397 आवेदन में सिर्फ 30 स्वीकृत व 51 अस्वीकृत
प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम योजना के अंतर्गत जिले के बेरोजगार युवक युवतियों को उद्यम स्थापित करने के लिये केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना के लिये ऋण एवं अनुदान उदमियों को उपलब्ध कराया जा रहा है.
बिहारशरीफ. प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम योजना के अंतर्गत जिले के बेरोजगार युवक युवतियों को उद्यम स्थापित करने के लिये केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना के लिये ऋण एवं अनुदान उदमियों को उपलब्ध कराया जा रहा है. बेरोजगार केवल सरकारी नौकरी पर निर्भर नहीं रहकर औद्याेगिक इकाइयों को लगाकर स्वरोजगार कर रहे हैं. लेकिन जिले के अधिकांश बैंकों के असहयोगात्मक रवैये के कारण जिला उद्योग विभाग द्वारा निर्धारित लक्ष्य को पूरा नहीं कर पा रहा है. चालू वित्तीय वर्ष 2024- 25 में इस प्रकार से धीमी गति से ऋण स्वीकृत किया गया है. जिला उद्योग विभाग से प्राप्त रिर्पोट के अनुसार दक्षिण बिहार ग्रामीण बैंक द्वारा दो ऋण स्वीकृत किया गया है. इसी प्रकार बैँक ऑफ बड़ौदा द़वारा तीन, सेँट्रल बैंक ऑफ इंउिया द्वारा एक, इंडियन ओवरसिज बैंक द्वारा दो, इंडियन बैंक द्वारा एक, पंजाब नेशनल बैंक द्वारा चार, भारतीय स्टेट बैंक ऑफ इंडिया द्वारा तेरह, केनारा बैँक द्वारा एक आवेदन स्वीकृत किया गया है. जिला उदया्ेग केंद्र वित्तीय वर्ष 2024- 25 में जिले में स्थित विभिन्न बैँकों में 397 आवेदनों का आवेदन भेजा गया है जिसमें से मात्र तीस आवेदकों का ऋण स्वीकृत किया गया है. इन आवेदनों में बैंकों द्वारा 51 आवेदन को अस्वीकृत कर दिया गया है जबकि शेष 319 आवेदन बैँकों में लंबित चल रहा है. इस प्रकार के उद्याेगों को लगा सकते हैं बेरोजगार : पशु आहार, मुर्गी दाना, तेल मिल, दाल मिल, मसाला उत्पाद, बेकरी उत्पाद, पोहा उत्पाद, फलों का जूस, कार्न फ्लेक्स उत्पाद, जैम जेली उत्पाद, सौस उत्पाद, मधु प्रसंस्करण जैसे अन्य उदयोग को स्थापित किया जा सकता है. परियोजना राशि का स्वयं लागत राशि का दस प्रतिशत अंशदान सामान्य पुरूष वर्ग को देना है जबकि शेष सभी वर्ग के लिये परियोजना राशि का पांच प्रतिशत अंशदान देना है. परियोजना लागत पर शहरी क्षेत्र के लिये पंद्रह प्रतिशत एवं ग्रामीण क्षेत्र के लिये लाभुकों को पच्चीस प्रतिशत अनुदान देने का प्रावधान है. क्या कहते हैं अधिकारी : सरकार द्वारा चलायी जा रही लाभकारी योजनाओं का जिले के बेरोजगारों को लाभ दिलाने के लिये उद्योग विभाग सतत प्रयत्नशील है. जिले के कुछ बैंकों को छोड़कर अधिकांश बैंकों की टाल मटोल नीति के कारण इस प्रकार के लाभकारी योजना से समय पर लाभ नहीं मिल पाता है. -सचिन कुमार, महाप्रबंधक, जिला उदयोग केंद्र, नालंदा
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