छठ व्रतियों ने उदीयमान सूर्य को अर्घ देकर किया व्रत का पारण

लोक आस्था का चार दिवसीय महापर्व छठ मंगलवार को उदयगामी भगवान भास्कर को अर्घ्य अर्पित करने के साथ ही हर्षोल्लासपूर्वक संपन्न हो गया.

By AMLESH PRASAD | October 28, 2025 10:32 PM

बिहारशरीफ. लोक आस्था का चार दिवसीय महापर्व छठ मंगलवार को उदयगामी भगवान भास्कर को अर्घ्य अर्पित करने के साथ ही हर्षोल्लासपूर्वक संपन्न हो गया. जिलेभर के छठ घाटों पर अहले सुबह से ही श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ पड़ी. श्रद्धा और भक्ति से ओतप्रोत माहौल में हर ओर छठ गीतों की गूंज सुनाई पड़ रही थी- केरवा के पात पर उगेलन सूरज मल… जैसे अन्य गीतों ने वातावरण को भक्ति रस से सराबोर कर दिया. 36 घंटे के कठिन निर्जला उपवास के बाद व्रतियों ने भगवान भास्कर को अर्घ्य अर्पित कर अपने व्रत का पारण किया. इस प्रकार सूर्योपासना का यह अद्भुत पर्व जिले में श्रद्धा, समर्पण और लोक परंपरा की जीवंत मिसाल बन गया. इस वर्ष भी छठ पर्व ने एक बार फिर यह सिद्ध कर दिया कि आधुनिकता के दौर में भी लोक संस्कृति और धार्मिक परंपराएं आज भी उतनी ही प्रासंगिक हैं. आस्था, अनुशासन, स्वच्छता और सामूहिकता के इस पर्व ने समाज को एक सूत्र में बांध दिया. मंगलवार की सुबह चार बजे से ही शहर की गलियां छठ गीतों और ढोलक की थाप से गूंजने लगीं. पुरुष-महिलाएं अपने सिर पर डाला उठाए, परिवार और बच्चों के साथ गाजे-बाजे के बीच छठ घाटों की ओर बढ़ रही थीं. बाबा मणिराम अखाड़ा घाट, कोसुक घाट, मोरा तालाब, टिकुली पर, इमादपुर, इमामगंज, मुरौरा, महलपर, शिवपुरी मोहल्ला और मघड़ा समेत सभी घाटों पर श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा. सूर्य के उदय होते ही छठ व्रतियों ने जल में खड़े होकर भगवान भास्कर को दूध, गंगाजल, फल और ठेकुआ आदि अर्पित कर अर्घ्य दिया. इस दौरान पूरा वातावरण जय छठी मइया के जयघोष से गूंज उठा. कई छठ घाटों पर व्रतियों के द्वारा अपनी मनोकामना पूरी होने पर बच्चों का मुंडन भी कराया गया. जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में भी छठ व्रत की धूम रही. मोहल्लेवासियों ने किया छठ व्रतियों का स्वागत : पारन की सुबह मंगलवार को मोहल्ले के उत्साही युवकों के द्वारा जहां छठ व्रतियों के स्वागत के लिए जगह-जगह पर रंगोली और तोरण द्वार सजाए गए थे, वहीं अनेक स्थलों पर चाय- पानी तथा छोले आदि की व्यवस्था की गयी थी. छठ घाटों से अर्घ्य देकर लौट रहे छठवर्ती सपरिवार इन स्टालों पर रूक कर चाय- पानी पीकर आराम करते हुए आगे बढ़े. चार दिनों तक पूरा शहर भक्ति के रंग में रंगा रहा. हर मोहल्ले और गली में छठ के गीतों की स्वर लहरियां गूंजती रहीं. धूप, दीप और अगरबत्तियों की खुशबू से पूरा वातावरण पवित्र बना रहा. पारण पर घर-घर बंटे प्रसाद : छठ व्रत प्रेम और भाईचारे को बढ़ाने के साथ-साथ समाज को एकता के सूत्र में बांधने वाला पर्व है .पारण के दिन मंगलवार को अर्घ्य के बाद घर लौटकर व्रतियों ने व्रत का पारण कर व्रत तोड़ा. इसके साथ ही ठेकुआ, पकवान, नारियल और फलों का प्रसाद घर-घर वितरित किया गया. पड़ोसी और रिश्तेदार छठ व्रतियों के घर पहुंचकर प्रसाद ग्रहण करते रहे. पूरा दिन घरों में मंगल गीतों की ध्वनि और प्रसाद वितरण का क्रम चलता रहा. छठ व्रतियों ने परिवार और समाज की सुख-शांति के लिए भगवान भास्कर और छठी मइया से प्रार्थना की. सायंकालीन अर्घ्य का दृश्य रहा अद्भुत : सोमवार की शाम अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देने के लिए घाटों पर श्रद्धालुओं का मेला लग गया था. महिलाएं कमर तक जल में उतरकर भगवान भास्कर को नमन कर रहीं थीं. ढोल-नगाड़ों, गीतों और दीपों की रौशनी में घाटों का नजारा अद्भुत लग रहा था. बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक सभी के चेहरों पर श्रद्धा और आनंद का भाव झलक रहा था. सायंकालीन अर्घ्य को लेकर अधिकांश घरों में ताले लटके दिखाई पड़े. परिवार के सभी सदस्य साफ- सुथरे तथा नए परिधानों में छठ घाटों पर पहुंचकर पूजा अर्चना में शामिल हुए.

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