VIDEO : दानापुर-मुगलसराय रेल ट्रैक पर पत्थर रख सिकंदराबाद एक्सप्रेस को रोका, बड़ा हादसा टला

बक्सर : बिहार के बक्सर में दानापुर-मुगलसराय रेलखंड के बरुणा स्टेशन के समीप परसिया गांव के सामने शनिवार की देर शाम रेलवे ट्रैक पर पत्थर रखकर सिकंदराबाद एक्सप्रेस ट्रेन को पलटने की कोशिश की गयी. चालक ने इमरजेंसी ब्रेक लगाकर ट्रेन को रोक दिया, जिससे हादसा टल गया. हालांकि, पत्थर इतने ज्यादा थे कि पहिये […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 23, 2017 12:11 AM

बक्सर : बिहार के बक्सर में दानापुर-मुगलसराय रेलखंड के बरुणा स्टेशन के समीप परसिया गांव के सामने शनिवार की देर शाम रेलवे ट्रैक पर पत्थर रखकर सिकंदराबाद एक्सप्रेस ट्रेन को पलटने की कोशिश की गयी. चालक ने इमरजेंसी ब्रेक लगाकर ट्रेन को रोक दिया, जिससे हादसा टल गया. हालांकि, पत्थर इतने ज्यादा थे कि पहिये से दब कर उनके उड़ने से गाड़ी का प्रेशर वॉल्व फट गया. हादसा बरुणा स्टेशन के पास पोल संख्या 652/7 के पास एसी कोच संख्या बी3 में हुआ.

ट्रेन में एकाएक हुए तेज आवाज और कंपन से यात्री दहशत में आ गये. आधा घंटा तक डाउन लाइन में बरुणा स्टेशन के समीप ट्रेन रुकी रही. घटना की सूचना ट्रेन के चालक ने तुरंत कंट्रोल रूम को दी. सूचना मिलते ही अधिकारियों के बीच हड़कंप मच गया. जबतक कोई कुछ समझ पाता यात्री कोच में दुबक गये. सहमे यात्रियों को डर था कि कहीं यह वारदात कोई बड़ी साजिश तो नहीं. हालांकि, थोड़ी देर बाद ट्रेन की सुरक्षा में तैनात स्कॉर्ट पार्टी के जवानों ने बताया कि तकनीकी खराबी के कारण ट्रेन रुकी है.

ड्राइवर व गार्ड ने उक्त कोच के पास पहुंच कर जायजा लिया. पाया गया कि एसी कोच बी 3 के नीचे प्रेशर वॉल्व फट गया है. वहीं, कोच संख्या बी 2 के पानी की टंकी फट गयी है. इस संबंध में पीआरओ आरके सिंह ने बताया कि मामले की जांच की जा रही है.

डायनामाइट से उड़ाया था स्टेशन
बरुणा स्टेशन पर नक्सलियों की सक्रियता भी पूर्व में रही है. 1990 के दशक में इस स्टेशन को नक्सलियों ने दो बार डायनामाइट व डेटोनेटर से उड़ाया था, जिससे स्टेशन के भवन को काफी क्षति हुई थी. एक घटना में तो बरुणा स्टेशन का भवन पूरी तरह से उड़ गया था. घटना को अंजाम देने के बाद नक्सलियों ने पोस्टर चस्पा कर अपनी संलिप्तता स्वीकार की थी.

अति नक्सल प्रभावित घोषित हुआ था इलाका
बरुणा तथा आसपास के इलाके में नक्सलियों की सक्रियता के कारण इस इलाके को करीब 6 वर्ष पूर्व अति नक्सल प्रभावित घोषित किया गया था. इस इलाके से ट्रेनों के गुजरने के दौरान रेल प्रशासन हर समय सकते में रहता है. इस दौरान महत्वपूर्ण ट्रेनों के आवागमन के समय रेल प्रशासन के बड़े पदाधिकारी भी सकुशल ट्रेनों के गुजर जाने की सूचना का इंतजार करते हैं.