सक्रिय जीवन जीना मानसिक स्वास्थ्य का मूल मंत्र है : डॉ प्रतिभा सिंह
यह कार्यक्रम स्नातकोत्तर मनोविज्ञान विभाग द्वारा आयोजित किया गया, जिसमें छात्रों और शिक्षकों ने सक्रिय भागीदारी की.
बक्सर. महर्षि विश्वामित्र महाविद्यालय, बक्सर में महर्षि विश्वामित्र व्याख्यान माला- 2 के अंतर्गत विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस पर आत्महत्या रोकथाम एवं तनाव प्रबंधन प्रविधियां विषय पर एक दिवसीय व्याख्यान सह कार्यशाला का आयोजन मानस भवन में बुधवार को किया गया. यह कार्यक्रम स्नातकोत्तर मनोविज्ञान विभाग द्वारा आयोजित किया गया, जिसमें छात्रों और शिक्षकों ने सक्रिय भागीदारी की. मुख्य अतिथि एसोसिएट प्रोफेसर, मनोविज्ञान विभाग, महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ, वाराणसी डॉ प्रतिभा सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि तनाव आज आत्महत्या का सबसे बड़ा कारण बन चुका है. उन्होंने विभिन्न गतिविधियों जैसे योग, ध्यान, संगीत एवं शारीरिक क्रियाशीलता के माध्यम से तनाव को दूर करने की प्रविधियों पर प्रकाश डाला. उनका कहना था कि तनाव से बचाव ही आत्महत्या का निवारण है और सक्रिय जीवन जीना मानसिक स्वास्थ्य का मूल मंत्र है. विशिष्ट अतिथि मनोविज्ञान विभाग, मुनीश्वर दत्त स्नातकोत्तर महाविद्यालय, प्रतापगढ़ डॉ. परमथेश पाण्डेय ने आत्महत्या की सामाजिक, पारिवारिक और मानसिक पृष्ठभूमि का गहन विश्लेषण किया. आत्महत्या से संबंधित विश्व और भारतीय आंकड़ों के बारे में बताया कि कैसे युवा वर्ग में आत्महत्या के मामले बढ़ते जा रहे है. उन्होंने कहा कि संवाद, संवेदनशीलता और सहयोग आत्महत्या रोकथाम के प्रमुख साधन हैं. महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो कृष्ण कांत सिंह ने उद्घाटन करते हुए कहा कि आज के समय में विद्यार्थियों और समाज को मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करना बेहद आवश्यक है. उन्होंने कहा कि शिक्षा केवल डिग्री प्राप्त करने का साधन नहीं, बल्कि जीवन जीने की कला है. व्याख्यान माला के संयोजक विभागाध्यक्ष डॉ सुजीत कुमार तथा आयोजन सचिव डॉ योगर्षि राजपूत रहे. अतिथियों का परिचय डॉ जयप्रकाश एवं डॉ इसरार आलम (सहायक प्राध्यापक, मनोविज्ञान विभाग) ने कराया. मंच संचालन डॉ. योगर्षि राजपूत ने किया, जबकि धन्यवाद ज्ञापन डॉ. सुजीत कुमार ने प्रस्तुत किया. कार्यक्रम की सफलता में विभाग के सहायक प्राध्यापक द्धय डॉ. सीमा कुमारी, डॉ अर्चना पाण्डेय एवं डॉ. अशोक कुमार का विशेष योगदान रहा. इसके अलावा महाविद्यालय के प्राध्यापकगण डॉ महेंद्र प्रताप सिंह, डॉ भरत कुमार, डॉ नवीन कुमार पाठक, डॉ रासबिहारी, डॉ पंकज चौधरी, डॉ प्रियरंजन, डॉ अमृता कुमारी, डॉ बीरेंद्र कुमार, डॉ राकेश तिवारी, डॉ अर्चना मिश्रा, डॉ श्वेत प्रकाश, डॉ अमन कुमार सिंह, डॉ रवि कुमार ठाकुर, डॉ रवि प्रभात, डॉ प्रियेश, डॉ शशिकला एवं डॉ अरविंद सिंह सहित अनेक संकाय सदस्य उपस्थित रहे. छात्र-छात्राओं, विशेष कर दीपक कुमार एवं अरविंद कुमार का योगदान उल्लेखनीय रहा. इस व्याख्यान सह कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य समाज में बढ़ती आत्महत्या की प्रवृत्तियों पर रोकथाम के उपायों पर विचार-विमर्श करना और तनाव प्रबंधन की व्यावहारिक तकनीकों को साझा करना था. कार्यक्रम ने उपस्थित प्रतिभागियों को जीवन के प्रति नई ऊर्जा, सकारात्मक सोच और आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ने का संदेश दिया.
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