डॉ राजेन्द्र प्रसाद शब्दों के ऋषि थे : प्रो रविंद्र नाथ
बुधवार को नव नालंदा महाविहार सम विश्वविद्यालय में देशरत्न डॉ. राजेंद्र प्रसाद की 141वीं जयंती पर एक गरिमामय समारोह आयोजित किया गया.
राजगीर. बुधवार को नव नालंदा महाविहार सम विश्वविद्यालय में देशरत्न डॉ. राजेंद्र प्रसाद की 141वीं जयंती पर एक गरिमामय समारोह आयोजित किया गया. कार्यक्रम की शुरुआत श्वेनसांग स्मृति भवन और पुस्तकालय स्थित प्रतिमाओं पर पुष्पांजलि तथा श्रद्धासुमन अर्पित कर हुई. इसके बाद डॉ. धम्मज्योति ने मंगलपाठ किया. समारोह के बौद्धिक सत्र में डॉ. राजेंद्र प्रसाद के व्यक्तित्व और कृतित्व पर व्याख्यान प्रस्तुत किए गए. स्वागत भाषण में डॉ. मुकेश कुमार वर्मा ने कहा कि राजेंद्र प्रसाद केवल राजनेता ही नहीं, बल्कि नैतिक नेतृत्व, सरलता और सेवा के प्रतीक थे. नालंदा के पुनर्स्थापना को लेकर उनकी दृष्टि अतुलनीय थी. कार्यक्रम का विषय प्रवेश प्रो. राणा पुरुषोत्तम कुमार सिंह ने कराया. उन्होंने बताया कि डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने नव नालंदा महाविहार समेत अनेक प्राच्य अध्ययन केंद्रों के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. प्रो. श्रीकांत सिंह ने चिंता व्यक्त की कि राजेंद्र प्रसाद के अमूल्य योगदान धीरे-धीरे धूमिल होते जा रहे हैं. मुख्य वक्ता प्रो. रविंद्र नाथ श्रीवास्तव ने कहा कि राजेंद्र प्रसाद ””””शब्दों के ऋषि”””” थे. देवनागरी, उर्दू, पाली व प्राकृत के गहन अध्येता रहे. उन्होंने यह भी कहा कि महात्मा गांधी उन्हें सबसे विश्वसनीय व्यक्ति मानते थे. उनकी सादगी और जनसेवा की भावना ने उन्हें जनता से गहरा जोड़ा. गांव के लोगों के लिए राष्ट्रपति भवन का दरवाजा सदैव खुला रहता था. कार्यक्रम का संचालन डॉ. मुकेश कुमार वर्मा और धन्यवाद ज्ञापन डॉ. पी.के. दास द्वारा किया गया. समारोह में शिक्षक, शोधार्थी और छात्र-छात्राएँ बड़ी संख्या में उपस्थित रहे.
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