर पंडित, रामसोगारथ पंडित आदि किसानों ने बताया कि धोबहा के अलावा तेलियाही और कुम्हरा चौरी में भी जलजमाव से किसानों की परेशानी बढ़ी हुई है. जगह-जगह नाला की उड़ाही नहीं होने के कारण पानी का प्रवाह रुक गया है, जिससे धान की कटनी में देर हो रही है. इससे रबी फसल की बोआई भी समय पर नहीं हो पायेगी. इससे किसानों का भारी आर्थिक नुकसान होगा. किसानों ने प्रशासन से तत्काल जलनिकासी की व्यवस्था कर खेतों को खेती योग्य बनाने की मांग की है.

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