नशे की लत ने बढ़ाई समाज की चिंता
शहर में एक खतरनाक नशे ने अपने पैर पसारने शुरू कर दिए हैं. सुलेशन नाम का यह नशा अब स्कूली बच्चों और किशोरों तक की पहुंच में है, जिसने पूरे समाज की चिंता बढ़ा दी है. बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन और अस्पतालों के आस-पास अब ऐसे नशेड़ी बच्चे आसानी से दिख जाते हैं.
बिहारशरीफ. शहर में एक खतरनाक नशे ने अपने पैर पसारने शुरू कर दिए हैं. सुलेशन नाम का यह नशा अब स्कूली बच्चों और किशोरों तक की पहुंच में है, जिसने पूरे समाज की चिंता बढ़ा दी है. बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन और अस्पतालों के आस-पास अब ऐसे नशेड़ी बच्चे आसानी से दिख जाते हैं. सबसे डरावनी बात यह है कि इस नशे की चपेट में वे बच्चे आ रहे हैं जो या तो स्कूल छोड़ चुके हैं, आर्थिक तंगी झेल रहे हैं या फिर मजदूरी करके परिवार चला रहे हैं. कुछ मामलों में तो टोटो चालक भी ड्यूटी के दौरान इस नशे का इस्तेमाल करते पाए गए हैं. रामचंद्रपुर, सोहसराय, निलची किला गढ़पर, नई सराय, कल्याणपुर रोड, मंगलास्थान बस स्टैंड के पीछे, टिकुलीपर जैसे मोहल्लों में इस प्रकार के नशा करते बच्चें देखे जाते हैं. पहले यह नशा गुप्त जगहों पर किया जाता था, लेकिन अब हालात इतने बिगड़ गए हैं कि बच्चे सड़क किनारे, पार्क और अन्य सार्वजनिक स्थानों पर बेखौफ सुलेशन सूंघते नजर आते हैं. स्थानीय लोगों का मानना है कि पुलिस और प्रशासन की लापरवाही के कारण यह समस्या दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है. स्थानीय निवासियों का आरोप है कि कुछ दुकानदार बिना किसी डर के नाबालिग बच्चों को सुलेशन बेच रहे हैं. इसकी आसान उपलब्धता और कम कीमत ने इसे बच्चों के बीच तेजी से लोकप्रिय बना दिया है. लोगों की मांग है कि सुलेशन बेचने वाले दुकानदारों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए, नाबालिगों को नशा बेचने वालों के खिलाफ एफआईआर दर्ज हो, संवेदनशील इलाकों में पुलिस निगरानी बढ़ाई जाए. तापमान में गिरावट के साथ ही सुलेशन के नशे का चलन और बढ़ गया है. शहर के प्रमुख सार्वजनिक स्थानों पर नशे में धुत बच्चों के समूह अब आम नजारा बन गए हैं. जानकार बताते हैं कि सुलेशन की लत भविष्य में और खतरनाक नशों की ओर पहला कदम है. यह बच्चों को हेरोइन, ब्राउन शुगर और इंजेक्शन वाले नशों तक ले जा सकता है. इसलिए नशे का शिकार बच्चों की तुरंत पहचान की जाए. उनके लिए काउंसलिंग और रिहैबिलिटेशन की व्यवस्था की जाए. यह स्थिति सिर्फ कानून-व्यवस्था का मुद्दा नहीं रह गई है. यह आने वाली पीढ़ी के भविष्य से जुड़ा सवाल बन गया है. अगर समय रहते प्रशासन ने कड़े कदम नहीं उठाए, तो यह समस्या विकराल रूप धारण कर लेगी.
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