पत्थर बनी शापित अहिल्या का प्रभु श्रीराम ने किया चरण रज से उद्धार

धनुष को खंडित करने वाला भगवान शिव का आराध्य : ताड़का व सुबाहु वध के पश्चात श्रीराम लीला का प्रसंग आगे बढ़ता है.

By AMLESH PRASAD | September 19, 2025 10:24 PM

बक्सर. श्री रामलीला समिति के तत्वावधान में किला मैदान में चल रहे 22 दिवसीय विजयादशमी महोत्सव के छठवें दिन शुक्रवार को रामलीला में जनक सत्कार, विशेष संवाद व धनुष प्राप्ति प्रसंग का मंचन किया गया, जबकि श्रीकृष्णलीला में कालीदह लीला को जीवंत किया गया. जिसे देख दर्शक आत्म विभोर हो गये. दिन में श्रीकृष्ण लीला एवं रात में श्रीराम लीला का मंचन श्री धाम वृंदावन के सुप्रसिद्ध श्री राधा माधव रासलीला एवं रामलीला संस्थान के स्वामी श्री सुरेश उपाध्याय व्यास जी के निर्देशन में संपन्न हुआ. धनुष को खंडित करने वाला भगवान शिव का आराध्य : ताड़का व सुबाहु वध के पश्चात श्रीराम लीला का प्रसंग आगे बढ़ता है. भगवान परशुराम, महाराज जनक और लंकाधिपति रावण एक-एक कर तीनों शिष्य कैलाश पर्वत पर समाधिस्थ अपने गुरु भगवान शंकर के पास पहुंचते हैं. इंतजार के बाद भोले बाबा की समाधि टूटने पर तीनों भगवान शंकर के आराध्य के बारे में अपनी जिज्ञासा प्रकट करते हैं. वे पूछते हैं कि गुरुवर हम लोग आप की आराधना करते हैं, फिर आप किसका ध्यान करते हैं ? जवाब में देवाधिदेव महादेव ने कहा यह मैं आप लोगों को नहीं बता सकता. मेरा यह धनुष ले जाओ जो इसे तोड़ देगा वही मेरा आराध्य है. लेकिन शर्त यह है कि धनुष एक बार रखने के बाद दोबारा नहीं हटेगा. भगवान शिव से धनुष लेकर वे वहां से रवाना हो गये. इसी बीच धनुष रावण के हाथ में आ गया तो वह वहां से लेकर लंका के लिए भागने लगा. लेकिन रास्ते में जोर से उसे लघुशंका लगती है, लिहाजा उसने उस धनुष को वही रख दिया. वापस उठाने आया तो उस धनुष को नहीं उठा पाया. राजा जनक ने वहीं पर अपना महल बनवा दिया. जगह की सफाई करते सीता जी ने एक बार धनुष को उठाकर दूसरी जगह रख दिया. इसकी जानकारी होने पर राजा जनक स्वयंवर का आयोजन कर यह शर्त रखी कि जो यह धनुष का खंडन करेगा उसी व्यक्ति के साथ उनकी पुत्री का विवाह होगा. विश्वामित्र मुनि को स्वयंवर में आने का न्योता मिलता है. स्वयंवर में शामिल होने के लिए विश्वामित्र मुनी के साथ प्रभु श्री राम व श्री लक्ष्मण जी जनकपुर के लिए रवाना होते हैं. मार्ग में अहिरौली स्थित एक पत्थर की शिला देख प्रभु श्री राम गुरु विश्वामित्र से उसके विषय में जानने की जिज्ञासा प्रकट करते हैं. गुरुदेव ने बताया कि यह शिला गौतम ऋषि की शापित पत्नी अहिल्या है. फिर गुरुदेव के आदेश पर प्रभु श्रीराम अपने चरण रज से अहिल्या का उद्धार करते हैं और वहां से चलकर महाराज जनक के बगीचे में पहुंचते हैं. बाग का माली जनक जी को विश्वामित्र सहित राम व लक्ष्मण जी के पहुंचने की सूचना देता है. राजा जनक तीनों को आदर के साथ ले जाकर सुंदर सदन में ठहराते हैं और पूर जोर उनकी आवभगत करते हैं. श्रीकृष्ण ने किया कालिया नाग का मर्दन : कृष्णलीला में कालीदह प्रसंग का मंचन किया गया. जिसमें दिखाया गया कि श्रीकृष्ण अपने सखाओं के साथ कालीदह के समीप गेंद खेलते हैं. उसी बीच खेल-खेल में जानबूझकर गेंद को कालीदह में फेंक देते हैं. जब गेंद लाने के लिए सखा हठ करते हैं तो भगवान श्रीकृष्ण कालीदह में कूद जाते हैं. यह सुन पूरे गोकुल में हाहाकार मच जाता है. लेकिन कुछ ही देर में भगवान कालिया नाग के फनों पर खड़े होकर वंशी बजाते हुए बाहर आ जाते हैं. उनके इस रूप को देख गोकुलवासी खुशी से झूम उठते हैं.

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