Buxar News : टीके से वंचित 15 साल तक के बच्चों को किया जायेगा चिह्नित

वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम के अपर निदेशक सह राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी ने पत्र जारी कर चमकी बुखार से बच्चों को बचाने के लिए सभी आशा को अपने पोषण क्षेत्र के एक से 15 साल तक के बच्चों की सूची तैयार करने का निर्देश दिया है.

By SHAH ABID HUSSAIN | May 15, 2025 10:34 PM

बक्सर. जिले में बढ़ते तापमान के साथ स्वास्थ्य विभाग की सतर्कता भी बढ़ती जा रही है. गुरुवार को जिले का अधिकतम तापमान 44 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया है. ऐसे में वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम के अपर निदेशक सह राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी डॉ अनिल कुमार ने सिविल सर्जन समेत डीपीएम, डीसीएम व जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी को पत्र जारी किया है, जिसमें चमकी बुखार से बच्चों को बचाने के लिए सभी आशा को अपने पोषण क्षेत्र के एक से 15 साल तक के बच्चों की सूची तैयार करने का निर्देश दिया गया है. इसके लिए अपर निदेशक ने संशोधित सर्वे फॉर्म भी जारी किया है. जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ शैलेंद्र कुमार ने बताया कि सभी आशा अपने अपने क्षेत्र में सभी घरों में जाकर एक से 15 साल तक के बच्चों की लाइन लिस्ट तैयार करेंगी, जिसमें उन्हें बच्चों में जेइ-1 व जेइ-2 के टीकाकरण के साथ-साथ बच्चों में कुपोषण, दिव्यांगता और अन्य सभी जानकारी भरनी है. इस सर्वे फॉर्म को भरकर सभी आशा संबंधित प्रखंड सामुदायिक उत्प्रेरक को समर्पित करेंगी. इसके बाद जेइ के टीकों से वंचित बच्चों को चिह्नित करते हुए उन्हें टीकाकृत करने के लिए विशेष शिविर लगाया जायेगा, ताकि जिले में बढ़ती गर्मी के कारण बच्चों को एइएस/जेइ से बचाया जा सके.

तीन माह तक एइएस का खतरा सबसे अधिक

डॉ शैलेंद्र कुमार ने बताया कि बिहार में एइएस-जेइ का खतरा सबसे अधिक अप्रैल से जून तक रहता है. इन तीन महीनों में गर्मी और हीट वेव अपने चरम पर होता है. इसके कारण एइएस/जेइ की संभावना भी अधिक रहती है. इसलिए राज्य स्वास्थ्य समिति के निर्देश पर एइएस/जेइ से लड़ने के लिए स्वास्थ्य केंद्रों में पूरी तैयारियां की जा चुकी हैं. जिले की जीविका दीदियों, आशा फैसिलिटेटरों, नर्सों को समय समय पर एइएस से संबंधित प्रशिक्षण दिया जा चुका है व आवश्यक जानकारी दी जा गयी है. उन्होंने कहा कि बच्चों को एइएस/जेइ से बचाने के लिए माता-पिता को शिशुओं और बच्चों के स्वास्थ्य के लिए अलर्ट रहना चाहिए. समय-समय पर उनकी देखभाल करते रहना चाहिए. साथ ही, बच्चों को स्वस्थ रखने के लिए मौसमी फलों, सूखे मेवों आदि का सेवन कराना चाहिए. साफ-सफाई पर विशेष ध्यान रखना चाहिए. छोटे बच्चों को मां का दूध पिलाना बेहद आवश्यक है.

बेहोशी व चमक की हालत में बच्चों को ले जाएं अस्पताल

वेक्टर रोग नियंत्रण पदाधिकारी पंकज कुमार ने बताया कि एइएस से बचाव के लिए अभिभावक अपने स्तर से भी अनुश्रवण व प्रबंधन कर सकते हैं. चमकी बुखार से बच्चों को बचाने के लिए बच्चों को रात में सोने से पहले जरूर खाना खिलाएं, सुबह उठते ही बच्चों को भी जगाकर देखें कि कहीं वे बेहोशी या चमक की हालत में तो नहीं है. बेहोशी या चमक दिखते ही तुरंत एंबुलेंस या नजदीकी गाड़ी से सरकारी अस्पताल ले जाएं और उन्हें तेज धूप से दूर रखें. बच्चों के कमरों को ठंडा रखें. उन्हें अधिक-से-अधिक पानी, ओआरएस अथवा नींबू-पानी-चीनी का घोल पिलाएं. हल्का व साधारण खाना खिलाएं, बच्चो को जंक फूड से दूर रखें. खाली पेट लीची ना खिलाएं. बच्चों को दिन में दो बार स्नान कराएं. साथ ही, घर के आसपास पानी जमा न होने दें और रात को सोते समय मच्छरदानी का इस्तेमाल करें.

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