धनतेरस आज : बाजारों में बढ़ी चहल-पहल, आभूषण व बर्तन की दुकानें सज-धज कर तैयार

धनवंतरी पूजन की खरीददारी को लेकर बाजारों में चहल-पहल बढ़ गयी है. शहर से लेकर गांवों में दूकानें सज-धजकर तैयार है.

By AMLESH PRASAD | October 17, 2025 11:10 PM

डुमरांव. धनवंतरी पूजन की खरीददारी को लेकर बाजारों में चहल-पहल बढ़ गयी है. शहर से लेकर गांवों में दूकानें सज-धजकर तैयार है. जहां आज धनवंतरी की पूजा की जाएगी. धनतेरस पूजन को लेकर पंडित कमलेश पाठक ने बताया कि धनतेरस 18 अक्टूबर शनिवार के दिन में ऐ बजकर 20 मिनट से प्रारंभ होकर अगले दिन 19 अक्तूबर दिन रविवार को दिन में एक बजकर 55 मिनट तक रहेगा. वहीं धनतेरस को लेकर दूकानदारों की मानें तो पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष बेहतर कारोबार होने की उम्मीद है. ऐसा कहा जाता है कि दशहरा पर्व बीत जाने के बाद से ही धनतेरस की तैयारी शुरू हो जाती है. कारोबारी विभिन्न तरह के समानों की खरीद कर स्टाक करना शुरू कर देते है. ग्राहक भी धनतेरस की इंतजार में रहते है. धनतेरस में लोग बर्तनों व आभूषणों की खरीदारी करते है. इसको लेकर शहर व ग्रामीण क्षेत्रों में बर्तनों की दूकानें सज गयी है. वहीं स्थानीय बाजारों में दर्जनों दूकाने लावा-मूरी की खुल गयी है, जहां ग्राहक धनतेरस पर इसकी खरीदारी करेंगे. इन दूकानों पर सबसे अधिक बिक्री धान के लावा की होती है. जानकार बताते है कि धनतेरस में लावा की खरीदारी कर भंडारा घर में रखने से अन्न की कमी नहीं होती है. साथ हीं धनवंतरी पर्व पर पीतल व कांस्य की बर्तनों की खरीद करने से घर-परिवार में सुख-शांति मिलती है. धनतेरस के महत्व और मुहुर्त तथा क्या करें और क्या ना करें खरीदारी इसको लेकर हमने पंडित कमलेश पाठक से जानकारी ली. धनतेरस का अर्थ और महत्व धनतेरस शब्द दो भागों से बना है, धन यानी समृद्धि और तेरस यानी त्रयोदशी तिथि. पौराणिक कथा के अनुसार, समुद्र मंथन के समय भगवान धन्वंतरि अमृतकलश लेकर प्रकट हुए थे, इस लिए यह दिन आयुर्वेद दिवस के रूप में भी मनाया जाता है. इस तिथि को धन्वंतरि जयंती भी कहा जाता है. धनतेरस की शाम यम दीपदान करना अत्यंत शुभ माना गया है. यह घर को नकारात्मक ऊर्जा और अकाल मृत्यु के भय से बचाता है और परिवार की दीर्घायु सुनिश्चित करता है. धनतेरस इस वर्ष गुरु और शुक्र की युति से युक्त है. गुरु धन कारक है और शुक्र धन कारक. इसलिए यह त्यौहार धन वैभव से जुड़ा पर्व है. धनतेरस आज 18 अक्टूबर 2025 दिन शनिवार को दिन में 1 बजकर 20 मिनट से प्रारंभ होकर अगले दिन 19 अक्तूबर 2025 दिन रविवार को दिन में 1 बजकर 55 मिनट तक रहेगा. शुभ मुहूर्त दिन का मुहूर्त 2:45 से 4:15 तक कुंभ लग्न प्रदोष काल का मुहूर्त 7:21 से 9:16 तक वृष लग्न निशा काल का मुहूर्त 1:49 से 4:02 तक सिंह लग्न. क्या-क्या करें खरीदारी धनतेरस को लेकर आप अपने घरों के लिए सोना, चांदी, पीतल, कांसा, गोमती चक्र, धनिया, कमलगट्टा, हल्दी, लक्ष्मी गणेश की प्रतिमा, नया वस्त्र, पूजन सामग्री, वाहन, आभूषण, मिट्टी के वर्तन की खरीदारी करें. क्या नहीं करें खरीदारी लोहा के वर्तन, प्लास्टिक के समान, तेल, कांच के वर्तन, नुकीले सामान आदि. वस्तु खरीदारी का उपयुक्त समय दिन में 1 बजकर 21 मिनट से शाम के 4 बजकर 15 मिनट और प्रदोषकाल में 7 बजकर 21 मिनट से 9 बजकर 16 मिनट तक यह त्योहार पांच दिनों तक चलता है धनतेरस, नरक चतुर्दशी, अमावस्या, गोवर्धन पूजा और गोधन (भैया दूज).

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