बक्सर की पावन धरा पर आज ही अवतरित हुए थे भगवान वामन

वामन द्वादशी के अवसर पर गंगा स्नान के लिए गुरुवार को यहां गंगा व ठोरा के संगम पर जमघट लगेगा.

By AMLESH PRASAD | September 3, 2025 10:23 PM

बक्सर. वामन द्वादशी के अवसर पर गंगा स्नान के लिए गुरुवार को यहां गंगा व ठोरा के संगम पर जमघट लगेगा. इस अवसर गंगा में पावन डुबकी के लिए सूबे के अन्य जिलों के अलावा उतर प्रदेश के कई जनपदों से श्रद्धालुओं का आगमन बुधवार से ही शुरू हो गया. यह त्योहार सांसारिक जीवों के पालनकर्ता श्री हरि के पांचवें अवतार के रूप में धरा पर अवतरित भगवान वामन की जयंती के उपलक्ष्य में भाद्रपद मास की शुक्लपक्ष की द्वादशी तिथि को मनाया जाता है. लिहाजा इस पर्व को वामन द्वादशी के नाम से जाना जाता है. इस मौके पर सामाजिक व सांस्कृतिक संगठनों की ओर से निकाले जानी वाली भगवान वामन रथ यात्रा की तैयारियां पूरी कर ली गई हैं. इस यात्रा को लेकर जोरशोर से तैयारियां की गयी हैं, ताकि इस आयोजन को भव्यतम रूप दिया जा सके. भगवान वामन चेतना मंच की ओर से रथयात्रा रामरेखाघाट स्थित श्रीरामेश्वर नाथ मंदिर से निकाली जाएगी, जबकि वामन ग्लोबल फाउंडेशन के तत्वावधान में किला मैदान से निकलेगी. भगवान विष्णु के पहले मानव अवतार हैं बटुक वामन : भगवान वामन, भगवान विष्णु के पांचवें एवं मानव के रूप में प्रथम अवतार हैं, जिन्होंने दानव राजा बलि को परास्त करने और ब्रह्मांडीय संतुलन स्थापित करने के लिए यह रूप धारण किया था. उन्होंने राजा बलि से तीन कदम भूमि की मांग की, जिसमें पहले कदम में पृथ्वी, दूसरे में स्वर्ग, और तीसरे कदम में राजा बलि के सिर पर पैर रखकर उन्हें पाताल लोक भेज दिया था. वामन का जन्म बक्सर के इस पौराणिक गोद में देवी अदिति के गर्भ से हुआ था. अवतार का कारण : पौराणिक मान्यता के अनुसार दैत्य राजा बलि ने पूरे ब्रह्मांड पर शासन किया और देवताओं की शक्ति छीन ली थी, जिससे ब्रह्मांडीय संतुलन बिगड़ने का खतरा उत्पन्न हो गया था. लिहाजा उस संतुलन को बहाल करने के लिए भगवान विष्णु ने वामन रूप में अवतार लिया था. तीन पग में माप दिया ब्रह्मांड : वामन एक छोटे कद यानि बौने ब्राह्मण बालक के वेश में बलि के यज्ञ में पहुंचे. उन्होंने बलि से अपने तीन कदमों के बराबर जमीन मांगी. बलि ने इसे स्वीकार कर लिया, लेकिन वामन ने अपना विशाल रूप धारण कर एक कदम से पूरी पृथ्वी, दूसरे से स्वर्ग और फिर बलि के सिर पर पैर रखकर उन्हें पाताल लोक भेज दिया. जन्मस्थान और महत्वपूर्ण घटना : भगवान वामन का जन्म बिहार के सिद्धाश्रम धाम में हुआ था. बक्सर का पौराणिक नाम सिद्धाश्रम था. जबकि मुख्य घटना केरल के थ्रीक्काकारा में हुई, जहां राजा बलि ने यज्ञ आयोजित किया था. इस संबंध में श्रीकृष्णानंद जी पौराणिक ने बताया कि इस दिन पूजा-अर्चना करने और व्रत रखने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है और घर में सुख-समृद्धि आती है.

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