कृष्णाब्रह्म की मुख्य सड़क पर जलजमाव, लोग परेशान
प्रखंड क्षेत्र के कृष्णाब्रह्म की मुख्य सड़क पर जैसे ही बारिश की बूंदें गिरती हैं, सड़क नाले का रूप ले लेती है.
डुमरांव़ प्रखंड क्षेत्र के कृष्णाब्रह्म की मुख्य सड़क पर जैसे ही बारिश की बूंदें गिरती हैं, सड़क नाले का रूप ले लेती है. वर्षों से इस समस्या से जूझ रहे ग्रामीणों को राहत दिलाने के उद्देश्य से हाल ही में लाखों रुपए की लागत से सड़क किनारे नाले का निर्माण कराया गया. लेकिन ग्रामीणों की उम्मीदें जितनी बड़ी थीं, नाले का असर उतना ही छोटा साबित हुआ. जिस उद्देश्य के लिए नाला बनाया गया था, वही उद्देश्य आज कटघरे में खड़ा है. बारिश आई और सड़क डूबी : ग्रामीणों की बात मानें तो नाले के बावजूद सड़क पर पानी भर जाना यह दर्शाता है कि कार्य शैली में गंभीर खामियां रही है. बारिश की पहली बौछार के साथ ही पानी सड़कों पर जमा हो जाता है. नाले की जगह पर पानी का बहाव रुककर सड़क पर ही तालाब जैसा दृश्य बना देता है. यह नजारा सिर्फ असुविधा का प्रतीक नहीं है, बल्कि सवाल भी खड़ा करता है अगर लाखों रुपए खर्च करके नाले का निर्माण हुआ, तो आखिर उसका फायदा जनता तक क्यों नहीं पहुंच रहा. उम्मीद टूटी, परेशानी बरकरार : कृष्णाब्रह्म की यह सड़क सिर्फ स्थानीय लोगों के लिए ही महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि यह धरहरा, चौकियां, नुआंव, कठार सहित दर्जनों गांवों को जोड़ने वाला मुख्य मार्ग है. इसी रास्ते से लोग टुडीगंज स्टेशन तक आते-जाते हैं. साथ ही, कृष्णाब्रह्म बाजार इस इलाके का प्रमुख व्यावसायिक केंद्र है जहां रोजाना सैकड़ों लोग अपनी जरूरतों की पूर्ति के लिए पहुंचते हैं. लेकिन बारिश के दिनों में यही सड़क लोगों की सबसे बड़ी परेशानी का कारण बन जाती है. सड़क पर जलजमाव होने से पैदल चलना मुश्किल हो जाता है, छोटे वाहन फंस जाते हैं और दुपहिया वाहन चालक गिरने की आशंका से डरे-सहमे रहते हैं. ग्रामीणों की सीधी बात : ग्रामीणों का आरोप है कि जिस काम से उन्हें राहत मिलनी थी, वही उनके लिए मुसीबत बन गया. नाले का निर्माण तो हुआ, लेकिन ऐसा प्रतीत होता है जैसे योजना बनाते समय या तो जलनिकासी की दिशा पर गंभीरता से विचार नहीं किया गया या फिर काम में लापरवाही बरती गई. हमलोगों को बताया गया था कि अब बारिश में पानी सड़क पर नहीं रुकेगा, लेकिन हकीकत यह है कि नाला होने के बावजूद सड़क तालाब बन जाती है. अगर समस्या वैसी ही है जैसी पहले थी, तो आखिर यह निर्माण किसके लिए हुआ. ग्रामीणों की यह पीड़ा उनकी हताशा को बयान करती है. बाजार पर असर : कृष्णाब्रह्म बाजार सिर्फ एक स्थानीय हाट नहीं है, बल्कि आसपास के 10-15 गांवों की आर्थिक धुरी है. यहां से लोग अनाज, कपड़ा, दवा, कृषि सामग्री और दैनिक उपयोग की तमाम वस्तुएं खरीदते है. बारिश के दौरान सड़क पर जलजमाव बाजार की रौनक को फीकी कर देता है. दुकानों तक पहुंचने के लिए ग्राहकों को घुटनों तक पानी से गुजरना पड़ता है. कुछ दुकानदार बताते हैं कि जलजमाव के कारण ग्राहक खरीदारी करने से कतराने लगते हैं, जिससे उनकी रोजीरोटी पर भी असर पड़ रहा है. यह स्थिति बाजार की आर्थिक गतिविधियों पर सीधा चोट करती है. बच्चों और बुजुर्गों के लिए बड़ी मुश्किल : गांवों से स्कूल जाने वाले बच्चों और स्वास्थ्य केंद्र तक पहुंचने वाले बुजुर्गों के लिए यह समस्या और भी गंभीर हो जाती है. सड़क पर पानी भर जाने से बच्चों का स्कूल जाना जोखिम भरा हो जाता है. कई बार बच्चे पानी से होकर स्कूल जाते हैं और घर लौटते हैं, तो कीचड़ में फिसलकर गिर पड़ते है. बुजुर्गों के लिए तो यह जलजमाव और भी खतरनाक है. कई बार बीमार व्यक्ति समय पर अस्पताल तक नहीं पहुंच पाते क्योंकि मुख्य सड़क पर जलजमाव होना उनके लिए परेशानी का सबब बन गया है. सड़क या झील : बारिश के दौरान कृष्णाब्रह्म की यह सड़क देखने में सड़क से ज्यादा किसी झील जैसी लगती है. पानी में डूबे गड्ढों का पता ही नहीं चलता, जिससे दुर्घटनाओं का खतरा और बढ़ जाता है. दुपहिया वाहन चालक कई बार पानी में छिपे गड्ढों में गिरकर घायल हो चुके है. यह स्थिति लोगों के लिए भय का कारण बन चुकी है. जनता के धैर्य की परीक्षा : हर साल बारिश के मौसम में यह समस्या सामने आती है और हर बार ग्रामीण उम्मीद करते हैं कि इस बार कुछ सुधार होगा. लेकिन इस बार उम्मीदें और भी ज्यादा थीं क्योंकि नाले का निर्माण हाल ही में कराया गया था. अब जबकि स्थिति वैसी ही है, तो ग्रामीणों का धैर्य टूटना स्वाभाविक है. उनका कहना है कि समस्या का हल न होने से उनकी रोजमर्रा की जिंदगी अस्त-व्यस्त हो गयी है. खेती-बाड़ी से लेकर बच्चों की पढ़ाई और व्यापार तक, हर चीज पर जलजमाव का असर पड़ रहा है.
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