बिना एप्रोच पथ के 15 वर्षों से बेकार पड़ा है पुनपुन नदी पर बना ये पुल, जानें किन दो और पुलों का है यही हाल

दरअसल एप्रोच पथ बनाने के लिए जिस जमीन का अधिग्रहण करना था, इसको लेकर किसान मुआवजे को लेकर विवाद करने लगे जिसके चलते एप्रोच पथ नहीं बन सका. लोग जुगाड़ के सहारे पहाड़नुमा पुल पर चढ़कर अपने गंतव्य पर जान जोखिम में डालकर पहुंच रहे हैं.

By Prabhat Khabar | November 28, 2023 9:09 PM

करपी (अरवल). 10-15 वर्षों से हवा में झूल रहे पुनपुन नदी पर बना तीन पुल जिले में ऐसे तीन पुल हैं जो एप्रोच पथ के अभाव में आज भी हवा में झूल रहे हैं और लोग जुगाड़ के सहारे पहाड़नुमा पुल पर चढ़कर अपने गंतव्य पर जान जोखिम में डालकर पहुंच रहे हैं. दरअसल एप्रोच पथ बनाने के लिए जिस जमीन का अधिग्रहण करना था, इसको लेकर किसान मुआवजे को लेकर विवाद करने लगे जिसके चलते एप्रोच पथ नहीं बन सका. पुल पर चढ़ने के लिए आम लोग आगे आये और जैसे-तैसे मिट्टी डालकर चढ़ने-उतरने के लिए बनाया और इसी के सहारे एकाध पुल पर दो-चार पहिया वाहन चढ़ पाता है. बरसात के दिनों में फिसलन की वजह से आवागमन ठप हो जाता है.

बच्चों के लिए स्विमिंग स्पॉट बन गया है पुल

स्थानीय लोगों का कहना है कि एप्रोच पथ बन गया होता तो आवागमन सुलभ हो जाता, पर विभाग के अधिकारियों की नासमझी की वजह से योजना अधर में लटक गयी. जिले के सोनभद्र वंशी सुर्यपुर प्रखंड में पुनपुन नदी पर तीन पुल पहुंच पथ के अभाव में सालों से अनुपयोगी है, शेरपुर, एकरौंजा और भगवतीपुर के निकट बने इन पुलों को दशकों बाद भी पहुंच पथ के लिए जमीन नहीं मिल सकी है. तीनों पुल इस इलाके के स्विमिंग स्पॉट बन गया है, यहां बच्चे नदी में छलांग लगाकर स्नान करते हैं.

Also Read: बिहार में भूजल के स्तर की होगी कोडिंग, क्रिटिकल इलाकों के लिए बनेगा अलग प्लान

एकरौंजा के निकट पुल को पांच वर्षों से है एप्रोच पथ का इंतजार

एकरौंजा गांव के निकट पुनपुन नदी पर तत्कालीन विधायक सत्यदेव कुशवाहा के प्रयास से पांच वर्ष पहले पुल का निर्माण किया गया था लेकिन लिंक पथ नहीं होने से दो पहिया वाहन ही गुजरता है, वह भी बरसात के दिनों में नहीं, इलाके के लोग नदी पार करने के लिए दो किलोमीटर दूर औरंगाबाद जिले के उपहरा गांव के निकट पुनपुन नदी पर बने पुल का प्रयोग करते हैं. पुल के पश्चिम दिशा में एकरौंजा गांव के लोगों का जमीन है. ग्रामीण नारायण शर्मा बताते हैं कि जब तक किसानों को उनकी रैयती जमीन का मुआवजा नहीं मिल जाएगा किसान लिंक पथ के लिए जमीन नहीं देंगे.

जमीन के कागजात उपलब्ध कराने पर भी काम अधूरा

भगवतीपुर गांव के निकट पुनपुन नदी पर बने पुल पर पैदल चढ़ना भी मुश्किल है. पुल का निर्माण लगभग 10 वर्ष पूर्व जहानाबाद के सांसद जगदीश शर्मा के प्रयास से किया गया था. ग्रामीण बताते हैं कि कुछ महत्वपूर्ण किसानों ने अपनी जमीन की कागजात विभाग को उपलब्ध करा दिये थे पर आज तक किसी प्रकार की कार्रवाई शुरू नहीं की जा सकी है. इस पुल की दूसरी छोर पर करपी प्रखंड के कुसरे गांव है.

मुआवजे के पेंच में शेरपुर के समीप नहीं बना लिंक पथ

बिहार सरकार के तत्कालीन मंत्री सुचित्रा सिन्हा के प्रयास से लगभग डेढ़ दशक पूर्व शेरपुर गांव के निकट पुनपुन नदी पर पुल का निर्माण कराया गया था. यह पुल करपी एवं वंशी प्रखंड को जोड़ता है और वंशी प्रखंड कार्यालय जाने का मुख्य पथ है, इस पुल को पार कर कुर्था एवं गया जिले में भी प्रवेश कर सकते हैं. पुल के पूरब दिशा में 500 मीटर रैयती जमीन रैनाथ गांव के किसानों का है. यहां भी मुआवजे की पेंच में एप्रोच पथ नहीं बन सका है. बारिश होने पर इस पुल से भी छोटे वाहनों का आवागमन ठप हो जाता है.

Next Article

Exit mobile version