छठ गीतों से धार्मिक हुआ वातावरण
जिले में चार दिवसीय सूर्योपासना के महापर्व के दूसरे दिन छठ व्रतियों के द्वारा पूरी पवित्रता से खरना का प्रसाद तैयार किया गया. इस अवसर पर घरों से लेकर जिले के प्रसिद्ध सूर्य धामों में हर्षोल्लासपूर्ण वातावरण रहा.
बिहारशरीफ. जिले में चार दिवसीय सूर्योपासना के महापर्व के दूसरे दिन छठ व्रतियों के द्वारा पूरी पवित्रता से खरना का प्रसाद तैयार किया गया. इस अवसर पर घरों से लेकर जिले के प्रसिद्ध सूर्य धामों में हर्षोल्लासपूर्ण वातावरण रहा. छठव्रतियों के द्वारा इस अवसर पर अरवा चावल, चने की दाल तथा रसिया आदि का प्रसाद तैयार किया गया. सबसे पहले छठ व्रतियों के द्वारा यह प्रसाद भगवान भास्कर को अर्पित किया गया. उसके बाद छठ व्रतियों के द्वारा ग्रहण किया गया .यह प्रसाद छठ व्रतियों के द्वारा अपने परिवार के सदस्यों के साथ-साथ नजदीकी संबंधियों ,मित्रों तथा पड़ोसियों को भी परोसा गया. देर शाम तक घरों में खरना का प्रसाद खाने- खिलाने का सिलसिला चलते रहा. जिले में छठ व्रत का काफी पुराना इतिहास रहा है. इसीलिए यहां प्राचीन काल से ही बड़गांव तथा औगारी धाम जैसे दो महत्वपूर्ण सूर्य धाम मौजूद हैं. इन स्थलों पर विभिन्न जिलों तथा राज्यों के बड़ी संख्या में श्रद्धालु सपरिवार इस वर्ष भी छठ व्रत करने के लिए आये हुए हैं. जिलेवासियों में भी छठ व्रत के प्रति काफी आस्था है. गुरुवार को छठव्रतियों के द्वारा अस्ताचलगामी भगवान भास्कर को अर्घ्य दिया जाएगा. इसी प्रकार 04 अप्रैल दिन शुक्रवार को उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत का पारण किया जाएगा. इस संबंध में पंडित श्रीकांत शर्मा आचार्य ने बताया कि भगवान सूर्य को साक्षात देवता माना गया है. सूर्य की पवित्र रश्मियों में काफी शक्ति है. इससे पेड़ पौधों के साथ-साथ मनुष्यों को भी जीवन मिलता है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान सूर्य की आराधना से मनुष्य को हर मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है. भगवान सूर्य की महिमा अपरंपार:- उदीयमान सूर्य हमें हमेशा आगे बढ़ाने की प्रेरणा देते हैं, तथा अमन चैन का जीवन जीने का संदेश देते हैं.भारतीय परंपरा आध्यात्मिक दृष्टिकोण, ज्योतिष, खगोलीय भाव तथा वैदिक दृष्टिकोण से भी सूर्य की महिमा अपरंपार है. भगवान श्री कृष्ण ने भी भगवान सूर्य की उपासना की काफी प्रशंसा की थी . सूर्योपासना से मनुष्य को आरोग्य सुख की प्राप्ति होती है तथा उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है. भगवान भास्कर तीनो लोकों के अधिष्ठाता व प्रत्यक्ष देवता माने जाते हैं. सूर्योपनिषद के अनुसार इन्ही से सम्पूर्ण प्राणियों की उत्पति, पालन एवं विलय भी उन्ही में होता है. सम्पूर्ण विश्व को जो अपने कर्म में प्रवृत कराता है, वह सूर्य है. सज धज कर तैयार हुए छठ घाट:- गुरुवार को अस्ताचलगामी भगवान भास्कर को अर्घ देने के लिए जिले के सभी प्रमुख छठ घाटों को साफ सुथरा कर सजाया गया है. सभी छठ घाटों पर छठव्रतियों की सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए सभी आवश्यक व्यवस्थाएं की गई है. जिला प्रशासन के द्वारा भी शहर के सभी प्रमुख छठ घाटों मोरा तालाब,बाबा मणिराम अखाड़ा, कोसूक छठ घाट, मुरौरा छठ घाट, मघड़ा छठ घाट, सोहसराय सूर्य मंदिर तालाब आदि को साफ- सुथरा कर बैरिकेडिंग किया गया है. छठ घाटों पर चेंजिंग रूम, पेयजल तथा प्रकाश आदि के साथ साथ सुरक्षा की भी व्यवस्था की गई है.
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