एसटीएफ ने इनामी कुख्यात चंदन गुप्ता को बंगाल से किया गिरफ्तार, कई जिलों में दर्ज हैं हत्या समेत कई संगीन मामले

बक्सर : शाहाबाद प्रक्षेत्र में आतंक का पर्याय कुख्यात चंदन गुप्ता को पटना एसटीएफ की टीम ने शनिवार की सुबह पश्चिम बंगाल के दुर्गापुर इलाके से दबोचने में सफलता हासिल की. पुलिस मुख्यालय ने कुख्यात 50 हजार रुपये का इनाम घोषित कर रखा था. चंदन गुप्ता पर बक्सर, रोहतास, भोजपुर और सीवान समेत अन्य जिलों […]

By Prabhat Khabar Print Desk | December 7, 2019 10:40 AM

बक्सर : शाहाबाद प्रक्षेत्र में आतंक का पर्याय कुख्यात चंदन गुप्ता को पटना एसटीएफ की टीम ने शनिवार की सुबह पश्चिम बंगाल के दुर्गापुर इलाके से दबोचने में सफलता हासिल की. पुलिस मुख्यालय ने कुख्यात 50 हजार रुपये का इनाम घोषित कर रखा था. चंदन गुप्ता पर बक्सर, रोहतास, भोजपुर और सीवान समेत अन्य जिलों में हत्या, लूटपाट, रंगदारी, गोलीबारी जैसे दो दर्जन संगीन मामले दर्ज हैं. दो दर्जन मामले बक्सर जिले में ही दर्ज हैं.बिहार पुलिस को पिछले एक साल से उसकी तलाश थी. वांटेड चंदन गुप्ता बक्सर जिले के डुमरांव थाना क्षेत्र के कसिया गांव का निवासी बताया जाता है.

सूत्रों की मानें तो पकड़े गये कुख्यात की निशानदेही पर एसटीएफ संभावित ठिकानों से एके-47, रायफल और पिस्तौल समेत कई और अवैध हथियारों को बरामद करने के प्रयास में लगी हुई है. इसके लिए डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय ने एसटीएफ के चुनिदा अफसरों को जिम्मेवारी सौंपी थी. चंदन की गिरफ्तारी नहीं होने पर डीजीपी ने अधिकारियों को कई बार फटकार भी लगायी थी. वह लगातार ठिकाना बदल रहा था. बताया जाता है कि पटना एसटीएफ को मोबाइल सर्विलांस के जरिये जानकारी मिली कि चंदन गुप्ता पश्चिम बंगाल के दुर्गापुर में छिपा हुआ है. बिहार में गैंग का संचालन वह वहीं से कर रहा है. इसके बाद पटना से एसटीएफ टीम को दुर्गापुर भेजा गया. टीम ने घेराबंदी कर वांटेड चंदन को धर दबोचा. विशेष वाहन से उसे पटना लाया गया.

चंदन गुप्ता साल 2016 में जेल गया था. जेल से वह जल्द ही बाहर आ गया. उसके बाद सासाराम के ठेकेदार धनजी सिंह की हत्या की सुपारी ली थी. वह उनके साथ काम करने लगा. वह विश्वास पात्र बन गया. 2017 में धनजी सिंह और उनके तीन सहयोगियों को मार कर चंदन गुप्ता कुख्यात बन गया था. साल 2018 में डुमरांव के मुर्गा व्यवसायी दिनेश श्रीवास्तव की हत्या में भी चंदन का नाम आया था. पुलिस की मानें तो चंदन गुप्ता मोबाइल फोन का इस्तेमाल बहुत कम करता था.वह अपने गुर्गों को इंटरनेट कॉलिग से टार्गेट देता था.

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